नई दिल्ली।
पैदल चलना एक बेहद आसान और असरदार आदत है, जो खासतौर पर डायबिटीज़ या प्रीडायबिटीज़ से पीड़ित लोगों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है। यह न तो महंगा है, न ही इसके लिए किसी जिम या उपकरण की ज़रूरत होती है — बस चाहिए एक जोड़ी आरामदायक जूते और थोड़ी सी प्रेरणा।
लेकिन सवाल ये है कि पैदल कब चलना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है?खासकर भोजन के बाद टहलना, ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और पाचन सुधारने में मदद करता है।
कब टहलना है — खाने से पहले या बाद में?
कुछ लोग मानते हैं कि खाली पेट टहलने से वज़न कम करने में मदद मिलती है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि खाने के बाद टहलना, खासकर डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए, ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में ज़्यादा असरदार होता है।
विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि खाने के 10-15 मिनट बाद टहलना शुरू करें। यही वह समय होता है जब खाया हुआ भोजन पचने लगता है और ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ता है। ऐसे में पैदल चलना शरीर में ग्लूकोज़ को बेहतर ढंग से उपयोग करने में मदद करता है।
कितना और कैसे टहलें?
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10-20 मिनट की हल्की से मध्यम गति (3-4 किमी/घंटा) से की गई सैर, ब्लड शुगर को घटाने में प्रभावी हो सकती है।
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अगर आपने कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन किया है, तो 30 मिनट या उससे ज़्यादा टहलने से अतिरिक्त लाभ मिलते हैं।
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खाने के बिलकुल तुरंत बाद (0-5 मिनट के भीतर) चलना भी असरदार हो सकता है, लेकिन भारी भोजन के बाद कुछ लोगों को पेट फूलना या बेचैनी हो सकती है, इसलिए सावधानी रखें।
चलने के दौरान आम गलतियाँ, जो फायदे को घटा सकती हैं
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बहुत धीरे या उद्देश्यहीन चलना – इससे दिल की धड़कन नहीं बढ़ेगी और कैलोरी भी नहीं जलेगी।
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गलत मुद्रा में चलना – इससे गर्दन, पीठ और कंधों में दर्द हो सकता है।
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अनियमितता – कभी-कभार टहलने से ज़्यादा असर नहीं पड़ता, इसे रोज़मर्रा की आदत बनाना ज़रूरी है।
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गलत जूते पहनना – सही फिटिंग वाले आरामदायक जूते न हों तो चलने में दर्द या चोट लग सकती है।
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हर दिन एक ही रास्ते पर चलना – एक जैसे रास्ते से बोरियत हो सकती है। रूट बदलने से शरीर को नई चुनौती मिलती है और मन भी उत्साहित रहता है।
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हाइड्रेशन की कमी – चलते वक्त पानी पीना न भूलें, खासकर गर्मियों में।
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शरीर के संकेतों को नजरअंदाज़ करना – अगर थकान, चक्कर या बेचैनी महसूस हो तो तुरंत रुक जाएँ।
अगर आप डायबिटीज़ या प्रीडायबिटीज़ से जूझ रहे हैं तो खाने के बाद की सैर आपकी सेहत में बड़ा बदलाव ला सकती है। लेकिन इसका सही समय, गति और निरंतरता बेहद अहम है। यह आसान सी आदत लंबे समय में आपको बड़ी राहत दे सकती है — बिना किसी खर्च और जटिलता के।