सद्भाव और रोशनी का अद्भुत संगम: भारतीय दूतावास की मदद से दुबई में दीपोत्सव का भव्य आगाज़

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 18-10-2025
A wonderful confluence of harmony and light: Diwali Festival kicks off in Dubai with the support of the Indian Embassy
A wonderful confluence of harmony and light: Diwali Festival kicks off in Dubai with the support of the Indian Embassy

 

आवाज़ द वॉयस/ नई दिल्ली

भारत की सीमाओं से परे, विश्व पटल पर दीपोत्सव का उल्लास इस वर्ष अपने चरम पर है. रोशनी से जगमगाते और खुशियों से सराबोर इस पर्व का मूल भले ही हिंदू धर्म से जुड़ा हो, लेकिन यह एक ऐसा वैश्विक त्योहार बन चुका है, जिससे दूसरे धर्मों के लोग भी खुद को अलग नहीं रख पाते. इसी समावेशी भावना का एक विहंगम और मनमोहक दृश्य शुक्रवार शाम दुबई की ऐतिहासिक क्रीक के किनारे अल सीफ़ (Al Seef) में देखने को मिला. यहाँ सैकड़ों भारतीय प्रवासी और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के निवासी दुबई के 10 दिवसीय दिवाली उत्सव के भव्य शुभारंभ के साक्षी बने.
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दुबई के प्रतिष्ठित दुबई क्रीक के किनारे, अल सीफ़ का ऐतिहासिक क्षेत्र रंगों और उत्सव की उमंग से सराबोर हो गया. दिवाली 2025 के इस शानदार आगाज पर आसमान को छूती आतिशबाजी, जीवंत सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और एक भव्य जुलूस निकाला गया, जिसने सही मायने में 'रोशनी के त्योहार' की भावना को मूर्त रूप दिया.

यह कार्यक्रम तीन दिवसीय 'नूर: रोशनी का त्योहार' (Noor: Festival of Lights) का आधिकारिक उद्घाटन भी था. इसका आयोजन दुबई फेस्टिवल्स एंड रिटेल एस्टेब्लिशमेंट (DFRE) द्वारा दुबई के अर्थव्यवस्था और पर्यटन विभाग (DET) के तहत, दुबई स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास और टीमवर्क आर्ट्स के सहयोग से किया गया था. इस साझेदारी ने स्पष्ट कर दिया कि यह केवल एक सामुदायिक आयोजन नहीं, बल्कि दुबई के आधिकारिक कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

उत्सव का उद्घाटन एक प्रतीकात्मक और गरिमामय समारोह में किया गया, जहाँ DFRE में रिटेल कैलेंडर और प्रमोशन के कार्यवाहक उपाध्यक्ष मोहम्मद फेरस और दुबई में भारत के महावाणिज्य दूत सतीश कुमार सिवन ने पारंपरिक दीप प्रज्वलित किए. इस दीप प्रज्ज्वलन ने दिवाली की प्राचीन परंपराओं के प्रति सम्मान व्यक्त किया.
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बॉलीवुड की धुन पर दुबई पुलिस बैंड का अनोखा प्रदर्शन

शाम के आकर्षणों में सबसे आगे रही भारतीय पुरुष और महिला ढोल वादकों और नर्तकों की भव्य शोभायात्रा, जिसने उत्सव में पारंपरिक जोश भर दिया. इसके तुरंत बाद, दुबई पुलिस बैंड ने एक विशेष प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. जब बैंड ने प्रसिद्ध बॉलीवुड हिट गीत "तुझे देखा तो ये जाना सनम" की धुन छेड़ी, तो सैकड़ों दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान आ गई और माहौल में एक अद्भुत भारतीय रंग घुल गया.

तीन मिनट की शानदार आतिशबाजी ने रात के आसमान को असंख्य रंगों से भर दिया. सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और मनमोहक रोशनी एवं रंगों से सजे निःशुल्क शो ने अल सीफ़ के ऐतिहासिक इलाके को एक मनोरम पृष्ठभूमि प्रदान की. यहाँ की पारंपरिक 'ढो' नौकाएँ और प्राचीन वास्तुकला, आधुनिक उत्सव के साथ मिलकर विरासत और समकालीनता का एक अनूठा मिश्रण प्रस्तुत कर रही थीं.
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समावेशिता का उदाहरण बनी दुबई की दिवाली

इस भव्य उत्सव में शामिल होने आए आगंतुकों के अनुभवों ने दुबई की समावेशी भावना को उजागर किया. रूस से अपनी माँ के साथ एक हफ़्ते के लिए दुबई घूमने आई पर्यटक विक्टोरिया फेडोरियानोवा ने क्रीक के किनारे की इस शाम का भरपूर आनंद लिया. उन्होंने खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "भारतीय समुदाय को यहाँ अपना त्योहार मनाते देखना अद्भुत है. ढेर सारे रंगारंग कार्यक्रम और जीवंत संगीत. हमें यह बहुत पसंद आ रहा है."

पिछले 38 वर्षों से अमीरात को अपना घर कह रहे भास्करन के. जैसे दुबई के दीर्घकालिक निवासियों के लिए भी इतने बड़े पैमाने पर दिवाली मनाने का यह पहला अनुभव था. उन्होंने बताया, "मैं दुबई के एक सुपरमार्केट में काम करता हूँ. आज मेरी छुट्टी थी, इसलिए मैं अल सीफ़ में घूम रहा था. तभी मेरी नज़र इस पर पड़ी. मैं यहाँ के त्योहारों का भरपूर आनंद ले रहा हूँ. दुबई में भारतीय संस्कृति का जश्न मनाते देखना बहुत अच्छा लग रहा है."

कई निवासी इस उत्सव में शामिल होने के लिए पारंपरिक भारतीय परिधान पहनकर आए थे, जो इस त्योहार के प्रति उनके गहरे लगाव को दर्शाता था. अल ग़ुसैस से अपने पति और बेटी के साथ आईं हीना सरन ने दुबई का आभार व्यक्त किया कि उसने समुदाय को 'घर से दूर, घर जैसी' दिवाली मनाने का अवसर दिया.

उन्होंने कहा, "दिवाली हमारा सबसे बड़ा उत्सव है और हम अपने परिवारों से दूर रहते हैं. लेकिन दुबई की बदौलत हम घर जैसा ही त्योहार मना पाते हैं. हम दुबई के बहुत आभारी हैं. उसने हमें यहाँ भी दिवाली जैसा ही माहौल बनाने में मदद की."

हीना के परिवार ने अपने दोस्तों को भी इस प्रदर्शन और आतिशबाज़ी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, जिससे यह उन भारतीय प्रवासियों के लिए एक अत्यंत खास उत्सव बन गया जिन्होंने अपनी मातृभूमि से दूरी को इस उल्लास के माध्यम से कम किया.
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दीपोत्सव: एक त्योहार से बढ़कर, एक वैश्विक साझेदारी

DFRE के कार्यवाहक उपाध्यक्ष मोहम्मद फेरस ने बताया कि दस दिनों तक चलने वाला यह उत्सव केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि शहर भर में बड़े-बड़े खुदरा प्रचारों को भी शामिल करता है. उन्होंने घोषणा की, "सिर्फ़ दिवाली के दौरान ही हमारे पास सोने और आभूषणों पर ढेरों ऑफ़र और पाँच लाख दिरहम तक के बड़े लॉटरी ड्रॉ होते हैं."

फेरस ने ज़ोर देकर कहा कि यह उत्सव सिर्फ़ एक त्योहार से कहीं बढ़कर है. उन्होंने कहा, "हम यहाँ सिर्फ़ रोशनी के त्योहार का जश्न मनाने के लिए ही नहीं, बल्कि संस्कृतियों की जीवंत विविधता का जश्न मनाने के लिए भी आए हैं जो हमारे शहर दुबई को इतना ख़ास बनाती है. एक ऐसी जगह और घर जहाँ 200 से ज़्यादा राष्ट्रीयताएँ शांति और सद्भाव के साथ साथ-साथ रहती हैं."
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उन्होंने दुबई की इस अनूठी पहचान को रेखांकित करते हुए कहा, "यह संस्कृतियों का समृद्ध मिश्रण ही है जो हमें परंपराओं को साझा करने, यादें बनाने और साथ रहने के आनंद का जश्न मनाने का अवसर देता है.

इस दिवाली हम अपने जीवन को खुशियों और आशाओं से भरते हैं, साथ मिलकर बनाई गई साझेदारियों और उन जीवंत संस्कृतियों का भी जश्न मनाएँ जो दुबई को सचमुच दुनिया का एक शहर बनाती हैं."

महावाणिज्य दूत सतीश कुमार सिवन ने इस आयोजन को भारतीय समुदाय की सफलता और भारत-यूएई साझेदारी की मजबूती का प्रतीक बताया. उन्होंने भारतीय समुदाय के लिए दुबई के निरंतर समर्थन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि दिवाली समारोह को अब दुबई के आधिकारिक कार्यक्रमों के कैलेंडर में शामिल किया गया है.

सिवन ने कहा, "इन सभी अद्भुत संस्थाओं के साथ साझेदारी करके वाणिज्य दूतावास नूर में सांस्कृतिक, संगीत और नृत्य प्रदर्शनों की एक अद्भुत श्रृंखला प्रस्तुत करने में प्रसन्न है." उन्होंने उत्सव के महत्व पर विचार करते हुए कहा, "दिवाली आतिशबाजी के बिना अधूरी है.

हमारे यहाँ भी आतिशबाजी होती है. इसलिए हमारे पास वह सब कुछ है जो हमें अपनी संस्कृति से जुड़ा हुआ महसूस कराता है. दुबई के अलावा दुनिया में कहीं और यह संभव नहीं है. यह प्रेम और समावेशिता का ऐसा ही उदाहरण है जो यह नेतृत्व हमें दिखाता है."

इस प्रकार, दुबई का यह दीपोत्सव केवल रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक समावेश, वैश्विक सद्भाव और एक मजबूत भारत-यूएई रिश्ते की एक चमकदार मिसाल बन गया है.