देस-परदेस : कोई बड़ा मोड़ ही रोक पाएगा ईरान-इसराइल टकराव

Story by  प्रमोद जोशी | Published by  [email protected] | Date 17-06-2025
Nation-Pardes: Only a major turning point can stop the Iran-Israel conflict
Nation-Pardes: Only a major turning point can stop the Iran-Israel conflict

 

joshiप्रमोद जोशी

ईरान पर हुए इसराइली हमलों और जवाब में ईरानी हमलों ने दो बातों की ओर ध्यान खींचा है. क्या वजह है कि इसराइल ने इस वक्त हमलों की शुरुआत की है? दूसरे, ईरान इनका किस हद तक जवाब देगा, और अब यह टकराव कहाँ जाकर रुकेगा?

इसबार अमेरिका और इसराइल फौजी और डिप्लोमेसी के मिले-जुले हथियार का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसराइली हमले के साथ ही ट्रंप ने ईरान से कहा है कि हमारी शर्तों को मान जाओ, वर्ना तबाही आपके सिर पर मंडरा रही है.

अमेरिका और इसराइल चाहते हैं कि ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम छोड़ दे. ईरानी नेतृत्व 2015की तरह कार्यक्रम रोकने को तैयार है, त्यागने को नहीं. अमेरिका के साथ ओमान में चल रही ईरान की वार्ता का छठा दौर 15जून को होना था, जो रद्द हो गया.

ईरान का कहना है कि वार्ता का अब कोई मतलब नहीं है. पता नहीं कि भविष्य में क्या होगा. युद्ध भी एक किस्म की डिप्लोमेसी है और डिप्लोमेसी कभी खत्म नहीं होती. युद्ध जारी रहते हुए भी नए सिरे से बातचीत की संभावनाओं को नकारा भी नहीं जा सकता.

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ईरानी दुविधा

वार्ता से ईरान के हटने के बाद इसराइल के हमले और बढ़ेंगे, जिससे इस इलाके में अराजकता बढ़ेगी. पर इसकी उम्मीद भी नहीं कि दबाव में आकर वह अमेरिकी डील को कबूल करके सभी परमाणु संयंत्रों को बंद करने पर सहमत हो जाएगा. यह अपमानजनक आत्मसमर्पण होगा, जिसकी ईरानी नेतृत्व को भारी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ सकती है.

तीसरा विकल्प है लड़ाई को इतना बढ़ाना कि अमेरिका को इसमें सीधे शामिल होना पड़े. अमेरिका चालाकी के साथ इससे बचना चाहता है. इराक और अफगानिस्तान के फंदे से वह किसी तरह बचकर निकला है, फिर से इसमें फँस गया, तो ट्रंप की आंतरिक-राजनीति फेल हो जाएगी. इसीलिए वह इसराइल के कंधे पर बंदूक रखकर लड़ेगा. 

ईरानियों का कहना है कि वे अब भी समझौता चाहते हैं. ईरानी विदेशमंत्री अब्बास अराग़ची ने रविवार को तेहरान में विदेशी राजनयिकों से कहा, हम समझौते के लिए तैयार हैं, लेकिन ऐसे समझौते को कभी स्वीकार नहीं करेंगे जो ईरान को उसके परमाणु अधिकारों से वंचित करेगा.

इसमें यूरेनियम-संवर्धन का अधिकार भी शामिल है, भले ही वह कम स्तर पर हो जिसका उपयोग नागरिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है.

निर्णायक हमला

इसबार का इसराइली हमला, एक तरह से 2007में सीरिया के परमाणु रिएक्टर पर हुए हमले जैसा ही है, पर निर्णायक नहीं. कहना मुश्किल है कि इसराइल ने अपने लक्ष्य किस हद तक हासिल किए हैं, पर दिखाई पड़ रहा है कि इसराइल अब व्यग्र है.

काफी समय से वह मानता रहा है कि ईरान पर निर्णायक हमला होना चाहिए. उसने अमेरिका के साथ ईरान के 2015 के परमाणु समझौते का विरोध किया था और इस दौरान ईरान के अंदर कई खुफिया हमले भी किए है, जिनमें ईरानी परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिकों और फौजी अफसरों की हत्याएँ शामिल है.

अप्रैल 2024 में दमिश्क में ईरानी दूतावास पर बमबारी करके उसने लड़ाई को सीधे ईरान तक पहुँचा दिया था. उसके बाद अक्तूबर तक एक-दूसरे पर हमलों के दौर चले. अक्टूबर 2024 में, ईरानी मिसाइल हमले के बाद, इसराइल ने ईरान के भीतर तक कई घंटों का ऑपरेशन किया था

उस हमले ने ईरान के परमाणु संयंत्रों को असुरक्षित बना दिया. इसराइल चाहता है कि ईरान के परमाणु संस्थानों पर निर्णायक हमला किया जाए. उसे वॉशिंगटन से हरी झंडी चाहिए. क्या ट्रंप के नेतृत्व में ऐसी अनुमति मिलेगी? मिली, तो परिणाम क्या होगा ?

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अमेरिका ने रोका

अंतरराष्ट्रीय दबाव और ईरानी प्रतिरोध ने उसे ऐसा करने से रोक रखा है. हाल के वर्षों में अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने, हमास या हिज़्बुल्ला के खिलाफ़ इसराइली कार्रवाइयों का समर्थन ज़रूर किया है, पर ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमला करने की इसराइली योजनाओं को स्वीकार नहीं किया.

इस बात का फौरन अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि टकराव की ताज़ा लहर कितनी दूर तक जाएगी, पर दो बातें ज़रूर नज़र आती हैं. इस क्षेत्र में भीतर ही भीतर पिछले एक-डेढ़ साल में सुरक्षा-परिदृश्य बुनियादी तौर पर बदल गया है.

इसकी कल्पना दस साल पहले नहीं की जा सकती थी. दूसरे, टकराव जारी रहा, तो इसका खराब असर दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, जो पहले ही मंदी की शिकार हो रही है. 

राजनयिक पहल

अब फिर से उस सवाल पर आते हैं कि ये हमले अब क्यों हुए, जब ईरान-अमेरिका वार्ता का छठा दौर होने वाला था? राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान को परमाणु वार्ता के लिए 60-दिन की जो समय-सीमा दी थी, वह गुरुवार 12जून को समाप्त हो गई.

इससे इसराइल के सामने वह बाधा हट गई कि वह अमेरिका की राजनयिक पहल में हस्तक्षेप कर रहा है. यह इसका एक तकनीकी पहलू है. अमेरिकी शह पर इसराइल अब दूसरे किस्म का दबाव बना रहा है. पर यह अनायास नहीं है.

पिछले हफ्ते के शुरू में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने ईरान की इस बात के लिए कठोर निंदा की थी कि उसने अपनी परमाणु संवर्धन गतिविधियों को छिपाने और, अपने नाभिकीय-अस्त्र कार्यक्रम को तेज करने की दिशा में कदम उठाए हैं.

ये बातें किसी व्यापक रणनीति का अंग लगती हैं. 7अक्तूबर, 2023के हमलों के बाद से पश्चिम एशिया के सुरक्षा-परिदृश्य में एक बुनियादी बदलाव यह आया है कि इसराइल ने अपने दो सबसे करीबी दुश्मनों, हमास और हिज़्बुल्ला को काफी हद तक सीमित करके ईरान के व्यापक प्रॉक्सी नेटवर्क को कुंठित कर दिया है.

इसमें बड़ी भूमिका सीरिया में हुए सत्ता-परिवर्तन ने अदा की, क्योंकि हिज़्बुल्ला तक पहुँच रही कुमुक का रास्ता बंद हो गया है. वहीं अप्रैल 2024के सर्जिकल स्ट्राइक में इसराइल ने ईरान के एयर डिफेंस को काफी नुकसान पहुँचाया था.

पर्यवेक्षकों का कहना है कि 2007में जब इसराइल ने सीरिया पर हमला किया था, तब तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा था, हम डिप्लोमेसी के रास्ते से इसे ठीक करेंगे. हम आईएईए जाएँगे, संयुक्त राष्ट्र जाएँगे, वगैरह.

इसपर इसराइली प्रतिक्रिया थी, नहीं, यह काफी नहीं है; हम इसे खत्म करने जा रहे हैं. बुश ने तब कहा था, ठीक है, आप वही करें जो आपको करना है. क्या ट्रंप ने अब इसराइल से कहा है कि आप वही करो, जो तब किया था ?

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ईरानी नुकसान

इसराइली हमले के बारे में जो जानकारी है, उसके अनुसार ईरान की टॉप सैनिक-कमान का काफी बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो गया है. इसमें इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर के कमांडर-इन-चीफ जनरल हुसैन सलामी, सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बाघ़ेरी, रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स एयरोस्पेस फोर्स के प्रमुख कमांडर अमीर अली हाजीज़ादेह और कुद्स फोर्स कमांडर इस्माइल ग़नी शामिल थे.

इनके अलावा कम से कम 20अन्य वरिष्ठ कमांडरों के साथ-साथ कम से कम छह वैज्ञानिकों और ईरान की परमाणु वार्ता टीम के एक सदस्य की भी मौत हो गई है. बेशक उनकी जगह नए अधिकारियों ने ले ली है, पर ये हमले फौरी तौर पर ईरान के फौजी समन्वय को नुकसान पहुँचाएँगे.

इसराइल ने ईरान के ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइल बलों से संबंधित विभिन्न लक्ष्यों के साथ-साथ एयर डिफेंस साइटों को भी नुकसान पहुँचाया है. सबसे महत्वपूर्ण है नतांज़ और फ़ोर्डो परमाणु संवर्धन साइटों को हुआ नुकसान. यह नुकसान कितना है, इसका अभी पता नहीं.

बड़े निशाने

इसराइल ने आयतुल्ला खामनेई और राष्ट्रपति पेज़ेश्कियान जैसे अन्य राजनीतिक नेताओं को और ईरानी पेट्रोलियम के बुनियादी ढाँचे और आर्थिक-गतिविधियों के अन्य केंद्रों को निशाना नहीं बनाया है.

देखना होगा ईरान के जवाबी हमलों से इसराइल को कितना नुकसान हुआ है. पिछले साल के मुकाबले ईरान की ताकत आज कम है और उसके प्रॉक्सी समूह भी कमज़ोर हैं. वहीं इसराइल को अमेरिका और ब्रिटेन समेत अन्य देशों के गठबंधन की छतरी मिली है, जो ईरानी मिसाइलों और ड्रोनों के हमले को बेअसर करने का काम कर रही है, फिर भी इसराइली शहरों पर ईरानी मिसाइलें जाकर गिरीं हैं. 

ईरान के पास परमाणु-विखंडन सामग्री का भंडार और संवर्धन क्षमता है, क्या वे अब बम बनाने की तेजी दिखाएँगे? या आयतुल्ला के परमाणु बम की सीमा से थोड़ा नीचे रहने के नीतिगत-सिद्धांत को बनाए रखेंगे?

ईरान अभी परमाणु अप्रसार संधि में, कम से कम कागज़ों पर तो शामिल है. अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने अब रिपोर्ट दी है कि वह अपने अप्रसार दायित्वों का उल्लंघन कर रहा है और परमाणु सामग्री और गतिविधियों के बारे में विवरण नहीं दे रहा है.

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सत्ता-परिवर्तन?

अमेरिका और इसराइल की रणनीति ईरानी शासन को अंदर से कमज़ोर करने की भी है. वे चाहते हैं कि ऐसी स्थितियाँ बनाई जाएँ, जिनमें ईरानी लोग, आयतुल्ला को खुद अपदस्थ कर दें. क्या ऐसा संभव है?

पिछले साल अक्तूबर में ईरान के लोगों को सीधे संबोधन में, इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने संकेत दिया था कि ईरान की सरकार में बदलाव होने जा रहा है. कौन करेगा बदलाव? इसके बात में कोई वज़न भी है या सिर्फ दुष्प्रचार है?

नेतन्याहू ने, शुक्रवार रात एक वीडियो बयान में इसबार भी कहा कि ईरान के लोगों को अपने नेताओं के खिलाफ उठ खड़ा होना चाहिए. 2003में इराक पर अमेरिका के नेतृत्व में हुए आक्रमण से पहले अमेरिकी नेता भी ऐसी बातें कहते थे, पर इराक में वैसा कुछ नहीं हुआ, जैसा अमेरिका चाहता था.

बेशक संकेत इस बात के हैं कि ईरान के भीतर राज्य और समाज के बीच तनाव है, पर क्या वह इतना है कि आयतुल्ला के धार्मिक शासन को चुनौती दी जा सके? नेतन्याहू ने ईरान पर हमले जारी रखने की नीति का संकेत दिया है. पर क्या ईरानी प्रतिशोध को इसराइल खुद सहन कर पाएगा?

अमेरिकी भूमिका

इसराइली नेतृत्व अब ईरानी तेल अवसंरचना और यहाँ तक कि आयतुल्ला को भी निशाना बनाने की बात कर रहा है. दो अमेरिकी अधिकारियों ने रविवार को रॉयटर्स को बताया कि ट्रंप ने हाल में आयतुल्ला अली खामनेई की हत्या की इसराइली योजना को वीटो कर दिया. उन्होंने कहा कि इसराइलियों ने बताया था कि उनके पास शीर्ष ईरानी नेता को मारने का अवसर था, लेकिन ट्रंप ने उन्हें रोक दिया.

हालांकि अमेरिका ने इसराइली हमलों में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया है, लेकिन ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि वे इसराइल की रक्षा करेंगे और ईरान से कहा है कि वह जल्द ही परमाणु वार्ता की मेज पर प्रस्ताव लेकर आए जो अमेरिका और इसराइल की शर्तों को पूरा करे.

फिलहाल लगता नहीं कि ईरान ने उनकी बात पर ध्यान दिया है, पर डिप्लोमेसी बाहरी बयानों से ज्यादा बैकरूम संपर्कों और मध्यस्थों की भूमिका से चलती है. देखते रहिए कि होता क्या है. 

(लेखक दैनिक हिन्दुस्तान के संपादक रहे हैं)

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