हरजिंदर
यह माना जाता है कि सांप्रदायिक राजनीति का सबसे पहला हमला एक इंसान से दूसरे इंसान के रिश्तों पर होता है. यह राजनीति अक्सर प्रेम विवाह को कटघरे में खड़ा करती है. पिछले कुछ समय में हम लव जिहाद के आरोप और इसके नाम पर हिंसा के बहुत सारे खेल देख चुके हैं.
कुछ राज्यों ने तो इसे लेकर बाकायदा कानून तक बना दिए हैं, लेकिन इससे इस विवाद को तूल देना कम नहीं हुआ.अब इसी तरह का एक नया विवाद केरल में शुरू हुआ है.
वहां पर सुन्नी युवजन संगम के राज्य सचिव नजीर फैजी ने आरोप लगाया है कि राज्य में सरकार चला रही माक्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी माकपा और इसके संगठन जबरदस्ती अंतरधार्मिक शादिया करा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इसके लिए मुसलमान लड़कियों का ब्रेन वाॅश किया जाता है. उनकी शादी दूसरे धर्मों के लोगों से करा दी जाती है. लव जिहाद के आरोप लगाने वालों की तरह ही उन्होंने भी माकपा की धर्मनिरपेक्षता को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है.
हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसका खंडन करते हुए कहा है. उनकी पार्टी सरकार चला रही है, वह कोई मैरिज ब्यूरो नहीं चला रही.नजीर फैजी ने एक और बात कही है जो ध्यान देने योग्य है.
उनका कहना है कि माकपा के संगठन ‘माई बॉडी, माई च्वाइस‘ का नारा लगाते हैं, जो आपत्तिजनक है . हम उसका विरोध करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि ‘माई बाॅडी, माई च्वाइस‘ का नारा न तो माकपा ने या दुनिया कि किसी माक्सवादी संगठन ने गढ़ा है.
यह दुनिया के महिला आंदोलन का नारा है जिसका कहना है कि अपने जीवन और शरीर पर खुद महिला का अधिकार है . कोई दूसरा इस बारे में फैसला नहीं कर सकता. दरअसल, इस बात को उठा कर नजीर फैजी ने उस ओर इशारा कर दिया है जो इस समस्या का जड़ है.
अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार कन्वेंशन की तरह ही भारत का संविधान भी सभी पुरुषों और महिलाओं को अपने बारे में फैसला करने का पूरा अधिकार देता है.
कट्टरपंथी संगठन चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों न हों, उनकी दिक्कत यह है कि वे महिलाओं को किसी भी तरह से अपने बारे में फैसला करने का अधिकार नहीं देना चाहते.
वे चाहते हैं कि महिलाएं उन्हीं परंपराओं से बंधी रहें जो समाज में हर तरह से पुरुष का वर्चस्व बनाती हैं.पिछले कुछ समय में जिस तरह से शिक्षा का स्तर बढ़ा है लोगों के नजरिये में बदलाव हुआ है.
महिलाओं ने अपने बारे में सोचना शुरू किया है. वे अपने फैसले खुद लेने की कोशिश भी करने लगी हैं. यही वह बदलाव है जो हर तरह के कट्टरपंथियों को चुभता है. वे धार्मिक आधार पर ही सही प्रेम विवाद का किसी भी तरह से विरोध करते हैं.
कुछ समय पहले मध्य प्रदेश के एक विधायक ने तो यहां तक मांग की थी कि ऐसी शादियों को रोकने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए जो मां-बाप की मर्जी से नहीं हो रहीं. सांप्रदायिक राजनीति की सोच में प्रेम सबसे बड़ा गुनाह है और प्रेम विवाह सबसे बड़ा पाप.
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )