केरल के 104 वर्षीय अब्दुल्ला मौलवी बने डिजिटल साक्षरता के प्रतीक, राज्य को डिजिटल साक्षर का दर्जा

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 17-08-2025
104-year-old Abdullah Maulvi of Kerala becomes a symbol of digital literacy, the state will get the status of 'first digitally literate state'
104-year-old Abdullah Maulvi of Kerala becomes a symbol of digital literacy, the state will get the status of 'first digitally literate state'

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम


एर्नाकुलम जिले के असमन्नूर के एम. ए. अब्दुल्ला मौलवी 104 वर्ष की आयु में भी सोशल मीडिया पर अपनी पसंदीदा रील चुनने और यूट्यूब पर समाचार देखने में पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं. अपने बेटे के स्मार्टफोन पर प्रार्थना गीत खोजते हुए या विदेश में रह रहे पोते से वीडियो कॉल करते समय उनका चेहरा गर्व और खुशी से दमक उठता है.

अब्दुल्ला, केरल सरकार के ‘डिजी केरलम’ अभियान के तहत डिजिटल शिक्षा प्राप्त करने वाले उन 22 लाख लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने राज्य में डिजिटल क्रांति को नई दिशा दी है.

79 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर सरसु, जो पहले डिजिटल शिक्षा के खिलाफ थीं, आज अपना यूट्यूब चैनल चला रही हैं. वहीं, 80 वर्षीय सुलोचना अब बिना मदद के सरकारी सेवाओं का लाभ सीधे अपने मोबाइल पर लेती हैं.

अधिकारियों के अनुसार, 99.98 प्रतिशत शिक्षार्थियों के बुनियादी डिजिटल कौशल हासिल करने के साथ, केरल अब देश का ‘पहला डिजिटल साक्षर राज्य’ घोषित होने जा रहा है.

यह महत्वाकांक्षी अभियान 22 सितंबर 2022 को स्थानीय स्वशासन विभाग (एलएसजीडी) द्वारा शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य 1991 के ऐतिहासिक संपूर्ण साक्षरता आंदोलन की तर्ज पर राज्य को पूर्ण डिजिटल साक्षर बनाना है.

इसके तहत, डिजिटल रूप से निरक्षर व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें स्मार्टफोन का उपयोग, ऑनलाइन सरकारी सेवाओं तक पहुंच और डिजिटल उपकरणों के प्रयोग का प्रशिक्षण दिया गया.

एलएसजीडी मंत्री एम. बी. राजेश ने बताया कि 83,45,879 परिवारों के सर्वेक्षण के बाद पहचाने गए 21,87,677 डिजिटल रूप से निरक्षर व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन 21 अगस्त को तिरुवनंतपुरम के सेंट्रल स्टेडियम में आयोजित समारोह में केरल को डिजिटल रूप से पूर्ण साक्षर राज्य घोषित करेंगे.

राजेश ने कहा, “डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम उसी तरह लागू किया गया है, जैसे दशकों पहले संपूर्ण साक्षरता आंदोलन लागू किया गया था.”उन्होंने यह भी बताया कि डिजिटल शिक्षा पाने वालों में 15,000 से अधिक लोग 90 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं, जिनमें अब्दुल्ला मौलवी जैसे प्रेरणास्रोत भी शामिल हैं.

अब्दुल्ला के बेटे फैजल ने कहा, “डिजिटल शिक्षा ने इस उम्र में भी उनके जीवन को बेहद आसान बना दिया है. अब वह यूट्यूब पर समाचार देखते हैं और आसानी से विदेश में पोते से वीडियो कॉल कर पाते हैं.”