जलसा-ए-सीरतुन्नबी: IAS व्यास जी बोले -महान विभूति किसी खास तबके या मुल्क के नहीं होते

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] • 1 Years ago
जलसा-ए-सीरतुन्नबी: आइएएस व्यास जी ने कहा-महान विभूति किसी खास तबके या मुल्क के नहीं होते
जलसा-ए-सीरतुन्नबी: आइएएस व्यास जी ने कहा-महान विभूति किसी खास तबके या मुल्क के नहीं होते

 

सेराज अनवर /पटना

पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल(पीएमसीएच)में जलसा-ए-सीरतुन्नबी का आयोजन एक खुशनुमा माहौल में आयोजित किया गया. इस जलसे में गैरमुस्लिम बुद्धिजीवियों ने पैगंबर ए इस्लाम कि शिक्षा पर बातें कीं और इसपर अमल करने का संदेश दिया ताकि देश-दुनिया में शांति बनी रहे.

मौजूदा परस्तिथि में एक दूसरे के धर्म के बारे में जानना जरूरी है.वक्ताओं ने कहा कि मोहम्मद साहब पूरी दुनिया के लिए रहमत बन कर आए. उनकी शिक्षा सिर्फ उनके अनुयायी तक सीमित नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए है.
 
इस  जलसा-ए-सीरतुन्नबी की खास बात यह रही कि इसकी अध्यक्षता गैरमुस्लिम ने की और दो प्रमुख वक्ताओं में एक गैरमुस्लिम थे. कार्यक्रम में गैरमुस्लिम छात्र-छात्राओं के इलावा बड़ी संख्या में गैरमुस्लिम बुद्धिजीवी एवं डॉक्टर्स ने भी शिरकत की.
 
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आईएएस व्यास ने पैगंबर साहब पर क्या कहा ?

जलसा की सदारत करते हुए बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे सेवनिवृत्त आइएएस अफसर व्यास जी ने कहा कि महान विभूति ,धर्म,दर्शन,विज्ञान किसी खास तबका,इलाका या मुल्क के लिए नहीं होता, पूरी इंसानियत के लिए होता है.
 
पैगंबर मोहम्मद साहब की हस्ती भी जो इस्लाम को मानते हैं सिर्फ उनके लिए नहीं है.उन्होंने दुनिया को मानवता का पाठ पढ़ाया.लोगों को बेहतर इंसान बनने के बारे में बातें की.
 
इस दौरान व्यास जी ने एक हदीस के हवाले से इसका उदाहरण देकर बताया कि एक बुढ़िया मोहम्मद साहब पर रोज कूड़ा फेंकने का काम करती थी.एक दिन मोहम्मद साहब उस रास्ते से गुजर रहे थे तो बुढ़िया ने कूड़ा नहीं फेंका,जिस पर मोहम्मद साहब को चिंता हुई. बुढ़िया बीमार तो नहीं पड़ गई और वह उसकी तबियत दरियाफत करने उसके घर चले गए.वह बीमार थी.उसका हालचाल पूछा.
 
पैगंबर इस्लाम की दयालुता थी.उन्होंने कहा कि इससे हमें इंसानियत की सीख मिलती है.मौजूदा दौर में आदमी-आदमी से नफरत कर रहा है.इस पर तुरंत विचार करने की जरूरत है.
 
यदि नफरत का माहौल रहा तो दुनिया की कोई भी तालीम काम नहीं आएगी.मोहम्मद साहब की शिक्षा पूरी मानवता के लिए है.पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ध्रुव कुमार ने इस तरह की आयोजन को जरूरी बताया.
 
उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों की सख्त जरूरत है, ताकि हम एक दूसरे के धर्मों के बारे में जान सकें.हमारे बीच बहुत सारी गलतफमियां हैं.हम दूसरे के धर्म को जानते नहीं.
 
चौदह सौ साल पहले इस धरती पर एक ऐसी शख््िसयत आई जिसने इतिहास की धारा को बदल दिया.मोहम्मद साहब से पहले अरब की क्या हालत थी? हर तरफ अराजकता था.उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस तरह के जलसों से दूरियां मिटेंगी.
 
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पैगंबर मोहम्मद (स) थी मेडिकल साइंस में  दिलचस्पी 

जमात-ए-इस्लामी हिंद बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद (स0) के जमाने में विकसित विज्ञानों में मेडिकल साइंस का जिक्र मिलता है.
 
पैगंबर मोहम्मद (स) की मेडिकल साइंस में काफी दिलचस्पी थी.कोई किसी परेशानी का जिक्र करता तो पैगंबर मोहम्मद (स) उसको कोई न कोई नुस्खा जरूर बता देते.तिब नबवी यानी पैगंबर मोहम्मद (स) के मेडिकल साइंस पर आज भी पंद्रह-बीस से ज्यादा किताबें दुनिया की विभिन्न लाइब्रेरियों में मिल जाएंगी.
 
मौलाना रिजवान अहमद ने कहा कि जिस आदमी को मेडिकल साइंस की जानकारी नहीं और वह इलाज करे तो उसे सजा दी जाए. यानी आज से चौदह सौ साल पहले पैगंबर मोहम्मद (स) ने झोला छाप डॉक्टरों पर पाबंदी लगा दी थी.
 
मौलाना रिजवान अहमद ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद (स0) ने शिक्षा के प्रति जागरूकता के लिए काफी प्रयास किए. उन्होंने लोगों को आदेश दिया कि अपने पड़ोस में स्थित मस्जिद में जाकर शिक्षा ग्रहण करो.
 
गजवा-ए-बद्र के कैदियों की रिहाई इस शर्त पर सुनिश्चित की गई कि वे दस-दस बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाएं.पैगंबर मोहम्मद (स0) के जमाने में ही विश्व प्रतिष्ठित आवासी विश्वविद्यालय सुफ्फा स्थापित किया गया.
 
मौलाना रिजवान अहमद ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद (स) ने नैतिक शिक्षा पर भी काफी जोर दिया. उन्होंने व्यापारियों से कहा कि वे लोगों को धोखा न दें.जो धोखा देगा, वह हम में से नहीं.
 
मौलाना रिजवान अहमद ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद (स) जीवन भर आपसी भाईचारे और प्रेम का संदेश देते रहे.पैगंबर मोहम्मद (स0) ने कहा कि पड़ोसी अगर भूखा सोता है, चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई कोई भी हो, उसकी मदद करो.उसकी जरूरत पूरी करो.
 
मौलाना रिजवान अहमद ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद (स) ने समानता का संदेश दिया. पैगंबर मोहम्मद (स0) ने कहा कि सारे इंसान आदम की औलाद हैं. आदम मिट्टी से बनाए गए हैं. सब एक बराबर हैं. कोई किसी से श्रेष्ठ नहीं है.
 
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डॉ.अहमद अब्दुल के जमाने से हो रहा जलसा

जलसा-ए-सीरतुन्नबी के आयोजन के लिए बजाब्ता मिलाद कमेटी बनी हुई है.इस कमेटी के मौजूदा सरपरस्त बिहार के नामचीन सर्जन डॉ.अहमद अब्दुल हई हैं.
 
उन्होंने बताया कि पीएमसीएच में इस रिवायत की स्थापना उनके पिता पद्मभूषण डॉ.एमए हई ने की थी.यह सिलसिला कॉलेज की स्थापना से ही कायम है.
 
पीएमसीएच की स्थापना 1925 में हुई. जलसा की खास बात यह है कि अध्यक्षता किसी गैरमुस्लिम को सौंपी जाती है और दो प्रमुख वक्ता में एक गैरमुस्लिम का होना लाजिमी है.
 
इसकी खूबी यह है कि मुस्लिम-गैरमुस्लिम दोनों मिलकर सीरत को बयान करते है. डॉ.हई कहते हैं कि मोहम्मद(स)पूरी दुनिया के लिए रहमतुल आलमीन बन कर आए थे.
 
हम इस रहमत को महदूद क्यों रखना चाहते हैं?वह सिर्फ मुसलमानों के नबी नहीं थे.हमें दकियानूसी ख्यालात से उपर उठ कर पैगम्बर ए इस्लाम के पैगाम ए अमन,भाईचारा को सभी लोगों में आम करने की जरूरत है.
 
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ये थे व्यवस्थापक

73वां जलसा सीरत का आयोजन इस बार पीएमसीएच के 2019 बैच ने किया.जिसके सचिव सबाहत अहमद, कोषाध्यक्ष मोहम्मद,जीशान अब्बास,आफताब आलम,आमरीन इस्लाम,हाफिया,मुर्तजा रजा,मोहम्मद असजद और फरखंदा सदस्य के बतौर शामिल हैं.जबकि सर्जरी विभाग के हेड डॉ.विद्यापति चौधरी,डॉ.आइएस ठाकुर ,डॉ.फरह उस्मानी,डॉ.शफकत आरफीन,डॉ.शामीर रहमान,डॉ.नफीस फातिमा,डॉ.जेड आजाद,डॉ.खुर्शीद आलम,डॉ.खालिद महमूद,डॉ.जिया उर रहमान,डॉ.शब्बीर अहमद,डॉ.शकील अहमद,डॉ.आसिफ रजा,डॉ.इकराम,डॉ.अतहर अंसारी,डॉ.अनवारुल होदा,फहीम अहमद,एजाज अहमद,आफाक अहमद आदि शरीक थे.