मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली
देशभक्ति का जज्बा केवल सैनिकों और नेताओं में नहीं होता. इसी तरह केवल पढ़े-लिखे लोग ही देश के प्रति प्रेम का इजहार कर सकते. इसके उलट आम भारतवासी भी अपने मुल्क से उतना ही प्यार करता है जिनका के दूसरे.
इसे समझना हो तो महाराष्ट्र के एक छोटे से कस्बे कलमीर के साजिद राज खान से समझ सकते हैं. इलाके में पानी का छोटा-मोटा कारोबार करने वाले 10 वीं पास इस नौजवान ने ‘आजादी के अमृत महोत्व’ पर कुछ अलग करने की कोशिश की है.
साजिद के कारनामे के बारे में जो भी सुनता है, तारीफ किए बिना नहीं रहता. आवाज द वाॅयस से फोन पर बात करते हुए उन्होंने बताया-वह आजादी के 75 साल पूरे होने पर कुछ अलग और खास करना चाहते थे. इस बीच उसकी नजर एक वेबसाइट पर पड़ी और अपने आइडिया पर काम करना शुरू कर दिया. अपनी योजना को अमली जामा पहनाने में उन्हें करीब दो महीने लगे.
साजिद ने 22 ऐसे मुस्लिमों के पोस्टर बनाए हैं, जिन्होंने देश की आजादी में अहम रोल निभाया है. दिलचस्प बात यह है कि उन्हें वेब डिजाइनिंग का कोई इल्म नहीं. इसके बावजूद ऐसे मुस्लिम लीडरों के अन्य वेबसाइट से न केवल तस्वीरें डाउनलोड कीं, मोबाइल पर एडिट कर उनके आजादी के रंग में रंगे पोस्टर भी बनाए.
उन्होंने 22 पोस्टरों की इस श्रृंखला का नाम दिया है-हिन्दुस्तान की आजादी में मुसलमानों का अहमद किरदार.
साजिद मराठी लहजे में बताते हैं-सारा आइडिया अपुन का है. केवल पोस्टर के श्रृंखला का नाम देने के लिए दो-तीन व्यक्तियों से सुझाव लिया था. इसके बाद व्हाट्सएप ग्रुप में डालकर अपने तमाम पोस्टरों को वायरल कराया. बाद में यह पोस्टर इतने वायरल हुए कि यह वाया नागपुर होते हुए इस संवाददाता तक पहुंच गए.
इस पोस्टर में अरुणा आसफ अली, मौलाना अलाउद्दीन, मौलाना मोहम्मद अली जौहर, अशफाक उल्ला खान, अबादी बानो बेगम, अब्दुल हाफिज मोहम्मद बरकतउल्ला, मोहम्मद अब्दुर रहमान, यूसुफ मेहर अली, बदरूद्दीन तैयब जी, सर सैयद अहमद खान, अल्लाह बख्श सूमरो, जाकिर हुसैन, शाहनवाज खान, हकीम अजमल खान, गफूर अहमद एजाज़ी, आसफ अली, इनायतुल्ला खान, मौलाना शौकत अली, सैयद मीर निसार अली, सैफुद्दीन किचलू, हुसैन अहमद मदनी और अब्दुल मजीद दरियाबाी को शामिल किया गया है. नामों के चयन में पूरी सावधान बरती गई है. लिस्ट को देखकर आसानी से अंदाजा होता है, क्यों कि इसमें जहां आखिरी मुगल बादशाह का नाम है, वहीं तब के मदरसा संचालक भी लिस्ट में शामिल किए गए हैं.
बातचीत में साजिद बेहद उत्साहित लगे. उन्होंने बताया कि लोगों से मिल रही हौसला अफजाई के बाद अब वह 150 उन मुस्लिम लीडरों के पोस्टर बनाने के काम में जुट गए हैं, जिन्होंने देश की आजादी में खास भूमिका निभाई थी.
इस बार वह आंध्र प्रदेश के एक व्यक्ति से मदद ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि उक्त व्यक्ति के पास आजादी में भाग लेने वाले तमाम तरह के मुसलमानों के नामों की लंबी फेहरिस्त है.
साजिद ने बताया कि पोस्टर बनाने में उनके काम पर किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ा. वह दो साल से कुछ अलग करना चाहते थे. अब उन्हें यह मौका मिला है. साजिद बताते हैं कि पानी के कारोबार से उनका घर आसानी से चल जाता है.
बड़े भाई की मृत्यु के बाद उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़करद कारोबार संभालना पड़ा. मुस्लिम लीडरों के पोस्टर के एक कोने में उन्होंने अपनी कंपनी और अपना नाम तथा मोबाइल नंबर भी लगाया है.