ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
इमरोज़ ने अंतिम मुकाबले में अमेरिकी मुक्केबाज जेनेट जॉनसन को 5-0 से हराकर भारत के लिए शीर्ष पोडियम स्थान हासिल किया। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर मैं बहुत खुश हूँ और ओलंपिक में खेलना चाहती हूँ। मेरे माता-पिता भी यह खबर सुनकर बहुत खुश हैं, क्योंकि उनकी खुशी की वजह से ही मैंने खेलना शुरू किया।"
28 वर्षीय इमरोज़ झाँसी के पुराने शहर के चनियापुरा इलाके की रहने वाली हैं। उनके पिता टीवी मैकेनिक का काम करते हैं और माँ गृहिणी हैं। उन्होंने हॉकी से अपने खेल करियर की शुरुआत की, फिर मुक्केबाजी में कदम रखा और झाँसी में प्रशिक्षण लिया।
इमरोज़ खेल कोटे के तहत केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में भर्ती हुई थीं और वर्तमान में बेंगलुरु हवाई अड्डे पर तैनात हैं। वह अपने कौशल को और निखारने के लिए हरिद्वार में केंद्रीय मुक्केबाजी टीम के साथ प्रशिक्षण ले रही हैं।
क्षेत्रीय खेल अधिकारी सुरेश बोनकर ने बताया कि सीआईएसएफ में चयन होने तक इमरोज़ झाँसी के ध्यानचंद स्टेडियम में नियमित रूप से प्रशिक्षण लेती थीं। इमरोज़ कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में शहर और राज्य का प्रतिनिधित्व किया है और हमेशा एक अनुशासित खिलाड़ी रही हैं।