The taste of Dal Baati Churma of Rajasthan reaches abroad, Brijvasis offer it in the temple
दयाराम वशिष्ठ/ फरीदाबाद, हरियाणा
दाल बाटी चूरमा' राजस्थान राज्य का एक पारंपरिक व्यंजन है. अब देश विदेश तक में इसका जायका लोगों की जुबां पर चढ़ रहा है. विदेशी मेहमान भले ही यहां आकर लग्जरी पांच सितारा व हेरिटेज होटलों रूकते हैं, पर खाने में अब उनकी पहली पसंद पनीर और लच्छा पराठा न होकर पारंपरिक दाल बाटी और चूरमा बन गया है. फरीदाबाद के सूरजकुंड मेले में इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिलता है, जब विदेशी मेहमान देशी घी में बने इस व्यंजन के जायका का भरपूर आनंद लेते हैं.

मंदिरों में भी भगवान को चूरमा प्रसाद का लगता है भोग
राजस्थान ही नहीं अब चूरमा के प्रसाद का देश के विभिन्न इलाकों के प्रसिद्ध मंदिरों में भी भोग लगाया जाने लगा हैं. राजस्थान में प्रसिद्ध व्यंजन दाल बाटी चूरमा का आयोजन धार्मिक अवसरों, मकर संक्रांति, दिवाली, विवाह समारोह, गृह प्रवेश, और जन्म दिन जैसे हर खुशी के मौके पर किया जाने लगा है, लेकिन अब देश के विभिन्न राज्यों में भी यह लोगों का पसंदीदा व्यंजन बन गया है.
माता रूक्मणी के मंदिर के बाहर भी श्रद्धालु बांटते रहे चूरमा
गुजरात के द्वारका में मां रूक्मणी मंदिर में जब संवाददाता दर्शन करने पहुंचे तो वहां पर श्रद्धालु श्रद्धाभाव से चूरमा प्रसाद बांट रहे थे. सुनील ने बताया कि मां की असीम कृपा से वे चूरमा प्रसाद बांट रहे हैं. ग्रेटर फरीदाबाद के गांव पलवली से पहुंची हेमा ने बताया कि मां की कृपा से उन्हें भी चूरमा प्रसाद ग्रहण करने का सुअवसर मिला.
अजमेर के रहने वाले ओमप्रकाश तिवारी ने बताया दाल बाटी चूरमा का प्रसाद अब राजस्थान में ही नहीं, अपितु हरियाणा समेत कई राज्यों के लोगों का पसंदीदा बन गया है. राजस्थान में होने वाली गणेश पूजा में भी चूरमा का भोग लगाया जाता है. राजस्थान के रहने वाले कानूनगो धनेश कुमार कहते हैं कि हनुमान मंदिरों में इसी व्यंजन का भोग लगाया जाता है.
यहां तक कि गोवर्धन पूजा के दौरान बृजवासी चूरमा से ही भोग लगाते हैं. इसी तरह, खाटू श्याम, सालासर बालाजी, रुद्रावल समेत हनुमान के प्रसिद्ध मंदिरों में भी दाल बाटी चूरमा का ही भोग लगाया जाता है. प्रभु को लगाए जाने वाले 56 प्रकार के भोग में भी चूरमा बाटी का यह प्रसाद शामिल किया जाता है.
इस व्यंजन को एक आकस्मिक अविष्कार माना जाता है. प्रचलित कहानियों के अनुसार, एक युद्ध के दौरान एक बावर्ची ने गलती से गन्ने के रस को बाटी में डाला दिया था, इसके बाद चूरमा ईजाद हुआ.
जबकि एक कहानी के अनुसार, गृहणियां बाटी को गुड़ या चीनी के पानी में डाल देती थी ताकि उनके पति जब खाने पर आये तो ये नरम और ताज़ा रहे. अधिक घी का स्वाद इसे और भी बेहतर स्वाद बना देता है. बीकानेर, जोधपुर, दियातरा, जयपुर, जैसलमेर और बूंदी शहर भी इस राजस्थानी पकवान के लिए प्रसिद्ध हैं. यह ऊत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी लोकप्रिय है.
स्वादिष्ट होने के साथ साथ हेल्दी भी होता है यह व्यंजन
दाल बाटी चूरमा तीन डिशेज से मिलकर बनने वाली में एक स्वादिष्ट रेसिपी है, जिसमें मसालेदार पंचमेल दाल के साथ बाटी और चूरमा का आनंद लिया जाता है. यह डिश स्वादिष्ट होने के साथ ही हेल्दी भी है क्योंकि इसमें गेहूं और दालों के गुण मौजूद होते हैं और आखिर में चूरमे एक कॉम्प्लिमेंट्री मिठाई के रूप में परोसा जाता है. आज यह डिश राजस्थान की पहचान है और लोग बड़े ही चाव के साथ इसका लुत्फ उठाते हैं.
दाल बाटी चूरमा की बढ़ रही है निरंतर मांग
डीग राजस्थान के हलवाई जीतम का कहना है कि अब दाल बाटी चूरमा की मांग निरंतर बढ़ रही है. उन्हें हरियाणा, यूपी व राजस्थान से लगातार काम मिल रहा हैं. पहले राजस्थान में ज्यादा मांग थी, अब अन्य प्रदेशों में भी यह पसंदीदा व्यंजन बन गया है. यही कारण है कि इनके कारीगरों की भी होटल व रेस्टोरेंट में मांग बढ़ी है.