भारत के ‘फुटवियर’ क्षेत्र में निवेश करना चाहती हैं ताइवान, वियतनाम की कंपनियां : सीएलई

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 13-07-2025
Taiwan, Vietnam companies want to invest in India's footwear sector: CLE
Taiwan, Vietnam companies want to invest in India's footwear sector: CLE

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

 
ताइवान और वियतनाम की कंपनियां भारत के गैर-चमड़ा फुटवियर क्षेत्र में निवेश करने की इच्छुक हैं। चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) के चेयरमैन आर के जालान ने रविवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इन देशों की कंपनियों के निवेश को सुगम बनाने के लिए सरकारी समर्थन बेहद ज़रूरी है.
 
जालान ने कहा कि ताइवान और वियतनाम की ये कंपनियां चीन जैसे देशों से जूतों के सोल, सांचे, मशीनरी और कपड़े जैसे उत्पाद आयात करती हैं.
 
उन्होंने कहा, ‘‘वियतनामी और ताइवानी कंपनियां भारत में निवेश करने की इच्छुक हैं. हमें उनका समर्थन करने की ज़रूरत है ताकि वे अपनी विनिर्माण सुविधाओं के लिए इन वस्तुओं का देश में आसानी से आयात कर सकें.’’
 
जालान ने कहा कि देश का निर्यात अच्छी दर से बढ़ रहा है और परिषद 2025-26 में सात अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के निर्यात का लक्ष्य लेकर चल रही है.
 
वित्त वर्ष 2024-25 में निर्यात 5.75 अरब डॉलर रहा था। 95.7 करोड़ डॉलर (लगभग 20 प्रतिशत हिस्सेदारी) मूल्य के निर्यात के साथ अमेरिका भारतीय निर्यातकों के लिए शीर्ष गंतव्य रहा। इसके बाद ब्रिटेन (11 प्रतिशत) और जर्मनी का स्थान है.
 
जालान ने कहा,‘‘हमें इस वर्ष निर्यात में लगभग 18 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है। देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने से निर्यात और रोजगार सृजन को और बढ़ावा मिलेगा।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते से अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। वर्तमान में, इस श्रम-प्रधान क्षेत्र पर अमेरिका में 18.5 प्रतिशत शुल्क लगता है.
 
ये दोनों देश वैश्विक जूता-चप्पल (फुटवियर) क्षेत्र में प्रमुख खिलाड़ी हैं। वियतनाम फुटवियर के निर्माण और निर्यात का एक प्रमुख वैश्विक केंद्र है, जबकि ताइवान प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के लिए फुटवियर के डिजाइन, विकास और उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
 
जालान ने सरकार से उत्पादकता, प्रतिस्पर्धात्मकता और निर्यात बढ़ाने के लिए बजट में घोषित फुटवियर और चमड़ा क्षेत्रों के लिए केंद्रित उत्पाद योजना शुरू करने का भी आग्रह किया.
 
उन्होंने कहा कि इस योजना से गैर-चमड़े के गुणवत्ता वाले फुटवियर के उत्पादन के लिए आवश्यक डिजाइन क्षमता, कलपुर्जा विनिर्माण और मशीनरी को समर्थन मिलेगी.
 
कानपुर की कंपनी ग्रोमोर इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक यादवेंद्र सिंह सचान ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ताइवानी कंपनियां पहले ही तमिलनाडु की कंपनियों में निवेश कर चुकी हैं.
 
सचान ने कहा, ‘‘उनके पास गैर-चमड़े के जूता-चप्पल क्षेत्र में सर्वोत्तम तकनीकें हैं। उनके आने से घरेलू कंपनियों को गुणवत्तापूर्ण उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी.’’
 
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार में निवेश के अपार अवसर हैं क्योंकि इन राज्यों में किफायती श्रम उपलब्ध है.