राजेश तैलंग की पुस्तक ‘चाँद पे चाय’ के दूसरे संस्करण का पुस्तक मेले में जोर

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] • 1 Years ago
राजेश तैलंग की पुस्तक ‘चाँद पे चाय’ के दूसरे संस्करण का पुस्तक मेले में जोर
राजेश तैलंग की पुस्तक ‘चाँद पे चाय’ के दूसरे संस्करण का पुस्तक मेले में जोर

 

मंजीत ठाकुर

नयी दिल्ली के प्रगति मैदान परिसर में हो रहे विश्व पुस्तक मेला 2023 के अवसर पर वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘साहित्य घर उत्सव’ में सोमवार को कई नई पुस्तकों का लोकार्पण किया गया.

 

गोपेश्वर जी की पुस्तक ‘आलोचना का अवलोकन’, प्रतिष्ठित आलोचक औऱ सम्पादक शंभुनाथ की तीन नयी आलोचनात्मक पुस्तकें, ‘भक्ति आंदोलन और उत्तर-धार्मिक संकट’, ‘भारतीय नवजागरण एक असमाप्त सफर’ और ‘हिन्दी नवजागरण भारतेंदु और उनके बाद’, दिव्या माथुर का उपन्यास ‘तिलिस्म’, वंदना यादव का भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित उपन्यास ‘शुद्धि’, युवा कवि एवं उपन्यासकार लवली गोस्वामी का पहला तिसिस्मी उपन्यास ‘वनिका’, पूनम अरोड़ा का रज़ा फाउंडेशन के साथ प्रकाशित कविता संग्रह ‘कामनाहीन पत्ता’ औऱ युवा कवि मोहित कटारिया का कविता संग्रह ‘कच्चे रंग’ औऱ साथ ही चर्चित कलाकार व कवि राजेश तैलंग के कविता संग्रह ‘चाँद पे चाय’ के दूसरा संस्करण का भी लोकार्पण हुआ.

 

मिर्जापुर, डेल्ही क्राइम, देव, हजार चौरासी की माँ आदि फिल्मों एवं वेब सीरीज़ में काम करने वाले अभिनेता राजेश तैलंग का काव्य संग्रह ‘चांद पे चाय’ का दूसरे संस्करण के लोकार्पण में उन्होंने अपने एक अभिनेता से कवि बनने के सफर के बारे में बताया.

 

कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी निरुपमा कोटरु ने राजेश तेलंग की कविताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि “उनकी कविताएँ जीवन के हर पक्ष के छूती हैं.”

 

गोपेश्वर सिंह की नयी पुस्तक ‘आलोचना का अवलोकन’ का लोकार्पण हुआ जिसमें प्रतिष्ठित आलोचक औऱ सम्पादक शंभुनाथ ने अपने विचार वयक्त किए. उन्होंने कहा, “यह समय अपने भीतर के आलोचक को बचाने का है हर नागरिक को न सिर्फ अति आत्ममुग्धता से बचना चाहिए बल्कि आवारा भीड़ का हिस्सा बनने से भी खुद को बचाना चाहिए. इसी प्रतिबद्धता के साथ गोपेश्वर जी का विराट आलोचनात्मक जीवन विमर्श और विषयों की विविधता का कोलाज है.”

 

कार्यक्रम के अगले क्रम में दिव्या माथुर के उपन्यास ‘तिलिस्म’ का लोकार्पण हुआ. उपन्यास  के विषय में गीताश्री ने बताया कि आजादी के बाद पैदा हुई पीढ़ी के बहुमुद्दों को लेकर चलाने वाला उपन्यास है.

 

मधु चतुर्वेदी ने कहा कि “यह उपन्यास सामाजिक विरोधाभासों का वर्णन बारीकी से करता है.”