आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
आज के डिजिटल युग में बच्चे स्मार्टफोन, ऑनलाइन क्लास, गेमिंग और स्ट्रीमिंग के बीच लगातार मल्टीटास्क करते रहते हैं—चाहे वह होमवर्क के बीच का ब्रेक हो या सोने से ठीक पहले का समय।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में हुए शोध ने चेतावनी दी है कि अतिरिक्त स्क्रीन टाइम न केवल बच्चों की एकाग्रता और मूड पर असर डाल रहा है, बल्कि यह उनके हृदय स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है।
जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित एक नई स्टडी में पाया गया कि स्क्रीन पर बिताया गया हर अतिरिक्त घंटा—चाहे वह सोशल मीडिया स्क्रॉल करना हो या वीडियो गेम खेलना—बच्चों और किशोरों में कार्डियो-मैटाबॉलिक जोखिम बढ़ा देता है।
अगर आप अपने बच्चों का स्क्रीन टाइम घटाना चाहते हैं और साथ ही उनके दिल को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो इन आसान उपायों को अपनाया जा सकता है—
स्कूल से जुड़े काम को छोड़कर बच्चों के मनोरंजन के लिए स्क्रीन का उपयोग दिन में 2 घंटे से कम रखें। इससे उनका कुल स्क्रीन टाइम घटेगा।
दिन के कुछ समय या घर के कुछ हिस्सों को नो-स्क्रीन एरिया बनाएं—जैसे खाने की मेज़, नमाज़/प्रार्थना, ध्यान, व्यायाम या सोने से पहले का समय।
यह आदत नींद लाने वाले हार्मोन को सक्रिय रूप से काम करने देती है और गहरी नींद में मदद करती है। टीवी या मोबाइल की जगह बच्चों को उनकी मातृभाषा में कहानियां सुनाएँ, जिससे भावनात्मक जुड़ाव भी मज़बूत होगा।
बाहर खेलने या घर के अंदर शारीरिक गतिविधियों का समय तय करें। यह न केवल समय बिताने का अच्छा तरीका है बल्कि दिल की सेहत भी सुधारता है।
बच्चे वही करते हैं जो वे देखते हैं। अगर आप लगातार फोन पर रहते हैं, तो उन्हें यह सामान्य लगेगा। पारिवारिक समय में फोन दूर रखें और मिलकर खाना पकाएं, बोर्ड गेम खेलें या छोटी सैर पर जाएं।
अधिकांश स्मार्टफोन और टैबलेट में पैरेंटल कंट्रोल फीचर मौजूद होता है। रोज़ाना स्क्रीन टाइम की सीमा तय करें या डिवाइस के लिए डाउनटाइम शेड्यूल सेट करें।