आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
6 जनवरी 2025 — यह तारीख जम्मू-कश्मीर के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है. इसी दिन भारत की सेमी-हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस पहली बार कटरा से श्रीनगर के बीच रवाना होगी. यह केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि लंबे समय से अलग-थलग रही कश्मीर घाटी को देश की मुख्यधारा से जोड़ने की एक बड़ी कोशिश है.
लेकिन, जहां एक ओर इस रेल सेवा को कश्मीर में विकास, रोजगार और पर्यटन के लिए एक वरदान बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर नई दिल्ली से सीधे श्रीनगर तक की सेवा न मिलने से स्थानीय जनता, कारोबारियों और राजनीतिक वर्ग में मायूसी है.
तेज़ और भरोसेमंद संपर्क: कटरा से श्रीनगर तक अब सिर्फ 3 घंटे 10 मिनट में पहुंचा जा सकेगा. पहले जम्मू से श्रीनगर तक सड़क मार्ग से यात्रा में 8 से 10 घंटे लगते थे, जो मौसम के हिसाब से और भी लंबी हो जाती थी.
सर्दियों में राहत: NH-44 पर बर्फबारी और भूस्खलन के कारण अक्सर ट्रक, पर्यटक और आपूर्ति वाहन फंस जाते थे. रेल सेवा इस समस्या को काफी हद तक दूर करेगी.
पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा: वंदे भारत एक्सप्रेस के जरिए देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक तेजी से कटरा और वहां से श्रीनगर पहुंच सकेंगे. इसके साथ ही फल और कृषि उत्पादों की आवाजाही भी तेज और सुलभ होगी.
कृषि उत्पादों की समय पर आपूर्ति : सेब, केसर, अखरोट जैसे कश्मीर के कृषि उत्पाद जल्दी खराब हो जाते हैं. तेज़ रेल सेवा किसानों को अपने उत्पाद देश के अन्य हिस्सों तक समय पर पहुँचाने में मदद करेगी, जिससे उनकी आय बढ़ेगी और नुकसान कम होगा.
हर मौसम में संचालन योग्य :वंदे भारत एक्सप्रेस की सबसे बड़ी विशेषता है—इसका मौसम प्रतिरोधी होना. जहाँ सड़कें बर्फ या बारिश में बंद हो जाती हैं, वहीं यह ट्रेन हर मौसम में चलने में सक्षम है. यह स्थानीय लोगों और किसानों दोनों के लिए राहत लेकर आएगी.
पर्यावरण के लिए भी लाभकारी :रेल परिवहन पर्यावरण के लिए सड़क परिवहन की तुलना में कहीं अधिक अनुकूल है. वंदे भारत एक्सप्रेस न केवल प्रदूषण कम करेगी, बल्कि सड़क यातायात का दबाव भी घटाएगी. इससे सड़कों का रखरखाव आसान और सस्ता होगा.
देश की सीमा की सुरक्षा में चैकसी और होगी चुस्त: जम्मू से कश्मीर तक तकरीबन तीन सौ किलो मीटर के सफर आठ घंटे लग जाते हैं. ऐसे में सेना के मूवमेंट में काफी परेशानी आती है. ट्रेन चलने से यह दिक्कत दूर हो जाएगी. सीमा तक सैनिकों को भेजने में मदद मिलेगी.
लेकिन निराश भी हैं लोग — दिल्ली-श्रीनगर सीधी ट्रेन की थी उम्मीद
स्थानीय जनता का मानना है कि कटरा तक ट्रेन सीमित रखने से दिल्ली और श्रीनगर के बीच सीधी रेल संपर्क की जो आशा थी, वह अधूरी रह गई। उनका कहना है कि:
पर्यटक नई दिल्ली से सीधे श्रीनगर की ट्रेन की मांग कर रहे थे.
बागवानी और कूरियर इंडस्ट्री को सीधी लॉजिस्टिक्स कनेक्टिविटी की ज़रूरत है.
व्यापारिक समुदाय चाहता था कि दिल्ली से उत्पाद सीधे घाटी तक पहुंचें.
भारतीय रेलवे और गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, फिलहाल नई दिल्ली से सीधी ट्रेन को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट नकारात्मक रही है. जम्मू-श्रीनगर रेल लिंक के कई संवेदनशील हिस्सों पर सुरक्षात्मक व्यवस्थाएं अभी और मजबूत की जा रही हैं.
उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (USBRL) : यह परियोजना 272 किमी लंबी है और इसका मुख्य हिस्सा कटरा-रियासी खंड है, जो इंजीनियरिंग और सुरक्षा की दृष्टि से सबसे चुनौतीपूर्ण था। इसे हाल ही में सुरक्षा स्वीकृति मिली है.
चिनाब ब्रिज :दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च रेलवे ब्रिज चिनाब नदी पर तैयार हो चुका है. यह कश्मीर को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाली कड़ी है.
हाई-स्पीड और DEMU-MEMU सेवाएं :भविष्य में कश्मीर घाटी में हाई-स्पीड वंदे भारत ट्रेनें और DEMU/MEMU सेवाएं शुरू की जाएंगी, जिससे यात्रा समय और बेहतर होगा.
कटरा से श्रीनगर तक वंदे भारत एक्सप्रेस एक सकारात्मक पहल है — यह कश्मीर को 'बंद दर्रे' वाली छवि से बाहर निकालने में मदद करेगी. लेकिन दिल्ली से सीधी ट्रेन सेवा की गैर-मौजूदगी फिलहाल एक अधूरी उम्मीद के रूप में बनी हुई है. जब तक USBRL पूरी तरह चालू नहीं होती और सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती, तब तक यह अधूरी शुरुआत ही बनी रहेगी.
फिर भी, यह रेलवे क्रांति उस कश्मीर की तस्वीर को बदलने की ओर पहला निर्णायक कदम है, जो दशकों से अलगाव और बुनियादी ढांचे की कमी से जूझता रहा है.