AMU में मना सर सैयद दिवस: शिक्षा, तर्क और नैतिकता का संगम

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-10-2025
Sir Syed Day celebrated at AMU: A confluence of education, logic and morality
Sir Syed Day celebrated at AMU: A confluence of education, logic and morality

 

आवाज द वाॅयस/अलीगढ़

 “सैयद अहमद ख़ान द्वारा प्रज्वलित प्रकाश हमारी राह को मार्गदर्शित करता रहे, हमारे मन को प्रेरित करता रहे और हमें यह याद दिलाता रहे कि एक प्रबुद्ध व्यक्ति लाखों की तकदीर बदल सकता है,” यह बात जस्टिस अब्दुल शाहिद, इलाहाबाद हाईकोर्ट, ने मुख्य अतिथि के रूप में सर सैयद दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने AMU से जुड़ने के अपने 41 वर्षों की यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि शिक्षा, धैर्य और नैतिक उद्देश्य कितने शक्तिशाली साधन हैं जो किसी के स्वप्न को साकार कर सकते हैं.
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उन्होंने यह बात दोहराई कि सर सैयद का यह संदेश आज भी प्रासंगिक है कि “एक राष्ट्र की प्रगति के लिए पहला ज़रूरी तत्व समाज के सभी वर्गों में भाईचारे और एकता है,” और “अज्ञान गरीबी की जननी है. शिक्षा ही उसका उपाय है.” उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपनी महत्वाकांक्षाओं के प्रति प्रतिबद्ध रहें, निरंतर सीखें, हानिकारक आदतों को छोड़ना सीखें और नाकामी को प्रेरणा स्रोत बनाएं.

 जस्टिस शाहिद ने न्यायपालिका और राष्ट्रनिर्माण में सर सैयद और उनके पुत्र जस्टिस सैयद महमूद की भूमिका की तुलना की और छात्रों को integrity (निष्ठा), समर्पण और धैर्य की उसी प्रेरणा को अपनाने का आह्वान किया.

मुख्य गणमान्य वक्ता डॉ. एस. सोमनाथ, पूर्व अध्यक्ष, ISRO और चाणक्य विश्वविद्यालय, बैंगलोर, ने सर सैयद के उस दृष्टिकोण की सराहना की जो आस्था के साथ तर्क को और आधुनिक विज्ञान को नैतिक मूल्यों के साथ जोड़ता है. उन्होंने कहा कि एक वैज्ञानिक समाज की कल्पना जिसमें शिक्षा नैतिक और राष्ट्रीय पुनरुत्थान की कुंजी हो, आज भी अत्यंत प्रासंगिक है.

डॉ. सोमनाथ ने यह बताया कि चाहे वह विज्ञान हो या आध्यात्मिक चिंतन, ज्ञान की खोज जिज्ञासा, सहयोग और नैतिक उद्देश्य का सफर है. उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिक्ष अन्वेषण, अनुवंशिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी नई तकनीकें सामाजिक बदलाव के अभूतपूर्व अवसर प्रदान करती हैं. उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे वैज्ञानिक कौशल और नैतिक जागरूकता को राष्ट्र निर्माण के लिए उपयोग में लाएँ.

उन्होंने यह भी कहा कि AMU के छात्र और शिक्षक पहले ही वैज्ञानिक सहयोगों और अभियानों में योगदान दे चुके हैं, जिससे विश्वविद्यालय की भूमिका एक सक्षम नेतृत्व, प्रौद्योगिकीविद् और नवप्रवर्तनकर्ता तैयार करने में और मजबूत हुई है.

डॉ. सोमनाथ ने निष्कर्ष के रूप में यह बात दोहरायी कि “सच्ची आधुनिकता का मतलब है ज्ञान की परिधि को विस्तृत करना लेकिन विवेक का केंद्र न खोना,” और छात्रों से अनुरोध किया कि वे शिक्षा को अज्ञानता के विरुद्ध शक्ति बनाकर सर सैयद की विरासत को आगे बढ़ाएं.

विशेष अतिथि,  मिले अश्वार्य, वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रकाशक, पेंगुइन रैंडम हाउस, ने सर सैयद के ज्ञान, समावेशिता और शिक्षा द्वारा सशक्तिकरण पर उनके जोर की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, खुलेपन और विविधता का सम्मान आज की युवा पीढ़ी के लिए अनिवार्य मूल्य हैं. उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें लेकिन ऊँची उड़ान भरें, यह बताते हुए कि धैर्य, लगन और नियमित प्रयास महानता की कुंजी हैं.

अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में कुलपति प्रो. Naima Khatoon ने सर सैयद को “विचारों का निर्माता, समाज के सुधारक, और जनों के लिए दीपप्रदीपक” कहा. उन्होंने कहा कि AMU आज सर सैयद के आदर्शों का जीवंत स्वरूप है, जहाँ तर्क के साथ आस्था, सहिष्णुता की शिक्षा और परिवर्तनकारी शिक्षा साथ-साथ चलते हैं.

प्रो. खातून ने विश्वविद्यालय की हाल की उपलब्धियों को रेखांकित किया , जैसे NIRF में शीर्ष‑10 रैंक, भारत की भू-स्थानिक मिशन में योगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय पुरस्कार, 6.5 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता, और ₹5 करोड़ DST–TBI अनुदान द्वारा AI, स्वास्थ्य और अंतरिक्ष तकनीक में स्टार्टअप्स का समर्थन करने के लिए AMU इनोवेशन फाउंडेशन की शुरुआत. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क (UK), जेनोवा (इटली), Universitas Gadjah Mada (इंडोनेशिया), टेम्ब्रद (ब्रुनेई), और उद्योगों जैसे Novo Nordisk India एवं AstraZeneca के साथ MoU और साझेदारियाँ स्थापित की हैं.

कुलपति ने  जोर दिया कि AMU छात्रों में अनुसंधान, नवाचार और नैतिक नेतृत्व को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और छात्रों से अनुरोध किया कि वे जिम्मेदारी के साथ ज्ञान का उपयोग करें, ऐसी तकनीकें बनाएं जो चंगाइयां करें, ऐसे कोड लिखें जो समावेशी हों, और ऐसी प्रगति करें जो समाज के लिए लाभदायक हो.

उन्होंने कहा कि सर सैयद की विरासत विश्वविद्यालय की पहलों , ऑल इंडिया निबंध लेखन प्रतियोगिताएँ, सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार — से प्रेरित है और विश्वविद्यालय “Integrity के साथ शिक्षा, Responsibility के साथ अनुसंधान, और Inclusion के साथ नवाचार” को Viksit Bharat 2047 की आधारशिला मानता है.

प्रो. खातून ने अंततः यह भावनापूर्ण अपील की: “हमारे संस्थापक की सबसे अद्भुत रचना एक कॉलेज नहीं बल्कि एक विवेक थी. मैं दुआ करती हूँ कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय सदैव आधुनिक भारत की विवेक बनकर रहे: जहाँ मन कठोर हो, हृदय दयालु हो, और आत्मा शांत हो.”

सर सैयद दिवस (अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय) के लिए सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार प्रो. फैसल देवजी, Balliol College, University of Oxford (अंतर्राष्ट्रीय), और डॉ. अब्दुल कादिर, चेयरमैन, शहीन समूह ऑफ इंस्टिट्यूशन्स (राष्ट्रीय) को प्रदान किए गए.

प्रो. फैसल देवजी ने कहा कि उनका प्रारंभिक शोध अलीगढ़ आंदोलन पर था, और यह आंदोलन एक भारतव्यापी मुस्लिम समुदाय के निर्माण के दृष्टिकोण को आज भी आधुनिक भारतीय इतिहास की समझ में स्थापित करता है.

डॉ. अब्दुल कादिर ने शिक्षा आंदोलन पर अपने विचार साझा किए और बताया कि कैसे शहीन स्कूलों ने धार्मिक और आधुनिक शिक्षा को जोड़ने का प्रयास किया है और बच्चों के लिए एक व्यवधान-रहित आवासीय शिक्षा वातावरण बनाने की दिशा में काम किया है. उन्होंने अगली पीढ़ी को पोषण देने और इस शिक्षा आंदोलन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित करने की ज़रूरत पर बल दिया.

इस कार्यक्रम में छात्रों — ज़ैनब फ़ैज़ा इस्लाम और अबू माज़ — द्वारा भाषण दिए गए, तथा फैकल्टी सदस्यों प्रो. फ़ज़ा ताबस्सुम अज़मी और प्रो. मोहम्मद क़मरुल हुदा फ़रीदी ने सर सैयद के योगदान, सामाजिक सुधार और बौद्धिक जागरण पर अपने विचार साझा किए.

“सर सैयद अहमद ख़ान और अलीगढ़ आंदोलन: भारत में एक तर्कसंगत दृष्टिकोण से धर्मनिरपेक्ष शिक्षा” विषय पर आयोजित ऑल इंडिया निबंध लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को कुलपति प्रो. नैमा खातून और प्रो-उपकुलपति प्रो. एम. मोहसिन ख़ान द्वारा नकद पुरस्कार व प्रमाणपत्र प्रदान किए गए.

अंग्रेज़ी में : प्रथम पुरस्कार तोबा शम्सी (BA, जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली), द्वितीय स्टुति नारायण (BALLB, NALSAR, हैदराबाद), तृतीय यानिस इक़बाल (BA, AMU)

उर्दू में : प्रथम ताहिर हुसैन (Ph.D.), द्वितीय अफरीन रज़ा (Ph.D.), तृतीय अबू दाऊद (BA)

हिंदी में : पहला मोहम्‍मद सुहैब (BALLB), दूसरा आज़रम फातिमा सिद्दीकी (B.Com.), तीसरा सलमा अशफ़ा (Ph.D.)
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उर्दू और हिंदी श्रेणियों के सभी विजेता AMU के हैं.दिन की शुरुआत विश्वविद्यालय मस्जिद में कुरआन ख्वानी से हुई. उसके बाद सर सैयद के मजार पर चादरपोशी हुई. कुलपति, गणमान्य अतिथि और फैकल्टी सदस्यों ने सर सैयद की रचनाओं और पुस्तकों पर एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जिसे सर सैयद अकादमी और मौलाना आज़ाद पुस्तकालय ने मिलकर आयोजित किया था। उसी कार्यक्रम में “डिजिटल आर्काइव्स ऑफ द अलीगढ़ इंस्टिट्यूट गज़ेट” की भी शुरुआत की गई.

स्वागत भाषण प्रो. आसिम ज़फ़र, रजिस्ट्रार, AMU ने दिया, जबकि धन्यवाद प्रस्ताव प्रो. रफीउद्दीन, डीन (छात्र कल्याण) ने प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. शरिफ़ अकील और डॉ. फ़ैज़ा अब्बासी ने किया. अंत में विश्वविद्यालय तराना और राष्ट्रीय गान प्रस्तुत किए गए.