हिंदी दिवसः हिंदी साहित्य के चार स्तंभ

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 15-09-2024
Hindi Diwas special four leading writers of old hindi
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साक्षी/ शिल्पा/ नई दिल्ली

हिंदी दिवस के मौके पर आइए जानते हैं, वैसे कुछ लेखक और कवियों के बारे में. जिन्होंने हिंदी भाषा में लिखकर इसको समृद्ध बनाया है.

कबीर दास

हिंदी के एक महान सुप्रसिद्ध कवि कबीर दास ने अपने जीवन में अनेक प्रकार की रचनाएं लिखी है और इसके साथ ही उन्होंने कई दोहे भी लिखे हैं. जो काफी प्रसिद्ध भी हुए हैं. कबीर दास ने साखियों और उलटबांसियों से समाज की कुप्रथा और अंधविश्वास को आड़े हाथों लिया है.

कबीर दास संत, कवि और समाज सुधारक थे. कबीर ने बोलचाल की भाषा का ही प्रयोग किया है, जिसको सधुक्कड़ी भी कहते हैं. जिस तरीके से अपनी बात कहते थे उसी तरीके से वह उन्हें प्रकट भी करते थे.

कबीरदास ने 6 ग्रंथ लिखे है:-

• कबीर साखी - इस ग्रंथ में कबीर साहेब साखियो के माध्यम से आत्मा और परमात्मा ज्ञान समझाया करते थे.

• कबीर बीजक - इस ग्रंथ में मुख्य रूप से पद्य है.

• कबीर शब्दावली - इस ग्रंथ में मुख्य रूप से कबीर साहेब ने आत्म को अपने अनमोल शब्दो के माध्यम से परमात्मा कि जानकारी बताई है.

• कबीर दोहावाली - इस ग्रंथ में मुख्य तौर पर कबीर साहेब के दोहे सम्मालित है.

• कबीर ग्रंथावली - इस ग्रंथ में कबीर साहेब के पद और दोहे सम्मिलित किए गए हैं.

• कबीर सागर - यह सूक्ष्म वेद है जिसमे परमात्मा की विस्तृत जानकारी है.

 

अब्दुल रहीम खानेखाना

अब्दुल रहीम खान-ए-खाना जन्म से एक मुस्लमान होते हुए भी हिंदू जीवन के अंतर्मन में गहरे पैठे हैं. हिंदू देवी देवताओं, धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं का उल्लेख उन्होंने पूरी जानकारी एंव बड़ी ईमानदारी से किया है. अब्दुल रहीम खान-ए-खाना एक लोकप्रिय सूफी कवि भी रहे.

भक्तिकाल हिंदी साहित्य में रहीम का महत्वपूर्ण स्थान है. रहीम का व्यक्तित्व, बहुत प्रभावशाली था और उनकी भाषा सरल थी. रहीम अपनी सारी कविताओं में अपने नाम में रहीम की जगह रहिमन का प्रयोग किया करते थे. वह मुसलमान होते हुए भी कृष्ण भक्त थे. रहीम को अनेक भाषाओं का ज्ञान था. उन्होंने तुर्की भाषा के ग्रंथ को फारसी में अनुवाद भी किया था.

रहीम के ग्रंथ

•  रहीम दोहावली - रहीम के दोहों का विशाल संकलन

• फुटकर पद/ रहीम

• बरवै भक्तिपरक /रहीम

• श्रृंगार - सोरठा /रहीम

• नगर - शोभा /रहीम

 

रसखान

रसखान कृष्ण भक्त और मुस्लिम कवि थे. उनका कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में महत्वपूर्ण स्थान है. इनका पूरा नाम सैय्यद इब्राहिम  रसखान था और उनको "रस की खान" भी कहा जाता है तथा खान उनकी अवधि थी. इनके काव्य में भक्ति, श्रृंगार रस दोनो प्रधानता  से मिलते है.

मुसलमान होते हुए भी रसखान कृष्ण की भक्ति से ऐसे डूबे कि वे हिंदू और मुस्लमान के बीच के सभी अंतरों को भूल गए. रसखान की सेवाएं में अनेक आराध्या श्री कृष्ण लीलाएं करते है, जैसे - बाललीला, रासलीला, फागलीला, कुंजलीला आदि.

हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपनी पुस्तक में रसखान के 2 नाम लिखे हैं- सय्यद इब्राहिम और सुजान रसखान. सुजान उनकी एक रचना का नाम है. रसखान की शिक्षा अच्छी और उच्च कोटि की हुई थी. उन्हें फारसी, हिंदी और संस्कृत भाषा का अच्छा ज्ञान था. उन होने कई रचनाएं भी लिखी है जिनका नाम है:-

 

मलिक मुहम्मद जायसी

मलिक मुहम्मद जायसी हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के निर्गुण धारा के कवि थे. वह सरल और सूफी महात्मा है. जायसी मलिक वंश के थे. उनके नाम में जायसी शब्द का प्रयोग उनके उपनाम की भांति किया जाता है.

मलिक मुहम्मद ने बहुत कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया था. बचपन में एक हादसे के कारण मलिक मुहम्मद एक आंख से अंधे हो गए थे और चेचक की बीमारी के कारण उनका चेहरा भी खराब हो गया था. मलिक के 7 पुत्र थे और दुर्घटना में उनके सातों पुत्रों की मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद उन्होंने गृहस्थ जीवन त्याग दिया और सूफी बन गए.