आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
एक नई वैज्ञानिक अध्ययन में यह सामने आया है कि भिंडी (okra) जैसी सामान्य सब्ज़ी प्रारंभिक उम्र में अधिक भोजन से उत्पन्न होने वाली दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में सहायक हो सकती है।
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, इस शोध में यह पाया गया कि भिंडी युक्त आहार ने उन चूहों में मोटापा, मधुमेह (डायबिटीज़) और मस्तिष्क में सूजन को कम करने में मदद की, जिन्हें बचपन से ही अधिक मात्रा में भोजन दिया गया था।
यह अध्ययन प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ब्रेन रिसर्च में “भिंडी युक्त आहार अधिक भोजन से उत्पन्न मोटापे की स्थिति में मस्तिष्क की सूजन को रोकता है” शीर्षक से प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए विशेष चूहों का चयन किया जिन्हें बहुत ही कम उम्र से पोषणयुक्त आहार देकर पाला गया, ताकि वे सामान्य चूहों की तुलना में अधिक वजन और बेहतर शारीरिक विकास हासिल करें।
जब ये चूहे बड़े हुए, तो उनमें सामान्य रूप से पाए जाने वाले मोटापे से जुड़े लक्षण देखे गए — जैसे ज़्यादा चर्बी, उच्च रक्तचाप, ब्लड शुगर असंतुलन और मस्तिष्क में सूजन।
शोध के दौरान, जिन चूहों को 1.5% भिंडी युक्त विशेष आहार दिया गया, उनमें ये समस्याएँ काफी हद तक नियंत्रित देखी गईं। उनकी चर्बी कम हुई, शुगर स्तर सुधरा, मांसपेशियाँ मजबूत हुईं और मस्तिष्क की सूजन में उल्लेखनीय कमी आई।
सबसे अहम बात यह रही कि भिंडी ने मस्तिष्क के उस हिस्से में इंसुलिन की संवेदनशीलता (insulin sensitivity) को बहाल किया, जो भूख और ऊर्जा के नियंत्रण से संबंधित होता है। इसके चलते इन चूहों ने कम खाना शुरू किया और उनका मेटाबॉलिज़्म (चयापचय) बेहतर बना रहा।
अध्ययन में यह भी बताया गया कि भिंडी में मौजूद प्राकृतिक यौगिक — जैसे कैटेचिन्स और क्वेरसेटिन — शरीर में सूजन को कम करने और इंसुलिन के कार्य को बेहतर बनाने में प्रभावी होते हैं।
दिलचस्प तथ्य यह है कि जिन चूहों को बचपन में अतिरिक्त भोजन नहीं दिया गया था, उन पर भिंडी का कोई विशेष प्रभाव नहीं देखा गया। इसका अर्थ यह है कि भिंडी का यह लाभ विशेष रूप से उन्हीं के लिए अधिक है जो पहले से मेटाबोलिक जोखिम (जैसे मोटापा या शुगर) से जूझ रहे हैं।
हालांकि यह रिसर्च चूहों पर आधारित है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बचपन से ही भिंडी को भोजन का हिस्सा बनाकर मोटापे और उससे संबंधित बीमारियों को रोका जा सकता है। हां, इस प्रभाव की पुष्टि के लिए मनुष्यों पर और अधिक शोध की आवश्यकता है।