योग: भारत की आत्मा, विश्व का उपहार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 21-06-2025
Yoga: The Soul of India, The Gift to the World
Yoga: The Soul of India, The Gift to the World

 

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पल्‍लव भट्टाचार्य

योग भारत की प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा से जुड़ा हुआ एक ऐसा अनुशासन है, जिसका उद्देश्य मन, शरीर और चेतना के बीच सामंजस्य स्थापित करना है.संस्कृत शब्द "युज्" से निकला "योग" शब्द "जुड़ना" या "एक होना" दर्शाता है—अर्थात्, व्यक्तिगत चेतना का ब्रह्मांडीय चेतना से मिलन.योग केवल व्यायाम का माध्यम नहीं, बल्कि एक समग्र जीवनशैली है, जिसमें शारीरिक मुद्राएँ (आसन), श्वास नियंत्रण (प्राणायाम), ध्यान (ध्यान) और नैतिक जीवनशैली सम्मिलित हैं.

योग का सबसे प्रारंभिक प्रमाण सिंधु-सरस्वती सभ्यता (लगभग 2700ईसा पूर्व) में मिलता है, जहाँ मुद्राओं में ध्यानमग्न आकृतियाँ दर्शाई गई हैं."योग" शब्द सबसे पहले ऋग्वेद (लगभग 1500ईसा पूर्व) में आया, जिसमें ध्यान और आध्यात्मिक अनुशासन का उल्लेख है.

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अथर्ववेद (900ईसा पूर्व) में प्राणायाम को प्रमुख अभ्यास के रूप में प्रस्तुत किया गया.शास्त्रीय काल (500ईसा पूर्व से 800ईस्वी) में महावीर, बुद्ध और भगवद्गीता जैसे स्रोतों से योग दर्शन का संगठित विकास हुआ.पतंजलि के योग सूत्रों ने योग को अष्टांग मार्ग (आठ अंगों वाला मार्ग) के रूप में परिभाषित किया.

800 से 1700 ईस्वी के बीच के उत्तर-शास्त्रीय युग में योग का अधिक व्यावहारिक स्वरूप विकसित हुआ, जिसमें नाथ योगियों—मछिंद्रनाथ और गोरखनाथ—ने हठ योग को लोकप्रिय बनाया.

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योग आध्यात्मिक मूल्यों से प्रेरित है, परंतु यह धर्म से परे है.भले ही इसका मूल हिंदू परंपरा में हो और इस पर बौद्ध एवं जैन प्रभाव भी हो, योग किसी धर्म या आस्था की अनिवार्यता नहीं रखता.यह सबके लिए खुला है, चाहे वह किसी भी संस्कृति या धर्म से हो.योग एक अनुभवात्मक मार्ग है, न कि कोई धार्मिक अनुशासन.यह ईश्वर या आत्मा की अवधारणाओं पर चर्चा करता है, लेकिन आज के समय में विशेषकर भारत से बाहर इसका अभ्यास अधिकतर धर्मनिरपेक्ष और स्वास्थ्य-केंद्रित हो गया है.

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हालाँकि प्रारंभ में कुछ धार्मिक वर्गों में योग के प्रति संकोच था, पर आज यह विश्व भर में स्वीकार्यता प्राप्त कर चुका है.मुस्लिम बहुल देशों जैसे सऊदी अरब, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बड़े पैमाने पर मनाया जाता है.सऊदी अरब ने तो योग को एक खेल के रूप में मान्यता भी दे दी है, जो वहाँ की सांस्कृतिक उदारता की दिशा में बड़ा कदम है.

ईसाई समुदायों, खासकर अमेरिका और यूरोप में, योग को ईसाई आध्यात्मिकता के साथ मिलाकर अपनाया गया है, जहाँ ध्यान और श्वास अभ्यास को मसीही रहस्यवाद के साथ जोड़ा गया है.

हालाँकि कुछ रूढ़िवादी चर्चों ने इसका विरोध किया है, परंतु कई ईसाई योग प्रशिक्षकों ने इसे मसीही आध्यात्मिक मार्ग के रूप में स्वीकारा है.इज़राइल में, योग विभिन्न सामाजिक वर्गों में लोकप्रिय है—धर्मनिरपेक्ष लोगों से लेकर ऑर्थोडॉक्स यहूदी समुदाय तक.“ज्यू योग” पारंपरिक आसनों और सांस तकनीकों को तोराह और कब्बाला की शिक्षाओं से जोड़ता है, जिससे शरीर, मन और आत्मा के बीच संबंध स्थापित होता है.

योग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अनेक लाभ प्रदान करता है.आसनों से शरीर में लचीलापन और मजबूती आती है, मुद्रा और संतुलन सुधरता है, और हड्डियों का स्वास्थ्य बेहतर होता है.

गहरी साँसों के अभ्यास से तनाव कम होता है, रक्तचाप नियंत्रित होता है और हृदय को मजबूती मिलती है.योग मस्तिष्क में डोपामिन और सेरोटोनिन जैसे रसायन छोड़ता है, जिससे मूड बेहतर होता है और चिंता घटती है.

86%योगाभ्यासियों का कहना है कि उन्हें इससे तनाव से राहत मिलती है.योग कोशिकीय मरम्मत और हार्मोनल संतुलन को बेहतर करता है.यह गठिया, माइग्रेन, पीठ दर्द जैसी बीमारियों में भी कारगर है.

योग कोई एकरूप परंपरा नहीं है.यह विभिन्न मार्गों में बँटा है—कर्म योग (निःस्वार्थ कर्म का मार्ग), भक्ति योग (ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण), ज्ञान योग (स्व-अन्वेषण और विवेक का मार्ग), और राज योग (ध्यान और मानसिक अनुशासन का मार्ग).

इनके अलावा हठ योग (शारीरिक संतुलन का अभ्यास), अष्टांग योग (सख्त अनुशासन और प्रवाही क्रियाएँ) जैसे विविध रूप भी हैं, जो शताब्दियों से संतों और योगियों द्वारा विकसित किए गए हैं.

योग का दर्शन और इसके अभ्यास वेदों, उपनिषदों, भगवद गीता और पतंजलि के योग सूत्रों जैसे ग्रंथों में विस्तार से वर्णित है.ये ग्रंथ नैतिक मार्गदर्शन, शारीरिक अनुशासन और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की परिकल्पना भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27सितंबर 2014को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तुत की.उन्होंने 21जून—गर्मियों की संक्रांति, जो कई संस्कृतियों में पवित्र मानी जाती है—को योग दिवस के लिए आदर्श तिथि बताया.

11दिसंबर 2014 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21जून को "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस" घोषित करते हुए प्रस्ताव पारित किया.इस प्रस्ताव को 175देशों ने सह-प्रायोजित किया—इतिहास में पहली बार किसी प्रस्ताव को इतनी व्यापक वैश्विक सहमति मिली, और वह भी बिना मत-विभाजन के पारित हुआ.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी 2018–2030के वैश्विक शारीरिक गतिविधि कार्ययोजना में योग को शामिल किया, जिससे इसकी स्वास्थ्य-संवर्धन में भूमिका को औपचारिक मान्यता मिली.

योग आज एक वैश्विक अभ्यास बन गया है, जो भिन्न संस्कृतियों और विश्वासों में पुल का कार्य करता है.अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस केवल एक दिवस नहीं, बल्कि एक सार्वभौमिक चेतना का उत्सव है—एक ऐसा उपहार जिसे भारत ने पूरी दुनिया को दिया है.जैसा कि बी.के.एस. अयंगर ने कहा था:"योग सिर्फ यह नहीं बदलता कि आप चीजों को कैसे देखते हैं; यह उस व्यक्ति को बदल देता है जो देख रहा होता है."

(लेखक असम के पूर्व पुलिस महानिदेशक हैं)