स्पेस में गूंजा जय हिंद, जय भारत — शुभांशु शुक्ला बने अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूने वाले पहले भारतीय

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 27-06-2025
“Jai Hind, Jai Bharat echoed in space” — Shubhanshu Shukla became the first Indian to touch the heights of space, a new golden chapter was recorded in history
“Jai Hind, Jai Bharat echoed in space” — Shubhanshu Shukla became the first Indian to touch the heights of space, a new golden chapter was recorded in history

 

नई दिल्ली/फ्लोरिडा

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में गुरुवार का दिन स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया, जब उत्तर प्रदेश के युवा अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर सफलतापूर्वक कदम रखा. शुक्ला ISS तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बने हैं.

स्पेसएक्स के Axiom-4 मिशन के अंतर्गत लॉन्च किए गए 'ड्रैगन' कैप्सूल ने गुरुवार शाम को ISS से सफलतापूर्वक डॉकिंग की, जिसके बाद वहां पहले से मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों ने नए मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया.

जैसे ही कैप्सूल का दरवाज़ा खुला, गले मिलना, हाथ मिलाना और वेलकम ड्रिंक के साथ इस भावुक क्षण को सेलिब्रेट किया गया. नासा के मिशन कंट्रोल से संदेश आया—“आपका हमारे इस अंतरराष्ट्रीय सहयोग और खोज के केंद्र में स्वागत है.”

सभी को अंतरिक्ष से नमस्कार... – शुभांशु

अंतरिक्ष से अपने पहले संदेश में शुभांशु ने कहा,

“सभी को अंतरिक्ष से नमस्कार. मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां आकर रोमांचित हूं. यह एक छोटा कदम है, लेकिन भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा में एक स्थिर और ठोस कदम है. जब मैं लॉन्चपैड पर कैप्सूल में बैठा था, तो एक ही विचार था – हमें बस जाना है. जब यात्रा शुरू हुई, तो ऐसा लगा जैसे किसी ने सीट से पीछे धकेल दिया हो. यह एक अविश्वसनीय अनुभव था. फिर अचानक सब शांत... और आप शून्य में तैर रहे होते हैं.”

उन्होंने आगे कहा,

“यहां खाना-पीना और चहलकदमी करना किसी बच्चे की तरह फिर से सीखना है. लेकिन किसी और को भी गलतियां करते देखना मजेदार होता है. यहां आकर मेरी सारी अपेक्षाएं दृश्य से कहीं आगे निकल चुकी हैं. अगले 14 दिन अद्भुत होने जा रहे हैं – विज्ञान और अनुसंधान की दिशा में.”

डॉकिंग प्रक्रिया: अंतरिक्ष विज्ञान का अद्भुत अध्याय

ड्रैगन कैप्सूल ने फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से बुधवार दोपहर 12:01 बजे (भारतीय समयानुसार) उड़ान भरी थी और लगभग 28 घंटे बाद गुरुवार शाम को स्पेस स्टेशन से जुड़ा। यह पूरी प्रक्रिया कई महत्वपूर्ण चरणों से होकर गुजरी, जैसे—

  • Phase Burn: ऑर्बिट को एडजस्ट करने की प्रक्रिया.

  • Transfer Burn: स्पेसक्राफ्ट को ISS की कक्षा के करीब लाना.

  • Boost Burn: ऊंचाई बढ़ाकर स्टेशन से मेल खाना.

  • Approach Initiation: स्टेशन से 7 किमी दूर से धीरे-धीरे पास आना.

  • Waypoint 0: ISS से 400 मीटर की दूरी पर अंतिम अनुमति बिंदु.

  • Final Coelliptic Burn: 2.5 किमी दूर से ऑर्बिट मिलाना.

  • Close Coelliptic Burn: सटीक पोजिशन सेट करना.

इन तकनीकी प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद ही 'ड्रैगन' ने सफल डॉकिंग की और भारतीय इतिहास का यह ऐतिहासिक अध्याय लिखा गया.

अंतरिक्ष में 6 देशों की उपस्थिति, भारत का अद्भुत प्रवेश

Axiom Space द्वारा आयोजित इस निजी मिशन में चार अंतरिक्ष यात्रियों की टीम शामिल है. अब ISS पर अमेरिका के 4, रूस के 3, और भारत, जापान, हंगरी व पोलैंड से एक-एक यात्री मौजूद हैं। यानी कुल 6 देशों का प्रतिनिधित्व इस समय अंतरिक्ष में हो रहा है.

रिसर्च फोकस: विज्ञान की नई दिशा

अगले दो सप्ताह तक ये यात्री डायबिटीज, मांसपेशियों पर शून्य गुरुत्वाकर्षण का असर, मानसिक स्वास्थ्य, पौधों की वृद्धि और माइक्रोबायोलॉजी जैसे विषयों पर रिसर्च करेंगे। गगनयान मिशन के लिए यह अनुभव शुभांशु के लिए विशेष महत्व रखता है.

“स्पेस में जय हिंद, जय भारत” – शुभांशु की हिंदी श्रद्धांजलि

ISS पहुंचने के बाद शुभांशु शुक्ला ने हिंदी में कहा,“यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल है। यहां खड़े रहना जितना आसान लगता है, उतना होता नहीं है। मेरा सिर भारी लग रहा है, थोड़ी बेचैनी है, लेकिन जल्द ही इसकी आदत हो जाएगी. मैं भारतवासियों को यह भरोसा दिलाता हूं कि हम यहां मिलकर विज्ञान को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। जय हिंद, जय भारत.”

शुभांशु शुक्ला की यह अंतरिक्ष यात्रा सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष विज्ञान, आत्मनिर्भरता और वैश्विक सहयोग की दिशा में एक नई शुरुआत है. अंतरिक्ष में ‘जय हिंद’ की गूंज अब सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत बन चुकी है.

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