‘घर-घर तिरंगा’ को कामयाब बनाने में अंजुमन-ए-इस्लाम गर्ल्स स्कूल का योगदान है खास

Story by  शाहताज बेगम खान | Published by  [email protected] • 1 Years ago
कामयाब हो हर घर तिरंगा अभियान
कामयाब हो हर घर तिरंगा अभियान

 

शाहताज खान/ पुणे

मुम्बई के अंजुमने इस्लाम ब्लासीस रोड गर्ल्स स्कूल में तिरंगा झंडा सीने का काम ज़ोर शोर से जारी है. मशीनों की तेज़ आवाज़ बता रही है कि ‘हर घर तिरंगा’मुहिम में यह मुस्लिम महिलाएं अपना योगदान देने के लिए हर सुबह आठ बजे सकूल पहुंच जाती हैं. काम ज़्यादा है और समय कम.

आज़ादी के अमृत महोत्सव की आधिकारिक यात्रा का प्रारंभ 12 मार्च, 2021 को हुआ था और यह महोत्सव 15 अगस्त 2023 तक जारी रहेगा. इस महोत्सव में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा हैऔररैलियां निकाली जा रही हैं. लोग इन कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. लेकिन हर घर तिरंगा की मुहिम ने लोगों को जोश से भर दिया है. यह पहला अवसर है जब लोग अपने घरों में अपने तिरंगे झंडे को फहराएंगे.

हर घर तिरंगा झंडा फहराने के लिए काफी संख्या में तिरंगे झंडे की आवश्यकता होगी, जिसकी तैयारी का काम जारी है. इसी कड़ी में मुंबई के नागपाड़ा इलाके में स्थित अंजुमन इस्लाम स्कूल में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं तिरंगा झंडे की सिलाई का काम कर रही हैं.

अंजुमने इस्लाम ब्लासीस रोड गर्ल्स स्कूल, मुंबई महानगर पालिका के साथ मिलकर यह काम कर रहा है. स्कूल की अध्यक्षा शमा तारापुरवाला का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के द्वारा बहुत सी महिलाओं को रोज़गार मिला है.

वह बताती हैं कि यहां जितनी भी महिलाएं काम कर रही हैं उनके बच्चे इसी स्कूल में पढ़ते हैं. स्कूल प्रबंधन न केवल इन्हें सिलाई का प्रशिक्षण दे रहा है अपितु उन्हें हुनरमंद बनाने के साथ साथ देशप्रेम और देशसेवा भी सिखा रहा है. अपनी देशभक्ति के जज्बे से सराबोर यह महिलाएं पूरे जोश के साथ तिरंगा झंडा सीने में लगी हुई हैं.

हर घर तिरंगा झंडा फहराया जाना लोगों को जोश से भर रहा है लेकिन इसके साथ हर भारतीय को यह सुनिश्चित करना होगा कि तिरंगे झंडे को फहराते हुए कुछ बातों का खयाल रखें . राष्ट्रीय ध्वज कभी भी ज़मीन पर नहीं गिरना चाहिए और न ही धरातल के संपर्क में आना चाहिए. झंडे को पानी में नहीं डुबाया जा सकता, तिरंगे को पहनना गलत है, झंडे पर कुछ भी लिखना सख़्त मना है. फहराए गए झंडे की स्थिति सम्मानजनक हो. इस बात का खयाल रखना भी जरूरी है कि किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उसके बराबर नहीं लगाया जा सकता.

अंजुमने इस्लाम भारत का एक ऐसा इदारा है जो पिछले 147 वर्षों से शिक्षा के मैदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. अंजुमने इस्लाम के 97 शिक्षण संस्थानों में 3000 शिक्षक एक लाख से अधिक विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं.

अंजुमने इस्लाम केवल शिक्षा तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि जब जैसी जरूरत होती है यह इदारा आगे बढ़ कर सहयोग करता है. शमा तारापुरवाला का कहना है कि हमारे स्कूल में गरीब परिवारों से बच्चे आते हैं. हम उनकी सहायता करने का हरसंभव प्रयास करते हैं. इन परिवारों की महिलाओ को आत्म निर्भर बनाने के लिए भी हमारी कोशिश जारी रहती है. जब झंडा सीने के लिए लोगों के सहयोग की ज़रूरत थी तो हम ने भी कोशिश की. इस तरह हमारे स्कूल के बच्चों और उनके परिवारों को आज़ादी के अमृत महोत्सव से जुड़ने और अपना योगदान देने का अवसर मिला. हम सबकी कोशिश है कि ज़्यादा से ज़्यादा तिरंगा झंडा तैयार कर सकें ताकि हर घर तिरंगा फहराया जा सके.

आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित अमृत महोत्सव ने हर भारतीय नागरिक को जोश से भर दिया है. हर घर तिरंगा मुहिम की तैयारी देखते ही बनती है. अंजुमने इस्लाम स्कूल में तिरंगा झंडा सीने वाली महिलाओं को न केवल रोज़गार मिला बल्कि उन्हें इस बात की भी खुशी है कि वह अपने देश के लिए कुछ काम कर सकीं.