अजीत कुमार सिंह
11-12अक्टूबर 2025की रात अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच ड्यूरंड रेखा पर हिंसक झड़पें हुईं, जो हाल के वर्षों की सबसे गंभीर मानी जा रही हैं.इन झड़पों की शुरुआत 9अक्टूबर को पाकिस्तान द्वारा काबुल में किए गए एक हवाई हमले से हुई, जिसमें पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने टीटीपी प्रमुख नूर वली महसूद को निशाना बनाया.हालांकि, हमला एक व्यस्त बाजार पर गिरा, जिससे कम से कम 15नागरिकों की मौत हो गई.इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच तोपखाने से गोलाबारी, ड्रोन हमले और सीमापार कार्रवाई शुरू हो गई, विशेषकर अफगानिस्तान के कुनार और पक्तिका प्रांतों में.
12अक्टूबर की सुबह तक पाकिस्तान के बाजौर और खैबर जिलों में भारी तबाही देखी गई, उपग्रह चित्रों में सीमा चौकियों को नष्ट होते देखा गया.इस संघर्ष ने तोर्खम और स्पिन बोलदाक जैसे महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्गों को बंद कर दिया, जिससे दोनों देशों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ और हज़ारों व्यापारी फँस गए.13अक्टूबर को सऊदी अरब और कतर की मध्यस्थता से एक अस्थायी संघर्षविराम लागू हुआ, लेकिन दोनों ओर से तनाव बना रहा.
पाकिस्तान ने इसे आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई बताया और कहा कि तालिबान ने 20से अधिक पाकिस्तानी चौकियों पर हमला किया था.पाकिस्तान ने हवाई हमलों और विशेष बलों की कार्रवाई में 200 से अधिक तालिबान लड़ाकों और टीटीपी से जुड़े आतंकियों को मार गिराने का दावा किया.
साथ ही 21अफगान चौकियों और कई आतंकी शिविरों को नष्ट करने की बात कही गई.पाकिस्तान ने 23सैनिकों की मौत और 29के घायल होने की पुष्टि की.दूसरी ओर, तालिबान ने इसे पाकिस्तान की आक्रामकता बताया और कहा कि उन्होंने जवाबी कार्रवाई में 58पाकिस्तानी सैनिक मारे, जबकि उनकी ओर से केवल 9मौतें हुईं.तालिबान ने ड्यूरंड रेखा को एक औपनिवेशिक सीमा बताते हुए इसे मानने से इनकार किया और अपनी संप्रभुता की रक्षा का संकल्प जताया.
इस दौरान सऊदी अरब और कतर ने कूटनीतिक हस्तक्षेप किया और संघर्ष को रोकने की कोशिश की.सऊदी अरब ने चेतावनी दी कि यह तनाव हज यात्रा और खाड़ी देशों से होने वाले 10अरब डॉलर के रेमिटेंस को प्रभावित कर सकता है.कतर ने वीडियो मीटिंग कर साझा सीमा निगरानी की पहल की,लेकिन 13अक्टूबर तक इस पर कोई अमल नहीं हो सका.
ऐतिहासिक रूप से, ड्यूरंड रेखा पर सीमा संघर्ष कोई नई बात नहीं है.2007से अब तक कम से कम 39बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं.अकेले 2024में 16झड़पें दर्ज की गईंऔर 2025में अक्टूबर तक 12 घटनाएं हो चुकी थीं.
इसके अलावा, अफगान क्षेत्र से पाकिस्तान में टीटीपी आतंकियों की घुसपैठ बढ़ गई है.2025में अब तक 17घुसपैठ प्रयास हुए हैं, जिनमें 202लोगों की मौत हुई, जिनमें से 194आतंकी और 8पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी थे.पाकिस्तान इस घुसपैठ को रोकने के लिए सीमापार “हॉट परसूट” नीति का उपयोग कर रहा है और अपने 98%सीमा पर बाड़ लगाने का दावा करता है, जिसे तालिबान अस्वीकार करता है.
इस पूरे घटनाक्रम के बीच तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी 9से 16अक्टूबर तक भारत दौरे पर थे.यह 2021के बाद भारत में किसी उच्च-स्तरीय तालिबान प्रतिनिधिमंडल की पहली यात्रा थी.
उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और भारत के काबुल मिशन को फिर से पूर्ण राजदूतावास बनाने और 500मिलियन डॉलर की मानवीय सहायता बहाल करने पर सहमति बनी.मुत्ताकी ने भारत के साथ संबंध मजबूत करने और पाकिस्तान को दरकिनार कर ईरान के चाबहार पोर्ट के ज़रिए 3अरब डॉलर के निवेश की बात कही.
मुत्ताकी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वहां मौजूद "दुष्ट तत्व" अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत (IS-KP) को बढ़ावा दे रहे हैं.उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI आतंकियों को पनाह, ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक समर्थन दे रही है.पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज किया और भारत पर अफगानिस्तान को भड़काने का आरोप लगाया.इसके जवाब में पाकिस्तान ने कुछ अफगान राजनयिकों को निष्कासित भी कर दिया.
इन घटनाओं ने क्षेत्रीय कूटनीति को नया मोड़ दे दिया है.कभी तालिबान का समर्थन करने वाला पाकिस्तान अब उसी के साथ सीधे टकराव में है, जबकि भारत और अफगानिस्तान की नजदीकी पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकती है.हालांकि सऊदी और कतर के हस्तक्षेप से फिलहाल हिंसा रुकी है, लेकिन ड्यूरंड रेखा, आतंकियों की पनाहगाहों और व्यापार मार्गों को लेकर मतभेद बने हुए हैं.
13 अक्टूबर को तोर्खम मार्ग आंशिक रूप से खोला गया, जिससे व्यापार धीरे-धीरे शुरू हो सका, लेकिन स्थिति अभी भी नाज़ुक है.जब तक अफगानिस्तान और पाकिस्तान आपसी संवाद और ठोस कार्रवाई नहीं करते, तब तक यह सीमा क्षेत्र अस्थिरता का केंद्र बना रहेगा.जैसा कि आमिर खान मुत्ताकी ने दिल्ली में कहा, “अफगानिस्तान पहले शांति चाहता है – लेकिन उसका संकल्प अटूट है.”
अजीत कुमार सिंह,वरिष्ठ फेलो, इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट