बजट में आर्थिक और राजनीतिक आत्मविश्वास का संकेत

Story by  प्रमोद जोशी | Published by  [email protected] | Date 01-02-2024
Signal of economic and political confidence in the budget
Signal of economic and political confidence in the budget

 

joshiप्रमोद जोशी

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जो अंतरिम बजट पेश किया है, उसमें बड़ी रूपांतरकारी और लोकलुभावन घोषणाएं भले ही नहीं है, पर भविष्य की आर्थिक दिशा और सरकार के राजनीतिक आत्मविश्वास का संकेत जरूर मिलता है.

बजट में नए कार्यक्रमों की घोषणाओं के मुकाबले इस बात को रेखांकित करने पर ज्यादा जोर दिया गया है कि पिछले दस वर्ष में अर्थव्यवस्था की दशा किस तरह से बदली है. देश में एफडीआई प्रवाह वर्ष 2014-2023 के दौरान 596अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ जो 2005-2014के दौरान हुए एफडीआई प्रवाह का दोगुना है.

उन्होंने घोषणा की कि सरकार सदन के पटल पर अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में श्वेत पत्र पेश करेगी, ताकि यह पता चले कि वर्ष 2014तक हम कहां थे और अब कहां हैं. श्वेत पत्र का मकसद उन वर्षों के कुप्रबंधन से सबक सीखना है.

अर्थव्यवस्था पर पकड़

बजट में सरकार ने अर्थव्यवस्था पर अपनी पकड़ को बनाए रखने के संकेत दिए हैं और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों को जारी रखने का भरोसा भी जताया है. सरकार राजकोषीय अनुशासन पर ध्यान दे रही है, जो अर्थव्यवस्था की बुनियाद को मजबूत बनाता है.

चालू वित्तवर्ष (2023-24) में उधारियों के अलावा कुल प्राप्तियों का संशोधित अनुमान 27.56 लाख करोड़ रुपये है, जिनमें 23.24 लाख करोड़ रुपये की कर प्राप्तियां हैं. कुल व्यय का संशोधित अनुमान 44.90 लाख करोड़ रुपये है. 30.03 लाख करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्तियों के बजट अनुमान से अधिक रहने की आशा है, जो आर्थिक विकास की तेज गति को दर्शाता है.

वर्ष 2024-25 में उधारियों के अलावा कुल प्राप्तियां 30.80लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है और कुल व्यय 47.66 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. इसी तरह कर प्राप्तियां 26.02 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है. जीएसटी का कर आधार बढ़कर दोगुना हुआ और इस वर्ष औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रह बढ़कर लगभग दोगुना यानी 1.66लाख करोड़ रुपये हो गया.

नवोन्मेष पर ज़ोर

बजट में अनुसंधान और इनोवेशन पर एक लाख करोड़ का कोष बनाने की घोषणा, स्टार्टअप को मिलने वाले टैक्स छूट के विस्तार और राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखते हुए भी 2024-25के लिए पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) को 11.1प्रतिशत बढ़ाकर 11लाख 11हजार 111करोड़ रुपये किया गया है.

यह जीडीपी का 3.4प्रतिशत है और इस मद में इतिहास की सबसे बड़ी धनराशि है. पिछले चार वर्षों में कैपेक्स को तीन गुना बढ़ा देने से देश में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है.

इसके अलावा वित्तमंत्री ने कहा, पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को 50वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण की योजना इस वर्ष जारी रखी जाएगी और इसमें कुल परिव्यय 1.3लाख करोड़ रुपये का होगा.

राजकोषीय घाटा

चालू वित्तवर्ष (2023-24) के बजट में सरकार ने साल के अंत तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9प्रतिशत रखने और वित्त वर्ष 2025-26 तक 4.5 प्रतिशत से नीचे करने का लक्ष्य रखा था. अब वित्तमंत्री ने कहा है कि संशोधित राजस्व घाटा 5.8प्रतिशत ही रहेगा, जो कि बजट अनुमान से बेहतर है. 

उन्होंने कहा है कि 2024-25 में यह घाटा 5.1 प्रतिशत हो जाएगा. यानी सरकार ने सरकार ने पूरा प्लान दिया है कि कैसे इसे और घटाया जाएगा. राजकोषीय अनुशासन का मतलब है अर्थव्यवस्था में दूरगामी सुधार. उधारी कम होगी, जिसके कारण ब्याज कम देना होगा और संसाधन जनकल्याण के कार्यों पर लग सकेंगे.

लोकलुभावन नज़रिए से आयकर दाताओं के लिए इस बजट में किसी प्रकार का तोहफा नहीं है और सस्ता, महंगा की कोई सूची नहीं है. पूँजी निवेश के लिए बजट में इंसेटिव जरूर हैं. सरकार जल्द ही मध्यवर्ग के लिए आवासीय योजना शुरू करेगी. इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पूँजी निवेश को लगातार बढ़ाने के इरादे हैं.

raman

आवास योजना

प्रधानमंत्री आवास योजना के अलावा शहरी मध्यवर्ग के लिए आवास योजना का भी इसमें उल्लेख है. सरकार किराए के मकानों अथवा झुग्गी-झोपड़ी या चाल और अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले मध्यम वर्ग के पात्र लोगों को अपने मकान खरीदने या बनाने में सहायता करने के लिए योजना का शुभारंभ करेगी।

एक करोड़ सोलर पैनल हाउसहोल्ड को मुफ्त बिजली देने की सरकार की स्कीम है. रूफ टॉप सोलर योजना के तहत 300 यूनिट्स की बिजली लोगों को मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी.

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के संदर्भ में उन्होंने कहा कि कोविड की चुनौतियों के बावजूद इस योजना पर काम जारी रहा और सरकार तीन करोड़ मकानों का लक्ष्य प्राप्त करने के करीब है. अब अगले पाँच वर्षों में दो करोड़ अतिरिक्त मकानों का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा. पीएम आवास के तहत 70फीसदी घर महिलाओं को दिए गए हैं. 

लखपति दीदी

महिलाओं के लिए कई स्कीम चलाई जा रही हैं जिससे उनका आर्थिक और सामाजिक विकास हो रहा है. देश में लखपति दीदी योजना के तहत एक करोड़ लखपति दीदी हो चुकीं हैं. अब दो करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है.

सार्वजनिक स्वास्थ्य के बेहतर बनाने, आयुष्मान भारत कार्यक्रम में आशा और आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी शामिल करने और 9से 14साल की लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन लगाने की घोषणाओं को लोकलुभावन नहीं जन-कल्याणकारी मानना चाहिए. 

लोकलुभावन नहीं

इस बजट की तुलना 2019के अंतरिम बजट से करें, तो दोनों में बड़ा अंतर पाएंगे. उसमें गाँवों और किसानों के लिए तोहफों की भरमार थी और साथ ही तीन करोड़ आय करदाताओं के लिए खुशखबरी भी थी. कामगारों के लिए पेंशन भी.

2019के अंतरिम बजट में दो हेक्टेयर से कम जोत वाले किसानों को सालाना छह हजार रुपये की मदद देने की जो घोषणा की गई थी, जो राजनीतिक दृष्टि से तुरुप का पत्ता साबित हुई थी. ‘किसान सम्मान निधि’ से करीब 12करोड़ छोटे किसानों का भला हुआ.

इन्हीं परिवारों को उज्ज्वला, सौभाग्य और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का लाभ मिला. संयोग से उसके एक साल बाद देश को महामारी का सामना करना पड़ा, जिसके दौरान करीब 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त अनाज की योजना शुरू की गई, जो आज भी जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले नवंबर में यह भी कहा कि मुफ्त राशन योजना को पाँच साल के लिए बढ़ाया जाएगा.

raman

गाँव और किसान

किसानों को अपने ‘अन्नदाता’ बताते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि पीएम-किसान सम्मान योजना के अंतर्गत हर वर्ष सीमांत और छोटे किसानों सहित 11.8करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जबकि पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत चार करोड़ किसानों को फसल बीमा प्रदान किया गया है.

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना से 2.4लाख स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) और साठ हजार व्यक्तियों को ऋण सुविधा प्राप्त करने में सहायता मिली है. प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना से 38 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं और रोजगार के 10लाख अवसरों का सृजन हुआ है.

इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट ने 1361 मंडियों को एकीकृत कर दिया है और इसमें 3लाख करोड़ रुपये मूल्य का कारोबार हो रहा है एवं 1.8करोड़ किसानों को सेवाएं मिल रही हैं.

सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के संबंध में ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करने के लिए कार्य-नीति तैयार की जाएगी. इसमें अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक तकनीकों को अपनाने, बाजार संपर्कों, खरीद, मूल्य-वर्धन और फसल बीमा को शामिल किया जाएगा. नैनो यूरिया को सफलतापूर्वक अपनाए जाने के बाद विभिन्न फसलों पर नैनो डीएपी को अपनाया जाएगा.

उपलब्धियाँ

वित्तमंत्री ने इस बजट में पिछले दस साल की उपलब्धियों को गिनाया है. उनके अनुसार विकास कार्यक्रमों ने सभी के लिए आवास, हर घर जल, सभी के लिए बिजली, सभी के लिए रसोई गैस और रिकॉर्ड समय में सभी के लिए बैंक खाते का लाभ दिया गया है. पीएम मुद्रा योजना के तहत कुल 22.5लाख करोड़ रुपये के 43करोड़ लोन दिए हैं.

वित्तीय सेवाओं के जरिए प्रत्येक घर और व्यक्ति को वित्तीय रूप से सक्षम बनाने पर फोकस किया गया है. देश के 1.4करोड़ युवाओं को कौशल भारत मिशन का लाभ मिला है. 25करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकालने में मोदी सरकार को सफलता मिली है.

सरकार का समावेशी विकास पर फोकस है और गरीब, महिला, युवा, किसान के सशक्तिकरण पर जोर है. चार करोड़ किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ दिया गया है और पीएम स्वनिधि योजना के तहत 78लाख वेंडर्स को मदद की गई है. 34लाख करोड़ रुपये जनधन के जरिए सीधे पैसा ट्रांसफर किया जा चुका है.

raman

इंफ्रास्ट्रक्चर

वित्तमंत्री ने कहा कि 10साल में देश में एयरपोर्टों की संख्या दोगुनी कर दी गई है. देश में 1000से अधिक नए विमानों री खरीद का ऑर्डर दिया गया है. इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 11लाख 11हजार 111 करोड़ रुपये का खर्च होगा और इसके खर्च में 11फीसदी का इजाफा किया जा रहा है.

अब रेलवे का बजट भी आम बजट का हिस्सा होता है. रेलवे के लिए पूंजीगत व्यय  के रूप में 2.55लाख करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गई है. वित्तमंत्री ने रेलवे के लिए तीन नए कॉरिडोर एनर्जी, मिनरल और सीमेंट कॉरिडोर, पोर्ट कनेक्टिविटी कॉरिडोर और एक हाई ट्रैफिक डेंसिटी कॉरिडोर की घोषणा भी की.

मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए पीएम गति शक्ति स्कीम के तहत इन कॉरिडोर की पहचान की गई थी. ये कॉरिडोर लागत कम करेंगे और कार्य-क्षमता में सुधार करेंगे. वित्तमंत्री ने यह भी घोषणा की कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा में सुधार के लिए 40,000बोगियों को वंदे भारत स्टैंडर्ड में परिवर्तित किया जाएगा.

( लेखक दैनिक हिन्दुस्तान के संपादक रहे हैं )


ALSO READ गज़ा में लड़ाई भले न रुके, इसराइल पर दबाव बढ़ेगा