77 वां कान्स फिल्म समारोह में आवाज द वाॅयस: भारतीय सिनेमा के लिए दुनिया में बिजनेस की नई पहल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 26-05-2024
77 वां कान्स फिल्म समारोह में आवाज द वाॅयस: भारतीय सिनेमा के लिए दुनिया में बिजनेस की नई पहल
77 वां कान्स फिल्म समारोह में आवाज द वाॅयस: भारतीय सिनेमा के लिए दुनिया में बिजनेस की नई पहल

 

कान्ससे अजित राय

भारत में फिल्म निर्माताओं की सबसे बड़ी संस्था इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर एसोसिएशन ( इंपा) ने इस बार 77वें कान फिल्म समारोह में भारतीय फिल्मों के लिए दुनिया भर में बिजनेस की नई पहल की है.इंपा के अध्यक्ष अभय सिन्हा और उपाध्यक्ष अतुल पटेल की पहल पर करीब 36फिल्म निर्माताओं ने कान के फिल्म बाजार में अपनी फिल्मों की मार्केटिंग की और कई लोगों को सफलता भी मिली.

इंपा के उपाध्यक्ष अतुल पटेल का कहना है कि यूनेस्को से मान्यता प्राप्त विश्व की सबसे बड़ी संस्था फेडरेशन इंटरनेशनल डि आर्ट फोटोग्राफिक ( फियाप )ने इंपा को सदस्यता आफर की है.भारत में फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया ( एफएफआई) और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम ( एन एफ डी सी) ही इसके सदस्य हैं लेकिन इन दोनों संस्थाओं ने कई सालों से फियाप को अपनी वार्षिक सदस्यता नहीं दी है.

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इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फोटोग्राफिक आर्ट दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों को अपने तय मानदंडों के आधार पर मान्यता प्रदान करती है.कान, बर्लिन, वेनिस, टोरंटो, बुशान सहित दुनिया भर में होने वाले सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह इसी संस्था से मान्यता प्राप्त करते हैं. 

भारत में इस संस्था ने केवल चार अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों को मान्यता दी है - गोवा, केरल, बंगलुरु और कोलकाता.इस संस्था की वार्षिक सदस्यता 25हजार 170यूरो है यानी करीब 25लाख रुपए.माना जा रहा है कि फियाप का सदस्य बन जाने के बाद आस्कर पुरस्कार में भारत से आफिशियल प्रविष्ट भेजने का काम भी इंपा को मिल जाएगा.

युवा फिल्मकार चंद्रकांत सिंह कहते हैं कि असली मुद्दा यहीं है कि कौन सी संस्था आस्कर पुरस्कार के लिए भारत से फिल्मों को भेजेगी.इंपा के उपाध्यक्ष अतुल पटेल कहते हैं कि बड़े फिल्म निर्माता तो अपनी फिल्मों को विदेशों में प्रदर्शित करने में कामयाब हो जाते हैं,पर भारत के हजारों छोटे छोटे फिल्म निर्माताओं के पास ऐसे अवसर नहीं होते.

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कान फिल्म बाजार में इंपा की भागीदारी से यह संभव हुआ है. उदाहरण के लिए असित और डियाना घोष की फिल्म ' अवनी की किस्मत ' को यहां छह कंपनियों से बिजनेस का आमंत्रण मिला.इसी तरह टेल आफ राइजिंग रानी के निर्माता अशोक कुमार शर्मा को भी कई खरीददार मिले.इंपा के अध्यक्ष अभय सिन्हा की लन्दन में बनी भोजपुरी फिल्म ' संजोग 'को भी यहां काफी सफलता मिली.

वे कहते हैं कि इंपा की स्थापना 1937 में हुई थी और इसके करीब 23हजार सदस्य हैं जिनमें से दस हजार सदस्य अभी भी सक्रिय हैं.इंपा ने कान फिल्म बाजार में पहली बार कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सी आई आई) के साथ मिलकर अपना स्टाल लगाया जिसका उद्घाटन फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ और भारत सरकार के सूचना सचिव संजय जाजू ने किया.

उन्होंने कहा कि इंपा ने इस बार अपने सदस्यों की कुल बारह फिल्मों के लिए बाजार बनाने की कोशिश की.  ये फिल्में हैं - हमारे बारह, अवनी की किस्मत, टेल आफ राइजिंग रानी ' बूंदी रायता , संयोग, माय बेस्ट फ्रेंड दादू, सक्षम, क्रैब इन ए बकेट, चार लुगाई, काम चालू है, सुनो तो और अग्नि साक्षी.

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इंपा के अध्यक्ष अभय सिन्हा कहते हैं कि हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा कंटेंट बेस्ड फिल्में कान फिल्म बाजार में बिजनेस करें जिससे भारत के छोटे फिल्म निर्माताओं को फायदा हो.भारत के पास असंख्य कहानियां हैं जिसे दुनिया सुनना चाहती है.

 हम यदि कोशिश करें तो यूरोप अमेरिका में हमारी कंटेंट बेस्ड फिल्में अच्छा बिजनेस कर सकती हैं.अतुल पटेल जोड़ते हैं कि कान फिल्म बाजार में इंपा को अच्छी सफलता मिली है जिससे आने वाले समय हम और बेहतर बिजनेस कर सकते हैं.इंपा ने फिक्की के भारत मंडप में भी कई कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें बड़ी संख्या में सिनेमा से जुड़े लोगों की भागीदारी रही.

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव संजय जाजू ने विस्तार से फिल्म निर्माण में सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि अब भारत सरकार विदेशी फिल्म निर्माताओं को 40प्रतिशत तक या तीन मिलियन यूरो तक कैशबैक प्रोत्साहन दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की हर संभव कोशिश है कि भारत को विदेशी फिल्मों की शूटिंग का एक पसंदीदा गंतव्य बनाया जाए.

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 फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ ने कहा कि हमारा दूतावास विदेशी फिल्म निर्माताओं को भारत में अपनी फिल्मों की शूटिंग में हर तरह से मदद करने को तत्पर रहता है.कई भारतीय दूतावासों ने फिल्म वीजा योजना पर काम करना शुरू कर दिया है.

भारतीय फिल्मकार पायल कपाड़िया की फिल्म आल वी इमैजिन ऐज लाइट के कान फिल्म समारोह के मुख्य प्रतियोगिता खंड में तीस साल बाद चुने जाने से भारत के लिए अच्छा माहौल बना है.इसका फायदा दूसरे युवा फिल्मकारों को मिलेगा.