नाजरीन अहमद: इनके व्यक्तिगत उत्साह के कारण ‘ दीमा हसाओ ’ के बाढ़ पीड़ितों तक पहुंच रही है राहत

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 22-06-2022
नाजरीन अहमद: इनके व्यक्तिगत उत्साह के कारण ‘ दीमा हसाओ ’ के बाढ़ पीड़ितों तक पहुंच रही है राहत
नाजरीन अहमद: इनके व्यक्तिगत उत्साह के कारण ‘ दीमा हसाओ ’ के बाढ़ पीड़ितों तक पहुंच रही है राहत

 

इम्तियाज अहमद / गुवाहाटी

“यह उत्साह है. यदि कोई सेवा करने के लिए उत्साही है, तो सब कुछ संभव है और सभी बाधाओं के बावजूद आसान प्रतीत होता है. मेरा स्वभाव है कि मैं अगले दिन कुछ भी पूरा करने के लिए इंतजार नहीं कर सकती. मैं कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश करती हूं.’’

यह कहना है दक्षिणी असम के दीमा हसाओ जिले की उपायुक्त नाजरीन अहमद का. अपने स्वभाव के अनुरूप इनदिनों वह अपने इलाके के बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने मे दिल-ओ-जान से लगी हैं.असम में बाढ़ की मौजूदा लहर से पहले, दक्षिणी असम के दीमा हसाओ जिले में प्री-मानसून वर्षा के कारण अभूतपूर्व तबाही हुई.

भूस्खलन और बारिष के पानी के भारी प्रवाह के चलते इस पहाड़ी जिले में लगभग सभी बुनियादी ढांचे पूरी तरह या आंशिक रूप से तबहा हो गए थे. मई के मध्य में सड़क और रेल संपर्क भी टूट गया था.हालांकि बहाली का काम युद्धस्तर पर जारी है और लगभग पूरा होने वाला है. हालांकि लगातार बारिश और जल प्रलय की वर्तमान लहर ने एक बार फिर राज्य के पुराने जिलों में कहर बरपाया रखा है.

अहमद मंत्री नंदिता गोरलोसा के साथ निरीक्षण करते हुए

प्रकृति के कहर के बीच उपायुक्त नाजरीन अहमद ने जिले में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए तमाम बाधाओं को पार कर दिया है, ताकि लोगों को भोजन और चिकित्सा सुविधा की कमी का सामना न करना पड़े.

उपायुक्त नाजरीन अहमद व्यक्तिगत रूप से बहाली कार्य की निगरानी के लिए लंबे समय तक पैदल चलती है. चढ़ाई और पटरियों पर पहुंच जाती हैं. बड़ी संख्या में लोग रेलवे ट्रैक पर षरण लिए हुए हैं. नाजरीन अहमद व्यक्तिगत रूप से मरम्मत और बहाली के काम में दिलचस्पी ले रही हैं. उन्हें उम्मीद है कि मौसम में सुधार के साथ ही जिले की स्थिति सामान्य हो जाएगी.

एक अवरुद्ध सड़क का निरीक्षण करते हुए उपायुक्त

आवाज द वॉयस से बात करते हुए, नाजरीन अहमद, जो खुद एक पूर्व क्रिकेटर हैं, ने कहा, “हम सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे की बहाली के लगभग पूरा होने के कगार पर थे. हालांकि, बाढ़ की मौजूदा लहर और लगातार बारिश और बाढ़ ने एक बार फिर भारी नुकसान पहुंचाया है.

सभी सड़कें, खासकर हाफलोंग से सिलचर तक का राष्ट्रीय राजमार्ग भूस्खलन और बारिश के भारी बहाव से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. बारिश का पानी से सड़कों पर बह रहा है. बारिश से अक्सर बहाली का काम भी प्रभावित होता है.”

बातचीत में वह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के साथ राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के जीर्णोद्धार कार्य में उनके परिश्रम की प्रशंसा किए नहीं रहतीं. कहती हैं, “ पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई दोनों अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं.

मैं व्यक्तिगत रूप से हर चीज की निगरानी कर रही हूं ताकि उन्हें आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली में किसी तरह की बाधा का सामना न करना पड़े. हमें हर कदम पर एनसी हिल्स ऑटोनॉमस काउंसिल का भी अपार समर्थन मिल रहा है. यह मौसम है जो काम की निरंतरता बनाए रखने में अक्सर बाधा पहुंचा रहा है. ”

यह पूछे जाने पर कि क्या रेल और सड़क संपर्क टूटने से जिले को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ रहा है ? उन्होंने कहा, “बिल्कुल नहीं. आपदा की स्थिति के प्रबंधन के त्वरित प्रतिक्रिया के लिए मैं असम सरकार की आभारी हूं.

जब भी हम आवश्यक खाद्यान्न और अन्य आपूर्ति के लिए मांगपत्र भेजते हैं, संबंधित सरकारी एजेंसियां इतनी तत्पर रहती हैं कि सामग्री को बिना किसी देरी के हवाई मार्ग से गिरा दिया जाता है. अब हमारे पास पर्याप्त खाद्यान्न और अन्य जरूरी चीजें स्टॉक में हैं.

इस पहाड़ी जिले की अनुमानित आबादी लगभग 2.35लाख है, जिनमें से अधिकांश दूरदराज के इलाकों में लोग बसे हैं. अहमद ने कहा कि जिला प्रशासन दूरदराज के स्थानों पर आपूर्ति पहुंचाने के लिए आवश्यक व्यवस्था कर रहा है. उन्होंने कहा कि आसपास के कछार जिला प्रशासन भी उन्हें राहत और बहाली गतिविधियों में सहायता कर रहे हैं, जो सीमा से बाहर चले गए हैं.

यहां हाफलोंग रेलवे स्टेशन था

कई स्थानों पर रेलवे ट्रैक बह गए है. न्यू हाफलोंग स्टेशन और कुछ सुरंगें आसपास की पहाड़ियों से भूस्खलन के चलते जलमग्न हो गई हैं. एनएफ रेलवे ने हाल में कहा था कि जिले को रेल लिंक बहाल करने में कुछ महीने लगेंगे.

यह पूछे जाने पर कि बहाली और पुनर्वास गतिविधियों में तेजी लाने के लिए उनकी व्यक्तिगत पहल के पीछे क्या प्रेरणा है, अहमद ने कहा, “यह उत्साह है. यदि कोई सेवा करने के लिए उत्साही है, तो सब कुछ संभव है. सभी बाधाओं के बावजूद आसान प्रतीत होता है.

मेरा स्वभाव है कि मैं अगले दिन कुछ भी पूरा करने के लिए इंतजार नहीं कर सकती. मेरे रास्ते में जो भी आता है, मैं कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश करती हूं. इसके अलावा, जब आपको अपनी टीम से समर्थन मिलता है, तो आप और अधिक काम करने के लिए उत्साहित होते हैं.

1992 बैच के असम सिविल सेवा अधिकारी, अहमद पिछले साल नवंबर से दीमा हसाओ के उपायुक्त हैं. गुवाहाटी की रहने वाली अहमद पहाड़ी जिले में आपदा आने के बाद से अपने घर भी नहीं गई हैं. राहत और बहाली गतिविधियों की निगरानी के लिए वह ज्यादातर दूरदराज के स्थानों के दौरे पर रहती हैं.

अक्सर पैदल प्रभावित इलाके में जाती हैं. जिस दिन वह दीमा हसाओ के डिप्टी कमिश्नर के रूप में शामिल हुईं, उस दिन उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे, जब उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मैं यहां काम करने के लिए हूं,’’