राकेश चौरासिया
भारत के युवा वर्ग में अद्वितीय प्रतिभा के धनी ‘खान सर’ युवाओं और छात्रों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं. उन्होंने छात्रों को आसान से आसान शब्दों में विषय को समझाने की कला विकसित की है. वे देसी और भदेस भाषा का इस्तेमाल करते हैं, जो छात्रों को आसानी से समझ में आ जाती है. यदि खान सर की तरह अन्य शिक्षक भी शिक्षण कार्य को इतनी ही संजीदगी से लेकर खदु होम वर्क करें और विषय को रुचिकर बनाएं, तो न केवल स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ेगी और ड्रॉप आउट रेट भी कम होगा, क्योंकि अक्सर छात्र विषय समझ न आने कारण हार मान जाते हैं.
पटना में जीएस रिसर्च सेंटर चलाने वाले खान सर का नाम फैजल खान है. खान सर छात्रों तक पहुंचने के लिए डिजिटल मीडिया का जबरदस्त उपयोग करते हैं और अपने अनूठे ब्रांड के शिक्षण के लिए जाने जाते हैं.
वे विभिन्न विषयों पर अपने लेक्चर के वीडियो बनाकर भी यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं. गोरखपु में जन्मे और पटना को अपनी कर्म भूमि मानने वाले खान सर एक ट्रेंडी कोचिंग शिक्षक हैं.
उनका चैनल खान जीएस रिसर्च सेंटर का फलक बहुत बड़ा और उसके लगभग 1.45 करोड़ सब्सक्राइबर हैं. कोचिंग के मामले में वे दुनिया भर के ट्यूटर्स को चुनौती देते हुए प्रतीत होते हैं.
उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके वीडियो को 50 लाख से ज्यादा व्यूज मिलते हैं. खान सर के कई वीडियो को दो से तीन करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है. हालांकि, उनका सबसे ज्यादा देखा जाने प्रिजन सिस्टम इन इंडिया है, जिसे 4.4 करोड़ से अधिक बार देखा गया है.
खान सर कितना कमाते हैं? इस बारे में भी लोग उत्सुक रहते हैं. हालांकि यह जानना बहुत मुश्किल है कि वह संस्थान से क्या कमाते हैं. कुछ रिपोर्टों के अनुसार, उसकी कुल संपत्ति लगभग 2.2 मिलियन डॉलर है. वह कथित तौर पर यूट्यूब से हर महीने 10-12 लाख रुपये कमाते हैं.
खान सर की खासियत यह है कि वे कोचिंग सेंटर में पढ़ाते समय या फिर वीडियो बनाने से पहले किसी भी विषय पर बहुत अनुसंधान करते हैं. वे विषय के सिलसिलेवार और बिंदुवार नोट्स तैयार करते हैं. उनके वीडियोज से लगता है कि वे हर विषय पर स्वयं काफी होम वर्क करते हैं. उनके वीडियोज में विषय की समझ, तथ्यों और ज्ञान की प्रचुरता रहती है.
आजकल के शिक्षक स्कूलों में इस तरह से पढ़ाते हैं कि बस नौकरी कर रहे हैं. समर्पित शिक्षकों को लगातार अभाव होता जा रहा है, जो अपने छात्रों के साथ भावनात्मक स्तर पर जुड़े रहते थे और उन्हें कुछ सिखाकर और ज्ञान देकर उनके चरित्र का विकास किया करते थे.
खान सर में इन विलुप्त होते शिक्षकों का आदर्श रूप देखा जा सकता है. जो विषय में ज्ञान की प्रचुरता के साथ उसे रुचिकर बनाने में भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते हैं.
वे लेक्चर्स के समय ठेठ मगही, भोजपुरी और बिहारी भाषा का इस्तेमाल करते हैं. वे देसज भाषा और छात्रों की बोली-बानी में ही उन्हें समझाने का प्रयास करते हैं.
खान सर वीडियोज में इस बात के लिए बेहद सजग रहते हैं कि वे किस आयु वर्ग के लोगों के लिए यह प्रोग्राम तैयार कर रहे हैं. आयु वर्ग के मानसिक स्तर और परिपक्वता स्तर का ध्यान रखते हुए ही वे अपनी भाषा, शैली, शब्दों और हाव-भाव का चयन करते हैं.
बच्चों को बच्चा बनकर विषय समझाते हैं. इसलिए उनके सरलतम लेक्चर्स रसगुल्ले की मिठास की तरह बच्चों के गले उतर जाते हैं.
खान सर के विषय यूपीएससी के प्रतियोगियों से लेकर अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए होते हैं. जनरल नॉलेज के साथ उनके विषय करंट अफेयर्स पर भी होते हैं, जिन्हें समझना बच्चों को तो छोड़िए, बड़ों के लिए भी मुश्किल होते हैं, लेकिन खान सर अपनी कलात्मकर शैली से मुश्किल को हवा की मानिंद आसान बना देते हैं.
वे जिस तरह से समझाते हैं कि छात्र उनके दीवाने हो जाते हैं. उनकी पढ़ाई के दौरान अक्सर छात्र मुस्करा उठते हैं. कई बार तो खान सर में कोई शरारती बच्चा भी झांकता दिखाई देता है. खान सर बच्चों को उनके लेवल पर जाकर ही इंटरेक्ट करते हुए प्रतीत होते हैं.