नई दिल्ली
भारत में धार्मिक स्थलों की ओर लोगों का आकर्षण तेज़ी से बढ़ रहा है। यह बात ऑनलाइन यात्रा बुकिंग प्लेटफॉर्म मेकमाईट्रिप द्वारा जारी किए गए आँकड़ों से सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 में 56 पवित्र स्थलों पर ठहरने की बुकिंग में 19 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है।
गुरुग्राम स्थित इस कंपनी ने कमरों और हवाई टिकटों की बुकिंग के आधार पर धार्मिक यात्रा से जुड़े रुझानों का विश्लेषण किया है। इन रुझानों से पता चलता है कि देश में तीर्थयात्रा की मांग में लगातार और मजबूत वृद्धि हो रही है, जिसके चलते प्रमुख धार्मिक स्थलों पर आवास की आपूर्ति में भी तेज़ी से विस्तार हो रहा है।
प्रमुख धार्मिक स्थल और बदलते रुझान
मेकमाईट्रिप की रिपोर्ट के अनुसार, प्रयागराज, वाराणसी, अयोध्या, पुरी, अमृतसर और तिरुपति जैसे पारंपरिक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल आध्यात्मिक यात्रा की मांग को आगे बढ़ा रहे हैं। इसके साथ ही, खाटूश्याम जी, ओंकारेश्वर और तिरुचेंदूर जैसे नए और उभरते हुए तीर्थस्थल भी बड़ी संख्या में लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं, जो देश में आध्यात्मिक यात्रा के बढ़ते दायरे को दर्शाता है।
मेकमाईट्रिप के सह-संस्थापक और समूह मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राजेश मागो ने कहा, "हम धार्मिक स्थलों की यात्रा में लगातार वृद्धि देख रहे हैं, जो मजबूत कनेक्टिविटी और सभी आयु वर्ग तथा आय वर्ग के भारतीयों में तीर्थयात्रा के प्रति बढ़ते रुझान को दिखाता है।"
बुकिंग पैटर्न: किफायती से लग्जरी तक
रिपोर्ट के अनुसार, तीर्थयात्रा के लिए अधिकांश बुकिंग (71 प्रतिशत) 4,500 रुपये प्रति रात से कम कीमत वाले कमरों के लिए होती है, जो दर्शाता है कि अधिकतर यात्री किफायती विकल्पों की तलाश में रहते हैं। हालाँकि, अब महंगे कमरों की मांग भी बढ़ रही है।
बीते वित्त वर्ष में 7,000-10,000 रुपये प्रति रात की कीमत वाले कमरों की बुकिंग में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
10,000 रुपये से अधिक की कीमत वाले कमरों की बुकिंग में 23 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
इसके अलावा, होम-स्टे और अपार्टमेंट जैसे वैकल्पिक आवासों ने भी लोकप्रियता हासिल की है। तीर्थ स्थलों में कुल कमरा बुकिंग का लगभग 10 प्रतिशत इन विकल्पों का है।
समूह में यात्रा का बढ़ता चलन
धार्मिक यात्राओं का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ये ज्यादातर समूहों में की जाती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 47 प्रतिशत धार्मिक यात्राएं समूहों में की जाती हैं, जबकि सामान्य अवकाश स्थलों के लिए यह आंकड़ा केवल 38.9 प्रतिशत है। यह दर्शाता है कि परिवार या दोस्तों के साथ मिलकर तीर्थयात्रा करने का चलन काफी मजबूत है।
कुल मिलाकर, ये आँकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि धार्मिक यात्रा अब सिर्फ एक आध्यात्मिक गतिविधि नहीं रह गई है, बल्कि यह भारतीय पर्यटन क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण और तेज़ी से बढ़ता हुआ हिस्सा बन गया है।