देश का आनेवाला कल नशे के दलदल में न समा जाए

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 27-06-2025
The future of the country should not get lost in the quagmire of drug addiction
The future of the country should not get lost in the quagmire of drug addiction

 

fडॉ. प्रितम भि. गेडाम

नशा केवल नाश करता है.नशेड़ी बड़े शौक से सेवन करते है.वो शरीर को बेहद घातक तरीके से प्रभावित करता है.नशा सर्वप्रथम मनुष्य के मस्तिष्क पर हावी होता है.उसके सोचने-समझने की क्षमता को नष्ट करता है.धीरे-धीरे सम्पूर्ण शरीर को कमजोर करता है.जितनी देर नशे का प्रभाव मस्तिष्क पर रहेगा, नशेड़ी मनुष्य के अनुचित व्यवहार की संभावना प्रबल रहती है.सीधी सी बात है.

अगर मनुष्य का मस्तिष्क ही अनियंत्रित होगा तो उसका खुद पर काबू भी नहीं रहेगा.वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट, 2021अनुसार, नशीली दवाओं के उपयोग और अपराध के बीच एक करीबी संबंध है.हम खुद भी देखते है कि दुनियाभर में अपराधों में भयावह बढ़ोत्तरी में नशा मुख्य कारण है.

अर्थात आधे से ज्यादा अपराध नशे की हालत में या नशे के लिए किये जाते है.नशे के लिए पैसे न मिलने पर नशेड़ियों द्वारा माँ-बाप का भी कत्ल कर देने की खबरें या अनुचित घटनाएं देखने-सुनने को मिलती है.

अब तो अपराध बेहद कम उम्र में ही देखने मिलता है. स्कूली बच्चें भी नशे के आदि नजर आते है.अभिभावकों का बच्चों के प्रति गैरजिम्मेदाराना रवैया या बच्चों पर अंधा विश्वास, फैशन और फिल्म इंडस्ट्री का नकारात्मक असर एवं सोशल मीडिया की लत ने बच्चों के विकास को बड़ी बुरी तरह खराब किया है.

अगर बच्चों के कोमल मन मस्तिष्क पर अभी से नशे का जहर हावी होने लगा तो, देश का उज्जवल भविष्य तो अपराधों के दलदल में ही पनपेगा.हर छोटी-छोटी बात पर पार्टी और पार्टी के नाम पर नशा करते युवा.

आज हम जिधर देखे उधर मादक पदार्थों की तस्करी, नशेड़ियों द्वारा अपराध और दुर्घटनाएं एवं बुरी खबरें है. शायद ही कोई दिन होगा जब इससे संबंधित खबरें न छपती हो.मादक पदार्थों का जाल तेजी से फैला है, नशे की तस्करी में भी बच्चों का इस्तेमाल हो रहा है.

देश में सबसे ज़्यादा प्रचलित मादक पदार्थों में शराब, मारिजुआना (गांजा, हशीश, भांग), हेरोइन (ओपिओइड), फार्मास्युटिकल ओपिओइड (फेंटेनाइल, कोडीन व अन्य), तंबाकू (निकोटीन), मेथामफेटामाइन (क्रिस्टल मेथ), कोकेन, बेंजोडायजेपाइन (जैसे डायजेपाम, अल्प्राजोलम), अफीम यह है.

नशे के लिए छोटे बच्चे भी इनहेलेंट जैसे गोंद, व्हाइटनर, कफ सिरप, दर्द निवारक, पेंट थिनर, फिनाइल, सैनिटीज़र, पेट्रोल या अन्य ज्वलनशील तेज गंध वाले रसायनों को सूंघते है.बच्चों में शराब और तंबाकू का बढ़ता उपयोग भी चिंता का विषय है.आज संगठित अपराध अवैध नशीली दवाओं के व्यापार को बढ़ावा दे रहा है, जिसके कारण दुनिया भर के लोगों और समुदायों पर विनाशकारी परिणाम हो रहे हैं.

इसलिए इस वर्ष 2025के अंतर्राष्ट्रीय नशीली दवाओं के दुरुपयोग विरोधी दिवस का नारा है "जंजीरों को तोड़ना : सभी के लिए रोकथाम, उपचार और पुनर्प्राप्ति!" यह नारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी से निपटने के लिए सामुदायिक समर्थन, स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच और वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर जोर देता है.हम सभी ने अपने स्तर पर जागरूक होकर नशे के विरुद्ध लड़ाई लड़नी है.

पंजाब से ज्यादा नशेड़ी देश के सबसे शिक्षित राज्य केरल में, जी हां, यह आंकड़ा भयावह है.2024में, केरल ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत 27,701मामले दर्ज किए, जो पंजाब में 9,025मामलों से तीन गुना अधिक है.देश के कुल राज्यों में से केरल में ड्रग से संबंधित मामलों की दर सबसे अधिक है.

पिछले चार वर्षों में, केरल ने 87,101ड्रग से संबंधित मामले दर्ज किए हैं, जो पिछली बार की तुलना में 130प्रतिशत की वृद्धि है.हर जिला प्रभावित है.इस साल के पहले दो महीनों में, 30हत्याएं मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित. राज्य में कुल हत्याओं का आधा हिस्सा.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत की सड़कों पर 5,000,000से ज़्यादा बच्चे अमानवीय परिस्थितियों में रहते और काम करते हैं, जहाँ उन्हें नशीली दवाओं के सेवन का बहुत ज़्यादा जोखिम है.सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश में 10से 17साल की उम्र के 1.58करोड़ बच्चे नशीले पदार्थों के आदी हैं.

डब्लूएचओ अनुसार, शराब के हानिकारक उपयोग से प्रत्येक वर्ष 3.3मिलियन मौतें होती हैं. तम्बाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क के रूप में एकत्र किए गए प्रत्येक 100 रुपये से भारतीय अर्थव्यवस्था को 816 रुपये का नुकसान होता है.

2017 और 2018 के बीच 35वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए सभी बीमारियों और मौतों से तम्बाकू के उपयोग की आर्थिक लागत 27.5 बिलियन अमेरिकन डॉलर थी.2011 और 2050 के बीच, शराब से संबंधित मौतों के कारण 258मिलियन जीवन वर्ष नष्ट हो जाएंगे.मादक द्रव्यों के सेवन संबंधी विकार वाले 64 मिलियन लोगों में से केवल 11 में से 1 को ही उपचार मिल पाता है.

नशीली दवाओं के सेवन संबंधी विकार वाली केवल 18में से 1महिला ही उपचार की मांग करती है, जबकि 7में से 1पुरुष ही उपचार की मांग करता है.गृह मंत्रालय ने 18मार्च, 2025को लोकसभा को बताया कि पिछले पांच वर्षों में देश भर के बंदरगाहों से 19 मामलों में कुल 11,311 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की नशीली दवाएं जब्त की गई हैं.

सतत कार्यवाही के बावजूद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अनुसार, भारत में नशीली दवाओं की लत बढ़ रही है. अनुमानित 100मिलियन लोग भारत में विभिन्न मादक पदार्थों से पीड़ित हैं.संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा प्रकाशित विश्व ड्रग रिपोर्ट 2024 के अनुसार, नशीली दवाओं का वैश्विक उपयोग 292 मिलियन लोगों तक पहुँच गया है, जो पिछले दशक की तुलना में 20प्रतिशत की वृद्धि है.

2019 और 2021 के बीच उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे राज्यों में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत सबसे अधिक एफआईआर दर्ज की गईं.सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा भारत में पदार्थों के उपयोग के प्रचलन और पैटर्न पर 2019 में किए गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार,10 से 75व र्ष की आयु के 160 मिलियन लोग वर्तमान में शराब पी रहे हैं.

इनमें से 5.2प्रतिशत शराब पर निर्भर हैं.देश में नकली शराब से भी बड़े पैमाने पर नशेड़ियों की मृत्यु होती है.शराबखोरी एक पुरानी बीमारी है, जिसके कारण लोगों को शराब की तलब होती है और वे अपने पीने पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं.

वयस्क नशेड़ियों पर तत्काल उपचार एवं नई पीढ़ी का नशे की ओर बढ़ता हुआ आकर्षण हमें जल्द रोकना होगा.इसमें सरकार, सेवाभावी संस्था और जनता का आपसी सहयोग बेहद आवश्यक है.

अभिभावक अपनी जिम्मेदारी समझें, अपनी लापरवाही के कारण बच्चें बिगड़कर समाज और देश के लिए नासूर ना बनने पाएं.अभिभावकों का बच्चों पर नियंत्रण, आसपास का पोषक वातावरण, जागरूकता और पारिवारिक सदस्यों का आपसी बेहतर समन्वय नशे से मुक्त रख सकता है.अभिभावक बच्चों के जिद, झूठा दिखावा व आवश्यकता के बीच के अंतर को समझें.

लाड-प्यार में या समय के अभाव के बहाने बच्चों पर नियंत्रण न खोये.बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान रखें.बच्चों से दोस्ताना माहौल बनाकर उनके साथ समय बिताये.अच्छी-बुरी बातों का उन्हें ज्ञान व प्रेरणात्मक सीख दें.

जिम्मेदारियों एवं रिश्तों की परख करना सिखाएं.बच्चे बड़ों का अनुसरण करते हैं. इसलिए बच्चों के सामने अनुचित व्यवहार करने से बचें, नशा न करें ना अपनों को नशा करने दें.बच्चों को सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेम्स, भड़काऊ फैशन और मोबाइल से दूर रखें.बच्चों को उनके मासूमियत और बचपने के साथ जीने दें, उन्हें मैदानी खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करें.

अभिभावक भावनाओं में बहकर निर्णय न लें, बल्कि बच्चों के उज्वल भविष्य को ध्यान में रखकर निति-नियम बनाये और बच्चों को सदाचार, परोपकारिता, सत्यनिष्ठा, इंसानियत का पाठ पढ़ाएं.ऐसे संस्कार वाले बच्चों को कभी नशे की लत नहीं लग सकती और तभी देश का भविष्य नशामुक्त होकर सशक्त बनेगा.