नई दिल्ली
जन्म के बाद के पहले कुछ सप्ताह नवजात शिशुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इस समय उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अभी विकसित नहीं होती, इसलिए वे आसानी से संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। कई बार शुरुआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं और माता-पिता उन्हें सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि सेप्सिस, निमोनिया जैसे संक्रमण नवजात शिशुओं में गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं। समय रहते पहचान करने पर इलाज काफी आसान और प्रभावी हो जाता है।
जीवन के पहले 28 दिनों में नवजात शिशु सामान्य रूप से तेज बुखार, कफ या खांसी जैसे स्पष्ट संकेत नहीं दिखाते। इसके बजाय, उनके खाने, सोने, सांस लेने और शरीर के तापमान में subtle बदलाव दिख सकते हैं। यही मामूली बदलाव संक्रमण की ओर संकेत कर सकते हैं।
संक्रमण के शुरुआती संकेत कैसे पहचानें?
यदि शिशु:
सामान्य से कम दूध पी रहा है,
दूध पीते-पीते जल्दी थक जाता है,
या बार-बार सो जाता है,
तो यह किसी संक्रमण की शुरुआत हो सकती है।
जो बच्चा पहले सक्रिय था, यदि वह:
अचानक बेहद शांत हो जाए,
चिड़चिड़ा या बेचैन हो जाए,
प्रतिक्रिया देना कम कर दे,
तो यह चेतावनी का संकेत है।
यदि बच्चा बिना वजह ज़्यादा देर तक रोता रहे और शांत न हो, तो यह शरीर में असुविधा या संक्रमण का संकेत हो सकता है।
तापमान में बदलाव पर रखें खास नजर
38°C (100.4°F) या उससे अधिक तापमान नवजात के लिए गंभीर स्थिति है।
तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
36°C (96.8°F) से कम शरीर का तापमान भी उतना ही खतरनाक है।
ऐसे में शिशु का शरीर, खासकर हाथ-पैर, छूने पर ठंडे महसूस होते हैं।
उच्च और निम्न दोनों तापमानों को नवजात में इमरजेंसी लक्षण माना जाता है, भले ही बच्चे में अन्य कोई लक्षण न दिखें।