हिंदी को लेकर विवाद: मराठी साहित्य परिषद ने त्रिभाषा फॉर्मूले का किया विरोध

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 19-06-2025
Controversy over Hindi: Marathi Sahitya Parishad opposed the three language formula
Controversy over Hindi: Marathi Sahitya Parishad opposed the three language formula

 

पुणे


अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा कक्षा 1 से 5 तक के लिए त्रिभाषा फॉर्मूला अपनाने के निर्णय का विरोध किया है। परिषद का कहना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) इस प्रकार की व्यवस्था की सिफारिश नहीं करती।

मंगलवार को राज्य सरकार द्वारा जारी एक संशोधित शासनादेश (GR) में कहा गया था कि कक्षा 1 से 5 तक हिंदी "सामान्यतः" तीसरी भाषा होगी। इस आदेश पर कांग्रेस और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने भी विरोध जताया है।

महामंडल ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा, “नई शिक्षा नीति में स्पष्ट उल्लेख है कि तीसरी भाषा कक्षा 6 से पढ़ाई जानी चाहिए। लेकिन राज्य सरकार इससे पहले ही हिंदी को लागू कर रही है।”

संगठन ने यह भी सवाल उठाया कि जब कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और उच्च कक्षाओं के छात्र कक्षा 2 की मराठी पुस्तकें भी ठीक से नहीं पढ़ पाते, तो तीसरी भाषा अनिवार्य करने की क्या आवश्यकता है?

बयान में यह दावा किया गया कि “शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के बजाय तीसरी भाषा को थोपने का प्रयास किया जा रहा है।”

हालांकि, शासनादेश में यह विकल्प दिया गया है कि छात्र हिंदी के स्थान पर कोई अन्य भारतीय भाषा चुन सकते हैं, लेकिन वास्तविकता में यह मुश्किल होगा क्योंकि संबंधित भाषा के शिक्षक उस राज्य से लाने पड़ेंगे, जो व्यावहारिक रूप से कठिन है।

महामंडल ने यह भी दावा किया कि उनका हिंदी का विरोध सांस्कृतिक कारणों से है, क्योंकि “मराठी भाषा पर हिंदी का अतिक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है।”

महामंडल ने यह भी पूछा कि जब अन्य किसी राज्य में कक्षा 1 से हिंदी अनिवार्य नहीं है, तो महाराष्ट्र में यह नीति क्यों अपनाई जा रही है?

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा, “हमने पहले हिंदी को अनिवार्य किया था, लेकिन अब जारी GR में यह बाध्यता हटा दी गई है... अब छात्र किसी भी भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में चुन सकते हैं।