रोज़ डे पर गुलाब से नहीं उर्दू शायरी से जीतें दिल

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 07-02-2023
रोज़ डे पर गुलाब से नहीं शायरी से जीतें दिल
रोज़ डे पर गुलाब से नहीं शायरी से जीतें दिल

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 
 
वैलेंटाइन्स डे बेशक 14 फरवरी को आता है, लेकिन 7 फरवरी से ही खास दिन दस्तक देने शुरू हो जाते हैं. वैलेंटाइंस वीक 7 फरवरी से शुरू होता है और पहला दिन रोज डे होता है. रोज यानी गुलाब का इश्क के इजहार में काफी मायने हैं. इसका इशारा हमें कई बॉलीवुड फिल्मों में भी मिल चुका है. 
 
रोज डे 2023 (Rose Day Shayari) पर उर्दू के मशहूर शायरों की इश्किया शायरी पर नजर डालते हैं. वैलेंटाइन वीक का पहला दिन रोज डे होता है. 8 फरवरी को प्रपोज डे होता है. 9 फरवरी को चॉकलेट डे, 10 फरवरी को टेडी डे, 11 फरवरी को प्रॉमिस डे, 12 फरवरी को हग डे, 13 फरवरी को किस डे और 14 फरवरी को वैलेंटाइंस डे आता है.
 
परवीन शाकिर
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा 
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा 
 
वसीम बरेलवी
फूल तो फूल हैं आँखों से घिरे रहते हैं 
काँटे बे-कार हिफ़ाज़त में लगे रहते हैं 
 
मीर तक़ी मीर
फूल गुल शम्स ओ क़मर सारे ही थे 
पर हमें उन में तुम्हीं भाए बहुत 
 
बिस्मिल सईदी
हम ने काँटों को भी नरमी से छुआ है अक्सर 
लोग बेदर्द हैं फूलों को मसल देते हैं 
 
अज्ञात
लोग काँटों से बच के चलते हैं 
मैं ने फूलों से ज़ख़्म खाए हैं 
 
अफ़ज़ल इलाहाबादी
मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ 
वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता 

अख़्तर शीरानी
काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें 
फूलों का क्या जो साँस की गर्मी न सह सकें 
 
शकील बदायुनी
काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर 
फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ 
 
शकेब जलाली
आज भी शायद कोई फूलों का तोहफ़ा भेज दे 
तितलियाँ मंडला रही हैं काँच के गुल-दान पर 
 
इफ़्तिख़ार नसीम
अगरचे फूल ये अपने लिए ख़रीदे हैं 
कोई जो पूछे तो कह दूँगा उस ने भेजे हैं 
 
साजिद प्रेमी
फूल ही फूल याद आते हैं 
आप जब जब भी मुस्कुराते हैं 
 
अमीक़ हनफ़ी
फूल खिले हैं लिखा हुआ है तोड़ो मत 
और मचल कर जी कहता है छोड़ो मत 
 
नज़ीर अकबराबादी
ख़ुदा के वास्ते गुल को न मेरे हाथ से लो 
मुझे बू आती है इस में किसी बदन की सी 
 
आग़ा निसार
तिरे लबों को मिली है शगुफ़्तगी गुल की
हमारी आँख के हिस्से में झरने आए हैं 
 
साग़र आज़मी
इतना नाराज़ हो क्यूँ उस ने जो पत्थर फेंका 
उस के हाथों से कभी फूल भी आया होगा 
 
अनवर शऊर
हमेशा हाथों में होते हैं फूल उन के लिए 
किसी को भेज के मंगवाने थोड़ी होते हैं