राकेश चौरासिया
अमीन सयानी को ‘रेडियो की मखमली आवाज’ के नाम से जाना जाता है. सयानी अपने दौर के भारत में सबसे लोकप्रिय रेडियो प्रस्तुतकर्ताओं में से एक थे. उन्होंने 1951 में ‘सीलोन रेडियो’ से अपने करियर की शुरुआत की थी. 1952 में अमीन सयानी ने ‘बिनाका गीतमाला’ कार्यक्रम शुरू किया, जो जल्द ही पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में लोकप्रिय हो गया. यह कार्यक्रम हर हफ्ते शीर्ष हिंदी फिल्मों के गीतों की एक सूची प्रस्तुत करता था. सयानी की मधुर आवाज और आकर्षक प्रस्तुति ने उन्हें लाखों श्रोताओं का पसंदीदा बना दिया.
मशहूर प्रोग्राम
बिनाका गीतमाला
महफिल-ए-मुशायरा
तारानों की बारात
पुरस्कार
पद्मश्री (1972)
पद्मभूषण (2009)
सयानी का जन्म 23 फरवरी 1932 को कर्नाटक के मणिपाल में हुआ था. इस प्रतिष्ठित रेडियो हस्ती सयानी का 91वर्ष की आयु में 20 फरवरी, 2024 की शाम छह बजे हृदय गति रुकने से निधन हो गया. उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
पारिवारिक पृष्ठभूमि
अमीन सयानी के पिता का नाम अब्दुल गफूर सयानी था. वे एक वकील थे और मुंबई उच्च न्यायालय में अभ्यास करते थे. अमीन सयानी की माता का नाम फातिमा सयानी था. वे एक गृहिणी थीं और अपने बच्चों की परवरिश में अपना पूरा समय देती थीं. अमीन सयानी के चार भाई-बहन थे.
हमीद सयानी उनके बड़े भाई थे, जो एक प्रसिद्ध रेडियो प्रस्तुतकर्ता और निर्माता थे. अमीना उनकी बहन थीं. अब्दुल रहमान और अब्दुल करीम उनके छोटे भाई थे. अमीन सयानी ने 1962 में जुबैदा से शादी की. उनकी तीन बेटियां शबाना, नूर और फातिमा हैं. अमीन सयानी की पारिवारिक पृष्ठभूमि ने उनके जीवन और करियर पर गहरा प्रभाव डाला.
पारिवारिक माहौल
अमीन सयानी का परिवार एक शिक्षित और संस्कारी परिवार था. उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी भी थे और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था. उनके घर में संगीत और साहित्य का माहौल था. अमीन सयानी को बचपन से ही संगीत और कहानियां सुनाने का शौक था, जो बाद में उनका पेशा बन गया.
अमीन सयानी ने भारतीय रेडियो के इतिहास पर अपनी अमिट छाप छोड़ी. उनकी मधुर आवाज और आकर्षक प्रस्तुति शैली आज भी लाखों श्रोताओं के दिलों में बसी हुई है.