प्रसिद्ध कहानीकार डॉ रखशंदा रूही मेंहदी की माता का निधन

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 04-02-2023
प्रसिद्ध कहानीकार डॉ रखशंदा रूही मेंहदी की माता का निधन
प्रसिद्ध कहानीकार डॉ रखशंदा रूही मेंहदी की माता का निधन

 

देवबंद

जानी-मानी लेखिका डॉ. रखशंदा रूही मेंहदी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया दिल्ली के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अदील मेहदी और यूनियन प्रकाशन देवबंद के मालिक फैसल मेहदी की माता खुर्शीद तलत का गुरुवार को निधन हो गया.
 
उनका निधन उनके मोहल्ला महल स्थित आवास पर हुआ. वह करीब 80 वर्ष की थीं और देवबंद के विद्वान परिवार की बहू थीं. वह प्रसिद्ध पत्रकार व लेखक स्वर्गीय जमील मेहदी के छोटे भाई और प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय अकील महदी की पत्नी थीं.
 
वह “आपा ख़ुर्शीदा “ के नाम से जानी जाती हैं. उनके अचानक निधन की खबर से शहर में शोक की लहर दौड़ गई. बड़ी संख्या में शहर के प्रमुख पुरुष और महिलाएं उनके निवास पर एकत्रित हुए.वह एक समाजसेवी, समर्पित, धर्मपरायण और गरीब-प्रिय महिला थीं. उनका पूरा जीवन नई पीढ़ी को प्रशिक्षित करने और महिलाओं के जीवन में सुधार करने, बच्चों को पवित्र कुरान और धर्मशास्त्र सिखाने के साथ गरीबों का विशेष ध्यान रखने और दीन-दुखियों की मदद करने में बीता.
 
मात्र 28 वर्ष की आयु में विधवा हो जाने के बाद उन्हांने अपना पूरा जीवन धैर्य और आत्मसम्मान के साथ जिया. उनके दर से ज़रूरतमंद कभी खली हाथ ना लौटते थे. दारुल उलूम के परिसर में अस्र की नमाज के बाद मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने जनाजे की नमाज अदा कराई.
 
बाद में कासमी कब्रिस्तान में उनहे दफनाया गया. जनाजे की नमाज में नायब-ए-मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी, मुआविया अली, प्रख्यात उलेमा मौलाना नदीम अल-वज्दी, डॉ. ओबैद इकबाल आसिम, मौलाना मुहम्मद मदनी, मौलाना मोदूद मदनी, मुस्लिम फंड मैनेजर सोहेल सिद्दीकी शामिल हुए.
 
सैयद आसिफ हुसैन, अदील सिद्दीकी, ईदगाह, अनस सिद्दीकी, हाफिज अब्दुल खालिक, उमीर अहमद उस्मानी, सलीम उस्मानी, साद सिद्दीकी, मौलाना मसूद मदनी, मौलाना हुसैन मदनी, सैयद जहीन अहमद, मुफ्ती याद-ए-इलाही, हकीम फरुख़  जमाल मौलाना दिलशाद कासमी, कारी फौजान, कारी वामीक, मौलाना कदरुल जमां, कासमी, हाजी रियाज महमूद, आजम नुमदार, अनवर इंजीनियर, सैयद वजाहत शाह, नजम उस्मानी और शहर की अनेक प्रमुख हस्तियों के साथ बड़ी तादाद मी लोगों ने नमाज-ए-जनाजा में शिकरत की. स्वर्गया को एक दयालु, साहसी व परोपकारी महिला के रूप में सदा याद रखा जाएगा.