भारतीय मुस्लिम महिलाएं अब तलाक के लिए ‘खुला’ का ले रही हैं सहारा

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 29-08-2022
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

 

आवाज- द वॉयस ब्यूरो/ पटना

तिहरे तलाक को कानूनी रूप से अवैध ठहराए जाने के साथ, भारतीय मुसलमानों में इस तरह के मामले कम हुए हैं.लेकिन दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्टों से पता चलता है कि 'खुला' मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. गौरतलब है कि मुस्लिम महिलाओं को खुला के जरिए शौहर से तलाक मांगने का अधिकार शरीयत से मिला हुआ है.

क्या है खुला

शरीयत के अनुसार, ‘खुला’एक महिला को तलाक मांगने का अधिकार है और इसका अर्थ है अपने पति से अलग होना. तलाक के बाद बच्चों की शिक्षा और भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की होती है. पति के तलाक देने की स्थिति में, पति को अपनी पत्नी को 'हक ए मेहर' यानी विवाह के समय महिला को हस्तांतरित या वादा किया गया धन भी देना होता है, जबकि खुला में, पत्नी को हक ए मेहर के अपने अधिकार को त्यागना होता है.

कहां बढ़ रहे हैं खुला के मामले

बिहार और झारखंड में दारुल कज़ा या इस्लामी मध्यस्थता केंद्रों से एकत्र किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि खुला के माध्यम से दायर किए जा रहे तलाक में वृद्धि हुई है. दारुल कज़ा इमरत-ए-शरिया द्वारा खोले गए केंद्र हैं, जो बिहार, झारखंड और ओडिशा राज्यों में काम करने वाले सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली मुस्लिम संगठनों में से एक है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक मुस्लिम महिलाएं 'खुला' के जरिए अपनी शादी खत्म करने का विकल्प चुन रही हैं.

उल्लेखनीय है कि केरल उच्च न्यायालय ने मुस्लिम महिलाओं को 2021 में अतिरिक्त न्यायिक साधनों (जैसे दारुल कज़ा) के माध्यम से खुला के तहत विवाह को रद्द करने का अधिकार दिया था.

क्या कहते हैं आंकड़े

2020-21 में, सभी दारुल कज़ाओं को खुला के लगभग 5,000 मामले प्राप्त हुए और यह आंकड़ा दिल्ली और मुंबई में इसी तरह की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है. पटना के इमारत-ए-शरिया मुख्यालय के प्रमुख काजी अजनर आलम कासमी बताते हैं, “2021-22 में उन्हें 572 मामले मिले जिनमें तलाक की मांग की गई थी.”

अंजार आलम कासमी कहते हैं, "लगभग सभी मामले 'खुला' के थे, जिनमें केवल कुछ मुबारत के मामले थे और तीन तलाक में से कोई भी नहीं था." और वह केवल इमरत शरिया मुख्यालय की बात करते हैं.

यह ध्यानदेना चाहिए कि खुला को मौखिक रूप से या 'खुलानामा' नामक दस्तावेज़ के माध्यम से शुरू किया जा सकता है. चूंकि 'खुला' महिला के अनुरोध पर दिया जाता है, इसलिए तत्काल तलाक के लिए पुरुष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.

शादी को रद्द करने के लिए शरीयत में एक और प्रावधान है - मुबारक - जो दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तावित तलाक का एक रूप है और वे आपसी सहमति से अपनी शादी को समाप्त करना चाहते हैं.

इधर, मुंबई के दारुल कज़ा ने 2019 से 2021 के बीच खुला के 300 मामले दर्ज किए हैं.

दारुल काजा समिति के अध्यक्ष अजीमुद्दीन सईद कहते हैं, “मुंबई में पांच दारुल कज़ा हैं. इन केंद्रों पर हर साल खुला के 300 मामलों का समाधान किया जाता है. अधिकतम मामले, लगभग एक सौ, मुंबई शहर के केंद्र से आते हैं.”वह बताते हैं किज्यादातर खुला मामले ऑनलाइन संपर्क के माध्यम से विवाह के मामलों में आते हैं.

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में मदरसा इस्लामिया अरब के अनुसार, 2017 तक उन्हें कभी भी खुला के मामले नहीं मिले और अब उन्हें हर महीने तीन-चार खुले मामले मिल रहे हैं.

हाल ही में रियाजुल उलूम से भी इसी तरह के आंकड़े सामने आए थे. स्थानीय खुला मामलों को आगे की मध्यस्थता के लिए देवबंद (प्रसिद्ध इस्लामिक मदरसा) के पास भेजा जाता है.

इस बीच, मुस्लिम धार्मिक विद्वान और क़ाज़ी, जो विवाह करने और तलाक देने के लिए अधिकृत हैं, मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 को 'खुलास' में उछाल के लिए दोषी ठहराते हैं.