नवजात शिशु में संक्रमण की पहचान कैसे करें

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 21-12-2025
How to identify infection in a newborn baby?
How to identify infection in a newborn baby?

 

नई दिल्ली।

जन्म के बाद के शुरुआती कुछ सप्ताह नवजात शिशु के लिए बेहद संवेदनशील होते हैं। इस दौरान शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं होती, जिससे वह संक्रमण की चपेट में जल्दी आ सकता है। नवजात शिशुओं में संक्रमण के लक्षण अक्सर बहुत हल्के होते हैं, इसलिए माता-पिता के लिए उन्हें समय पर पहचानना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सेप्सिस और निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियाँ नवजात शिशुओं में बीमारी के प्रमुख कारणों में शामिल हैं, लेकिन यदि शुरुआती संकेतों को समय रहते समझ लिया जाए, तो उपचार आसान और प्रभावी हो सकता है।

नवजात शिशुओं में संक्रमण के लक्षण बड़े बच्चों से अलग होते हैं। जीवन के पहले 28 दिनों में आमतौर पर तेज बुखार, खांसी या जुकाम जैसे स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते। इसके बजाय शिशु के खाने-पीने, सांस लेने, व्यवहार और शरीर के तापमान में छोटे-छोटे बदलाव नजर आते हैं। ये बदलाव भले ही मामूली लगें, लेकिन कई बार ये संक्रमण के शुरुआती संकेत होते हैं।

संक्रमण की पहचान का एक अहम संकेत शिशु के खाने की आदतों में बदलाव है। यदि बच्चा सामान्य से कम दूध पी रहा हो, जल्दी थक जाए, बार-बार दूध छोड़ दे या अचानक बहुत ज्यादा सोने लगे, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसी तरह, यदि पहले सक्रिय रहने वाला शिशु अचानक बहुत शांत, सुस्त, बेचैन या कम प्रतिक्रिया देने लगे, तो यह भी चिंता का विषय हो सकता है।

लगातार तेज रोना, जिसे आसानी से शांत न किया जा सके, संक्रमण का एक और संकेत हो सकता है। नवजात शिशुओं में खाना न खाना या व्यवहार में अचानक बदलाव आना बुखार जितना ही गंभीर माना जाता है।

शरीर का तापमान भी संक्रमण पहचानने का महत्वपूर्ण पैमाना है। 38 डिग्री सेल्सियस (100.4 डिग्री फारेनहाइट) या उससे अधिक बुखार को गंभीरता से लेना चाहिए। वहीं, 36 डिग्री सेल्सियस (96.8 डिग्री फारेनहाइट) से कम तापमान भी उतना ही खतरनाक हो सकता है। कम तापमान की स्थिति में शिशु के हाथ-पैर ठंडे महसूस हो सकते हैं। नवजात शिशुओं में अधिक या कम, दोनों ही तरह के तापमान में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है, भले ही अन्य लक्षण मौजूद न हों।