तिरुवनंतपुरम
विदेश मंत्रालय (MEA) की कड़ी आपत्तियों और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी के बाद केरल चलचित्र अकादमी ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव केरल (IFFK) में छह फिल्मों का प्रदर्शन न करने का फैसला किया है। मंत्रालय का कहना था कि ये फिल्में भारत की विदेश नीति के खिलाफ जाती हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं।
केरल चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष और ऑस्कर विजेता रेसुल पुकुट्टी ने ‘पीटीआई वीडियो’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि यह निर्णय पूरी तरह अकादमी का था और इसमें किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने पहले उन सभी 19 फिल्मों को प्रदर्शित करने का अनुरोध किया था, जिनके लिए केंद्र सरकार ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था। फिल्मों को मंजूरी देने में देरी को लेकर महोत्सव के दौरान व्यापक सार्वजनिक नाराज़गी भी देखने को मिली थी।
पुकुट्टी के अनुसार, केंद्र सरकार ने अकादमी को बताया था कि सूची में शामिल कुल 186 फिल्मों में से 180 को प्रदर्शन की अनुमति दे दी गई है। उन्होंने कहा, “हम नहीं चाहते थे कि इस मुद्दे पर और तनाव पैदा हो या यह संदेश जाए कि केरल के लोग नियमों की अवहेलना कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि केरल के मुख्य सचिव ने उन्हें ईमेल के जरिए विदेश मंत्रालय के निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा था। पुकुट्टी ने उन आरोपों को खारिज किया कि फिल्मों की मंजूरी के लिए अकादमी की ओर से कोई प्रक्रियागत देरी हुई थी। उनके मुताबिक, गृह मंत्रालय द्वारा वीज़ा नियमों में अचानक किए गए बदलाव से स्थिति जटिल हो गई।
पुकुट्टी ने बताया कि अब विदेशी प्रतिनिधियों और जूरी सदस्यों को बिजनेस वीज़ा के बजाय कॉन्फ्रेंस या सिम्पोज़ियम वीज़ा लेना अनिवार्य कर दिया गया, जिसकी प्रक्रिया केवल एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से होती है। इससे संवाद और समन्वय में कठिनाई आई और फिल्म चयन की प्रक्रिया प्रभावित हुई।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने में हुई देरी राजनीतिक से अधिक नौकरशाही कारणों से जुड़ी थी। अंततः छह फिल्मों को छोड़कर बाकी सभी को प्रदर्शन की अनुमति मिल गई। पुकुट्टी ने बताया कि मंजूरी प्रक्रिया को तेज करने के लिए उन्होंने स्वयं दिल्ली जाकर अधिकारियों से बातचीत भी की।