एक आवाज़, एक आंदोलन — शिफा अंसारी और ‘रंग-ए-महफ़िल’

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 13-07-2025
One voice, one movement — Shifa Ansari and ‘Rang-e-Mehfil’
One voice, one movement — Shifa Ansari and ‘Rang-e-Mehfil’

 

मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली

भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में संगीत की परंपरा सदियों पुरानी है, लेकिन जब बात पूरी तरह महिलाओं से सुसज्जित म्यूज़िकल बैंड की होती है, तो आज भी गिनती के नाम ही सामने आते हैं. इन्हीं में एक नाम है — ‘रंग-ए-महफ़िल’, जिसकी आत्मा और नेतृत्वकर्ता हैं इंदौर की शिफा आफ़ताब अंसारी. उनकी गायकी, स्टेज प्रेज़ेंस और बेमिसाल अंदाज़ ने न सिर्फ देश, बल्कि विदेशों तक उन्हें एक अलग मुकाम दिलाया है.

शिफा का संगीत सफर किसी पारंपरिक संगीत घराने से नहीं, बल्कि जुनून और अथक मेहनत की राह से होकर गुज़रा है. मध्यप्रदेश के इंदौर की गलियों से शुरू हुआ यह सफर, मशहूर संगीत निर्देशक पद्मश्री रविंद्र जैन के मार्गदर्शन में परवान चढ़ा.

रविंद्र जैन उनके लिए सिर्फ गुरु नहीं, बल्कि एक आदर्श थे, जिनके निर्देशन में शिफा ने ‘रामायण’ और ‘द्वारकाधीश’ जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों के लिए मुख्य गायन किया.

इसके बाद तो जैसे उनके टैलेंट ने उड़ान भर ली. वे ‘इंडियन आइडल सीजन 3’ की टॉप 13 फाइनलिस्ट बनीं और ‘क्रेजी किया रे’ रियलिटी शो (2008) की विजेता रहीं. शिफा की आवाज़ का जादू यहीं तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने ‘गाता रहे मेरा दिल’ (DD नेशनल) और ‘अंताक्षरी द ग्रेट चैलेंज’ (Star One) जैसे शोज़ में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई.
 

एक लाइव परफ़ॉर्मर और पार्श्वगायिका के रूप में उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई. उनका एल्बम ‘सियाराम’, जो उन्होंने उदित नारायण के साथ गाया, खासा सराहा गया. उन्होंने येसुदास, सुदेश भोंसले, सुरेश वाडेकर और अमित कुमार जैसे दिग्गजों के साथ मंच साझा किया,जो अपने आप में उनकी प्रतिभा की गवाही देता है.


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बैंड मेंमबर्स

आज शिफा ‘रंग-ए-महफ़िल’ नामक एक ऑल-वुमन बैंड की अगुवा हैं, जिसमें गायन से लेकर वादन तक हर भूमिका में महिलाएं हैं. यह बैंड सिर्फ एक संगीत समूह नहीं, बल्कि नारी सशक्तिकरण की मिसाल है.

इस बैंड ने मुंबई और दिल्ली से लेकर श्रीनगर, कश्मीर और जामनगर तक, देशभर में शानदार प्रस्तुतियाँ दी हैं. खासतौर पर सेक्सोफोन पर गाते हुए शिफा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसे लाखों लोगों ने सराहा.
 

हाल ही में, जून में जामनगर में हरि ओम चैरिटेबल ट्रस्ट के कार्यक्रम में शिफा ने अपने बैंड के साथ प्रस्तुति दी. उनके साथ मंच पर थे आनंद विनोद और रीना गज्जर, जबकि ऑर्केस्ट्रा संचालन राज राणा ने किया. यह आयोजन समाजसेवा को समर्पित था, जहां संगीत एक माध्यम बना — अच्छाई और उद्देश्य की ओर ले जाने का.

इसी महीने के अंत में इंदौर के रवींद्र नाट्यगृह में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने "ऐ भाई ज़रा देख के चलो" जैसे क्लासिक गीतों को अपने खास अंदाज़ में पेश किया. इस कार्यक्रम में उनके साथ अनुभा, राजेन्द्र, मधुसूदन खंडेलवाल, शिप्रा और गोपाल वाधवा जैसे कलाकार मंच पर मौजूद थे, जबकि ऑर्केस्ट्रा की खास तैयारी उनके पति अभिजीत गौर ने की थी.
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‘परदे की महारानीयां’ नामक विशेष कार्यक्रम के तहत उन्होंने श्रीनगर में एक और यादगार प्रस्तुति दी. इस आयोजन को डिज़ाइन और क्यूरेट किया था राज अग्रवाल ने। ऑर्केस्ट्रा का नेतृत्व किया दरशना जोग ने. होस्टिंग की शिक्षा म्यूज़िक और साउंड इंजीनियरिंग की जिम्मेदारी संभाली प्रदीप वानकर ने. बैंड की अन्य प्रमुख सदस्य राजेश्वरी और रासिका गानू हैं — जो स्वयं नारी सशक्तिकरण की सजीव मिसाल हैं.

शिफा का मानना है कि “सम्मान तब ही मिलेगा जब हम खुद को सम्मान देना सीखें.”  यही बात उनके जीवन और करियर में स्पष्ट झलकती है. वे आज सिर्फ एक कलाकार या बैंड लीडर नहीं, बल्कि एक रोल मॉडल बन चुकी हैं . विशेषकर उन युवतियों के लिए जो संगीत को करियर के रूप में अपनाना चाहती हैं.


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वर्तमान में वे “टाइम्स फ्रेश फेस” जैसी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जूरी सदस्य के रूप में भी सक्रिय हैं, जहां वे नई प्रतिभाओं को मंच और मार्गदर्शन देती हैं.उनके सोशल मीडिया हैंडल्स भी उनकी लोकप्रियता का साक्ष्य हैं.

इंस्टाग्राम पर उनके लाइव परफॉर्मेंस, रील्स और बीटीएस वीडियोज़ को लाखों लोग देखते हैं. उनके फॉलोअर्स उन्हें प्यार से ‘शिफा दी’, ‘सुरों की रानी’ और ‘महफ़िल की जान’ जैसे नामों से पुकारते हैं. उनका यूट्यूब चैनल @shifaaftab अब तक 17.4K सब्सक्राइबर और 93 वीडियो के साथ एक सशक्त डिजिटल पहचान बन चुका है.


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अंततः, शिफा अंसारी का सफर एक कलाकार की यात्रा भर नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन है, जो महिलाओं को संगीत के ज़रिए पहचान, आत्मनिर्भरता और समाज में नई प्रतिष्ठा दिलाता है.

‘रंग-ए-महफ़िल’ अब सिर्फ एक बैंड नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है, और शिफा उसकी धड़कन.उनकी आवाज़ में केवल सुर नहीं, बल्कि संघर्ष, आत्मविश्वास और सफलता की कहानी भी गूंजती हैऔर यही बात उन्हें भीड़ से अलग करती है.