राजेश / फरीदाबाद
अगर इंसान के हौंसले बुलंद हो, तो फरिश्ते भी मदद करते हैं. मेहनत की जाए, नामुमकिन काम भी मुमकिन हो जाता है. यह साबित कर दिखाया हैं उत्तरप्रदेश के जिला बुलंदशहर के खुर्जा इलाके में रहने वाले 45 वर्षीय फिरोज ने. फिरोज को बचपन से ही कुछ खास करने का शौक था. वह बचपन में ही मिट्टी के खिलौने खेल-खेल में बना दिया करते थे. जब बड़े हुए, तो उन्होंने इसे कुदरत का तोहफा माना और इसी को पेशा बना लिया. अब वे चीनी मिट्टी के बर्तन, फेंसी आयटम और कलाकृतियों के कामयाब व्यवसायी बन चुके हैं.
अपने बचपन के शौक कारण फिरोज ने अपने गृहनगर चीनी मिट्टी के बर्तन और कलाकृतियां बनाना सीखना शुरू किया. गौरतलब है कि बुलंदशहर के खुर्जा में राजा फिरोज शाह तुगलक के शासनकाल से, पारंपरिक मिट्टी के बर्तन का निर्माण चला आ रहा है. यह सिरेमिक बर्तन नीली कला के प्रदर्शन के साथ शुरू हुआ. बर्तन उद्योग में जिले के करीब 350 इकाइयां हैं. ये इकाइयां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हजारों रोजगार उत्पन्न करती हैं.
इस तरह फिरोज कुछ ही समय की मेहनत के बाद एक उत्कृष्ठ शिल्पी बन गए. इसी की बदौलत उन्हें एक मुकाम हासिल करने में कामयाबी मिली है. सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में उनके भाई आमिर और सूफियान द्वारा उनके उत्पादों का स्टॉल लगाया गया है.
फिरोज के सबसे छोटे भाई सूफियान ने बताया कि बड़े भाई फिरोज को चीनी मिट्टी के बर्तन, फेंसी आयटम और अन्य कलाकृतियां बनाते देखकर उन्होंने भी सहयोग करना शुरू कर दिया. उनके द्वारा तैयार की जाने वाली चीजें उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश के विभिन्न हिस्सों में खूब पसंद की जाती है. वे पिछले कई सालों से देश के विभिन्न मेलों में अपना स्टॉल लगा रहे हैं. इस बार फिरोज किसी कारणवश सूरजकुंड मेले में नहीं आ पाए, जिसके कारण वे अपने दूसरे नंबर के भाई आमिर के साथ मेले में अपने उत्पाद लेकर आए हैं.
सूफियान ने बताया कि तीनों भाई मिलकर पहले अपने हाथों से चीनी मिट्टी के बर्तन, गमले, मग और विभिन्न तरह की फेंसी आयटम और शोपीस तैयार करते हैं. उसके बाद चीनी मिट्टी से ही तैयार किये गए विभिन्न रंगों से उन पर चित्रकारी और डिजायनिंग करके उन्हें बेहद खूबसूरत लुक देते हैं.
उन्होंने बताया कि यह पूरा काम हाथों से किया जाता है. उनके स्टॉल पर फिलहाल 250 रुपये से लेकर 600 रुपये तक के विभिन्न तरह के आयटम मौजूद है. मेले में आने वाले दर्शक इन चीजों को न केवल खूब पसंद कर रहे हैं, बल्कि हाथों-हाथ खरीद भी रहे हैं.
चीनी मिट्टी के बर्तन को बनाने के लिए पॉटरी में गीली मिट्टी को एक आवश्यक आकार दिया जाता है. जहां कुम्हार द्वारा चीनी मिट्टी के उत्पाद बनाए जाते हैं, उस स्थान को पॉटरी कहा जाता है. फिर उन्हें एक भट्ठी में उच्च तापमान तक गर्म कर दिया जाता है, जो मिट्टी से सभी पानी सोख लेती है. पानी सूख जाने से आकार सख्त हो जाता है और इस तरह विभिन्न उत्पादों का निर्माण किया जा सकता है. बुलंदशहर की मिट्टी एक प्रकार की चीनी मिट्टी होती है, जिनसे कई आकार में मिट्टी के बर्तन निर्मित किए जाते हैं.