समय आ गया है कि हम सब मिलकर आतंकवाद से लड़ें

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 20-06-2024
The time has come for all of us to come together and fight terrorism
The time has come for all of us to come together and fight terrorism

 

शीख खालिद जहांगीर

जम्मू और कश्मीर लंबे समय से भू-राजनीतिक संघर्ष की जद में रहा है. इसके सामने आने वाली असंख्य चुनौतियों में से एक पाकिस्तान द्वारा सीमा पार दहशतगर्दी का लगातार खतरा सबसे ज्यादा खतरनाक है.

यह खतरा सिर्फ सुरक्षा का विषय नहीं, बल्कि कश्मीर की आर्थिक समृद्धि को कमजोर करने का एक सुनियोजित प्रयास है. कश्मीरियों के रूप में, यह महत्वपूर्ण है कि हम इस वास्तविकता को स्वीकार करें और अपने भविष्य की रक्षा के लिए सामूहिक कार्रवाई करें.

जम्मू और कश्मीर के प्रति पाकिस्तान का दृष्टिकोण इस क्षेत्र को हजारों जख्म देकर कमजोर करने की इच्छा से प्रेरित रहा है. इस रणनीति में अस्थिरता और आर्थिक व्यवधान पैदा करने के लिए विशिष्ट इरादे से आतंकी हमलों को बढ़ावा देना और उन्हें सुविधाजनक बनाना शामिल है.

कश्मीर को असुरक्षित दिखाकर, पाकिस्तान का लक्ष्य निवेश को रोकना, विकास में बाधा डालना और गरीबी और निराशा के चक्र को बनाए रखना है.जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों का अर्थव्यवस्था पर गहरा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है.

हर हमला न सिर्फ निर्दोषों की जान लेता है, पूरे क्षेत्र की आर्थिक व्यवस्था को भी झकझोर कर रख देता है. व्यापार प्रभावित होते हैं, पर्यटन कम हो जाता है . कुल मिलाकर निवेश का माहौल खराब हो जाता है.  एक भी आतंकी घटना का व्यापक प्रभाव महीनों, नहीं तो सालों तक आर्थिक विकास को रोक सकता है.

जम्मू और कश्मीर पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर करता है. इसकी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और लोगों की मेहमान , इसे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाती है.  हालांकि, आतंकी हमले लोगों में डर पैदा करते हैं. पर्यटन क्षेत्र हजारों लोगों की आजीविका का सहारा है, लेकिन जब भी हिंसा भड़कती है, इसे भारी नुकसान उठाना पड़ता है.

किसी भी क्षेत्र के आर्थिक रूप से फलने-फूलने के लिए एक स्थिर और सुरक्षित वातावरण महत्वपूर्ण होता है. लगातार आतंकवाद भय और अनिश्चितता का माहौल बनाता है, जो घरेलू और विदेशी दोनों तरह के निवेशकों को निरुत्साहित करता है. निवेश के बिना, रोजगार सृजन रुक जाता है.

बुनियादी ढांचे का विकास धीमा हो जाता है . आर्थिक विकास एक दिवास्वप्न बन जाता है. कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़, छोटे और मध्यम उद्यम अस्थिरता के कारण अत्यधिक प्रभावित होते हैं.
आर्थिक प्रभावों से परे, आतंकवाद की मानवीय लागत भी भयावह है. निर्दोषों की जान जाती है. परिवार बिखर जाते हैं . समुदाय शोक में डूब जाते हैं. कश्मीर के लोगों पर डाले गए मनोवैज्ञानिक आघात को आंका नहीं जा सकता. बच्चे भय के माहौल में पलते हैं .समाज का सामाजिक ताना-बाना बार-बार टूट जाता है.

कश्मीरियों के लिए अब एकजुट होने का समय आ गया है. हम अब और मूक दर्शक नहीं बन सकते, जबकि हमारी मातृभूमि को व्यवस्थित रूप से अस्थिर किया जा रहा है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और हमारे आर्थिक भविष्य को बनाए रखने में हर कश्मीरी की भूमिका है.

समाज के सभी वर्गों - राजनीतिक नेताओं, नागरिक समाज, व्यापार संघों और आम नागरिकों के लिए यह आवश्यक है कि वे एकजुट हों . आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाएं. यह एकता अपराधियों और दुनिया को एक मजबूत संदेश देगी कि कश्मीर भय और हिंसा के आगे नहीं झुकेगा.

राजनीतिक नेताओं को कश्मीर की सुरक्षा और आर्थिक खुशहाली को सबसे ऊपर रखना चाहिए. उन्हें ऐसी नीतियों पर काम करना चाहिए जो सुरक्षा को मजबूत करें, आर्थिक विकास को बढ़ावा दें .

युवाओं के लिए अवसर पैदा करें. नेतृत्व को पाकिस्तान को उसके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए कूटनीतिक प्रयासों में भी शामिल होना चाहिए. लचीलापन और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने में नागरिक समाज संगठनों और व्यापार निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका है.

वे ऐसे कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं जो स्थानीय व्यवसायों का समर्थन करते हैं, पर्यटन को बढ़ावा देते हैं और युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं. एक मजबूत आर्थिक आधार का निर्माण करके, वे आतंकवाद के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं.

 कश्मीर की अर्थव्यवस्था और समाज पर आतंकवाद के वास्तविक प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है. विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से सार्वजनिक वकालत कश्मीरियों की दुर्दशा को उजागर कर सकती है. व्यापक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से समर्थन प्राप्त कर सकती है.

 जम्मू-कश्मीर की ताकत उसके लोगों की एकता और लचीलेपन में निहित है. ऐतिहासिक रूप से, जम्मू-कश्मीर के लोगों ने प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में अदम्य भावना दिखाई है. आतंकवाद के खतरे का मुकाबला करने और आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इसी भावना का उपयोग किया जाना चाहिए.

समुदायों को संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करने और रिपोर्ट करने में सतर्क और सक्रिय रहने की आवश्यकता है. यह सामूहिक सतर्कता आतंकवादी गतिविधियों के लिए निवारक के रूप में कार्य कर सकती है. जमीनी स्तर पर सुरक्षा को बढ़ा सकती है.

जम्मू-कश्मीर के युवा इसका भविष्य हैं. उन्हें रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करना, उन्हें शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करना और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में शामिल करना सकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकता है.

सशक्त युवा शांति और समृद्धि के दूत के रूप में कार्य कर सकते हैं. जम्मू में हाल ही में हुए क्रूर आतंकवादी हमलों का एकमात्र उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ना था. पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर से जुड़ी हर चीज को खत्म करना चाहता है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन सच है कि कश्मीर के नेता पाकिस्तान की निंदा करने से चूक जाते हैं.

 ऐसा लगता है कि वे मानते हैं कि बयान जारी करने या सोशल मीडिया पर कुछ पंक्तियाँ लिखने से उनकी भूमिका समाप्त हो जाती है. इन नेताओं को समझना चाहिए कि उन्हें हिम्मत जुटानी होगी . सच बोलना होगा. वे मूकदर्शक बनकर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादियों को गोली चलाने की अनुमति नहीं दे सकते.

 जम्मू-कश्मीर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है. आर्थिक समृद्धि का रास्ता चुनौतियों से भरा हुआ है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण सीमा पार से आतंकवाद का खतरा है. हालांकि, सामूहिक कार्रवाई, एकता और दृढ़ संकल्प के साथ, जम्मू और कश्मीर इन बाधाओं को पार कर सकता है.

कश्मीरियों के लिए यह समय है कि वे जागें और इस लड़ाई को अपनी शर्तों पर लड़ें. आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर हम अपनी मातृभूमि की रक्षा कर सकते हैं. अपनी संस्कृति को बनाए रख सकते हैं. आने वाली पीढ़ियों के लिए एक समृद्ध भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं.

( शेख खालिद जहांगीर राजनीति, रक्षा और रणनीतिक मामलों पर लिखते हैं और वर्तमान में नई दिल्ली स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर पीस स्टडीज के प्रमुख हैं.)