नहीं टूट सकती देश की एकता...

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 17-04-2021
नहीं टूट सकती देश की एकता...
नहीं टूट सकती देश की एकता...

 

मलिक असगर हाशमी / जफर इकबाल / नई दिल्ली / जयपुर

कौन कहता है, झूठे-सच्चे नारों और अनर्गल प्रलाप से देश की एकता दरक जाएगी. यह सब क्षणिक है. देश की अखंडता इतनी आसानी से नहीं टूटने वाली. मुसीबतों में हम और मजबूत हो जाते हैं. कई मौकों पर यह साबित किया है  और अब कोरोना महामारी में हम पुराना इतिहास दोहरा रहे हैं. 
 
महामारी से निपटने में जहां सरकारें पुरजोर तरीके से लगी हैं, वहीं बड़ी संख्या में लोग अपने प्रयासों से भी बीमारी को थका कर मारने की कोशिश कर रहे हैं. यकीन न आए तो यहां कुछ बानगी प्रस्तुत है...
jaipur

महिलाओं की जान बचाने को तोड़ दिया रोजा

 

कोरोना के कहर के बीच राजस्थान में इंसानियत की अनूठी मिसाल देखने को मिली है. उदयपुर के अकील मंसूरी ने दो महिलाओं की जान बचने के लिए अपना रोजा तोड़ दिया. रमजान के पवित्र महीने में उदयसागर चैराहा निवासी 32 वर्षीय अकील मंसूरी ने अनूठा उदहारण पेश किया है. उनका कहना है, ‘‘किसी की सेवा करना अल्लाह की इबादत ही है.’’
 
अकील ने कोरोना पीड़ित दो महिलाओं की जिंदगी बचाने के लिए न केवल अपना रोजा तोड़ा, तीसरी बार प्लाज्मा डोनेट किया है. दरअसल, शहर के एक निजी अस्पताल में चार दिन से भर्ती छोटी सादड़ी की 36 वर्षीय निर्मला और दो दिन से भर्ती ऋषभदेव निवासी 30 वर्षीय अलका की तबियत ज्यादा खराब हो गई. दोनों महिलाएं ऑक्सीजन पर थीं. दोनों का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था. उन्हें प्लाज्मा डोनर चाहिए था. 
 
डॉक्टर ने तुरंत व्यवस्था करने को कहा, लेकिन बंदोबस्त नहीं हो पाया. इस बीच रक्त युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं तक सूचना पहुंची. वे प्लाज्मा की तलाश में जुट गए. तब मालूम हुआ कि अकील मंसूरी 17 बार रक्तदान कर चुके हैं. उनका ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव है. दोनों महिलाओं को ए पॉजिटिव ब्लड का प्लाज्मा चाहिए था. वाहिनी के अर्पित कोठरी ने उनसे प्लाज्मा देने का निवेदन किया. अकील रोजा से थे. 
 
वे प्लाज्मा डोनेट करने पहुंचे , लेकिन डॉक्टर ने कहा कि खाली पेट प्लाज्मा नहीं ले सकते. तब अकील ने रोजा तोड़ दिया. उसके बाद अल्लाह का शुक्र अदा किया की उनकी जिंदगी किसी के काम आई. उन्होंने नाश्ता किया. फिर डॉक्टर ने उनका एंटी बॉडी टेस्ट किया और प्लाज्मा लिया. अकील ने तीसरी बार प्लाज्मा डोनेट किया है.
 
 उन्होंने  कहा कि मेरे पास फोन आने पर मैं प्लाज्मा डोनेट करने पहुंचा गया. लेकिन डॉक्टर ने भूखे पेट प्लाज्मा लेने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि अल्लाह की इबादत किसी की सेवा करना भी है.  अकील के इस कदम से शहर के लोग उनकी सराहना कर रहे हैं.
 

सोनू रस्तोगी ने मुस्लिम महिला की खून देकर बचाई जान

 
एक तरफ जहां देश भर में धर्म और जाति को लेकर इंसान ही इंसान का खून बहा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे नेक इंसान भी हैं जो अपना खून देकर ई इंसानियत का पैगाम देते हैं-
बिजनौर नगर निवासी सोनू रस्तोगी भी ऐसे ही एक नेक बन्दे हैं जो समय समय पर अपना खून देकर लोगो की जान बचाने के लिए जाने जाते हैं. इस बार भी अपने जन्मदिन पर सोनू ने एक मुस्लिम महिला को खून देकर न जान बचाई.
 
शुक्रवार को सोनू रस्तोगी का जन्मदिन था उनके परिजन इसी खुशी में पूजा पाठ कर शाम के जश्न की तैयारी में थे इसी बीच सोनू को सूचना मिली कि नगर की ही एक बीमार महिला को जो कि मुरादाबाद भर्ती हैं को उनके खून की बहुत सख्त जरूरत है तो वह अपने परिजनों को निराश छोड़ तुरन्त मुरादाबाद पहुंचे और अपना रक्तदान कर महिला की जान बचाई. जिसके बाद महिला व उनके परिजनों ने अपनी तमाम कीमती दुआओं से सोनू को नवाजा.
 
nagpur

 

नागपुर के वसीम बेसहारों के साथी

 

कोरोना से महाराष्ट्र में त्राहिमाम मचा है. नागपुर में भी कोरोना मामले तेजी से बढ़े हैं. क्या अमीर, क्या गरीब-महारोग किसी को नहीं छोड़ रहा है. इस मुसीबत की घड़ी में गरीबों और असाहयों को दोहरी मार पड़ रही है. एक तो रोग, उपर से इतने पैसे नहीं कि बड़े अस्पतालों में इलाज कराएं. मुसीबत की इस घड़ी में उनके बीच फरिश्ता बनकर आए हैं वसीम शेख.
 
हैं तो युवा कांग्रेस में, पर संगठन से इतर उन्होंने फिल्हाल निर्धन और असाहय कोरोना मरीजों की सहायता केलिए खुद को रिजर्व कर दिया है. सरकारी अस्पतालों में घूमकर गरीब और असहाय रोगियों की मदद करते हैं. दवाई वगरह का इंतजाम कराते हैं. यदि अस्पताल में दाखिले में दिक्कत आए तो मेडिकल स्टाफ से लड़-भिड़कर उन्हें बेड दिलवाते हैं. वह कहते हैं,‘‘इसमें धर्म, जाति नहीं देखता.’’
kafeel

 

हरजीत और कफील की अलग कहानी

 

 

जब से यह पता चला कि कोरोना हवा से भी फैलता है डाॅक्टरों ने माॅस्क लगाने पर जोर देना शुरू कर दिया है. इस बार बच्चे भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में डाॅक्टर हरजीत और डाॅक्टर कफील खान ने स्लम में काॅस्क पहनने को लेकर जागरूकता अभियान शुरू कर दिया है.

 
गरीब और निर्धन इसके प्रति जागरूकता नहीं हैं. ऐेसे में डाॅक्टर हरजीत और डाॅक्टर कफील ने उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में ‘डाॅक्टर आॅन व्हील’ अभियान चलाया हुआ है. मलिन बस्तियों में जाते हैं. उनके लोगों को मास्क लगाने की अहमियत समझाते हैं. विशेषकर बच्चों को जागरूक करते हैं.
 
उन्हें ओथ लेते हैं और उनके बीच माॅस्क का वितरण करते हैं. यहां उल्लेखनीय है कि डाॅक्टर कफील कुछ मामलों में विवादास्पद रहे हैं, पर मास्क को लेकर जागरूकता अभियान बहुत खामोशी से चला रहे हैं.
gujrat

 

साथी हाथ बटाना साथी रे 

 

कोरोना ने गुजरात को हिला कर रख दिया है. पिछले एक सप्ताह से इस प्रदेश में लगातार मौतें हो रही हैं. पिछले साल की तरह इस बार भी कोरोना से होने वाली मौतों को लेकर हालात अच्छे नहीं हैं. मरने पर अपने ही अंतिम संस्कार को आगे नहीं आते.
 
मगर क्रिकेटर पठान बंधु के शहर वदोदरा में पानी गेट मुस्लिम यंग ग्रुप के सदस्य फरिश्ता बनकर सामने आए हैं. रोजा रखकर लोगों का अंतिम संस्कार कराते हैं. शवकों को शवदाहगृह ले जाते हैं और अपने हाथों से उनका अंतिम संस्कार करते हैं.
rss

रोटी न देखे धर्म

 

भूख का कोई धर्म नहीं होता. इसी तरह इंसानियत जाति-धर्म देखकर नहीं की जाती. ऐसा ही नजारा आजकल वायरल हो रहे एक वीडियो में दिख रहा है. यह वीडियो किसी रेलवे स्टेशन का है. इसमें राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के कुछ कार्यकर्ता राहत सामग्री का पोटली लिए एक मुसाफिर ट्रेन के आगे भागते नजर आ रहे हैं. ट्रेन के हर बोगी में हरे रंग की राहत की पोटली डालते दिखाई देते हैं. यह नहीं देखते कि पोटली लेने वाला हिंदू है या मुसलमान अथवा किसी और धर्म का.
 
 दरअसल, देश के बड़े शहर में लाॅक डाउन का सिलसिला शुरू होते ही प्रवासी मजदूरों के पलायन का क्रम भी चल पड़ा है. ट्रेनों एवं बसों में भरकर वे अपने गांव, घर की ओर चल पड़े हैं. ऐसे लोगों को भोजन, पानी उपलब्ध कराने के लिए फिर कई संगठन आगे आए हैं. आरएसएस भी पहले की तरह इस काम में लगा है.