मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली/पटना
दुनिया में भाई-बहन का रिश्ता सबसे प्यारा माना जाता है और रक्षाबंधन का दिन इस रिश्ते की डोर को और मजबूत कर देता है. लेकिन इस धरती पर एक ऐसा भाई भी है जिसकी कलाई पर इतनी राखियाँ बंध जाती हैं कि एक वक्त तो उनके हाथ में खून का बहाव तक रुक जाता है. हैरानी की बात ये है कि ऐसा सिर्फ एक बार नहीं बल्कि कई सालों से हर रक्षाबंधन पर हो रहा है.
ये कहानी है देश के चर्चित शिक्षक खान सर की — वही खान सर, जो मामूली फीस लेकर लाखों छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं, जिनकी पढ़ाने की अनोखी शैली से पूरा देश दीवाना है और जिनके यूट्यूब चैनल पर करोड़ों फॉलोअर्स हैं. उनके पढ़ाए हुए छात्रों में कई लड़कियाँ भी हैं जो उन्हें सच्चे दिल से अपना भाई मानती हैं.
खान सर की कोई सगी बहन नहीं है, लेकिन उनके लिए यह कभी कमी नहीं रही क्योंकि उनके पास हजारों बहनें हैं. हर साल रक्षाबंधन पर ये बहनें उनसे राखी बंधवाने के लिए उमड़ पड़ती हैं.
इस साल का रक्षाबंधन पहले से कहीं बड़ा और भव्य रहा. बहनों की संख्या इतनी बढ़ गई कि खान सर को इस बार अपनी कोचिंग छोड़कर पटना का श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल बुक करना पड़ा. सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर डेढ़ बजे तक राखी बांधने का सिलसिला चलता रहा. लंबी कतार में खड़ी बहनों के हाथों में रंग-बिरंगी राखियाँ और चेहरों पर मुस्कान थी.
अपने छात्रों की खुशियों का ख्याल रखने में खान सर हमेशा आगे रहते हैं. इस बार उन्होंने राखी के दिन सभी बहनों के लिए 156 तरह के व्यंजनों का इंतज़ाम किया था — पिज्जा, गोलगप्पे, मिठाइयाँ, चाट और न जाने कितने स्वादिष्ट पकवान.
राखी बांधने के बाद बहनों ने जमकर इन व्यंजनों का आनंद लिया और कई ने मजाक में कहा कि “सर हमें पढ़ाई का ज्ञान तो रोज़ देते हैं, लेकिन आज खाने का भी बड़ा ज्ञान मिल गया.”
इतनी बड़ी भीड़ और लगातार राखी बंधवाने के बीच एक समय ऐसा आया जब खान सर के हाथ में इतनी राखियाँ बंध गईं कि उनका हाथ सुन्न होने लगा. उन्होंने माइक पर हंसते हुए कहा, “डॉक्टर को बुलाओ, हाथ का खून रुक गया है.” यह सुनते ही हॉल में ठहाकों की गूंज उठी, लेकिन बहनों के हाथों का प्यार थमा नहीं. हर कोई चाहता था कि वह भी अपने “भाई” की कलाई पर राखी बांध सके.
लोकल मीडिया ने जब कतार में खड़ी कुछ बहनों से बात की तो उनकी आँखों में चमक और शब्दों में स्नेह साफ झलक रहा था. एक छात्रा ने कहा, “खान सर सिर्फ बेस्ट टीचर ही नहीं, बेस्ट भाई भी हैं. हम उनकी क्लास में सबसे सुरक्षित महसूस करते हैं.”
दूसरी बहन बोली, “हमारी फीस इतनी कम है कि हम पढ़ाई जारी रख सकते हैं/ रक्षाबंधन पर कोर्स में डिस्काउंट देकर उन्होंने हमें और बड़ा तोहफा दिया है.”माहौल में मिठास के बीच एक मजेदार पल भी आया.
भारत में सबसे ज़्यादा राखियाँ बंधवाने का रिकॉर्ड शायद खान सर के पास ही बरकरार है आज भी।#RakshaBandhan pic.twitter.com/33K2b7e3mW
— Ashwini Yadav (@iamAshwiniyadav) August 9, 2025
जब स्टेज पर बैठकर खान सर राखियाँ बंधवा रहे थे, तभी कुछ शरारती बहनों ने नीचे से आवाज लगाई, “सर, भाभी कहाँ हैं? उनको क्यों नहीं लाए?” खान सर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “आज बहनों का पर्व है या भाभी का ? आज तो सिर्फ मेरी बहनों का दिन है.”
खान सर अपने टीचिंग करियर की शुरुआत से ही रक्षाबंधन पर यह आयोजन करते आ रहे हैं. पहले यह कार्यक्रम छोटे स्तर पर होता था, लेकिन धीरे-धीरे इसकी भव्यता बढ़ती गई. आज यह स्थिति है कि दुनिया में शायद ही कोई और भाई होगा जो एक ही दिन में हजारों राखियाँ बंधवाता हो और फिर भी हर बहन को स्नेह से धन्यवाद देता हो.
उनका मानना है कि पढ़ाई ही सबसे बड़ी रक्षा है. इसलिए रक्षाबंधन के दिन वे सिर्फ राखी नहीं बंधवाते, बल्कि बहनों से यह भी वादा करते हैं कि वे उन्हें बेहतरीन शिक्षा देंगे और उनके सपनों को पूरा करने में मदद करेंगे. यही वजह है कि उनकी छात्राओं के लिए यह दिन सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक प्रेरणा का दिन भी बन जाता है.
इस साल के आयोजन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें खान सर के दोनों हाथ राखियों से इतने ढक गए हैं कि कलाई का रंग तक दिखाई नहीं देता. लोग इस वीडियो पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ दे रहे हैं — “ये हैं असली भाई!”, “आज के जमाने में ऐसा भाई मिलना मुश्किल है”, “खान सर को सलाम, जिन्होंने शिक्षा और स्नेह का इतना सुंदर संगम बनाया..”
पटना के एक साधारण से क्लासरूम से शुरू हुआ खान सर का सफर आज लाखों छात्रों के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है. वे अपने हर छात्र को परिवार का हिस्सा मानते हैं और चाहे शादी हो, परीक्षा का रिजल्ट डे हो या रक्षाबंधन — खान सर हर मौके को यादगार बनाना जानते हैं.
इस बार का रक्षाबंधन पटना के लिए सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक मिसाल बन गया कि भाई-बहन का रिश्ता खून से नहीं, बल्कि दिल और विश्वास से बनता है.