मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली
हैदराबाद के ऐतिहासिक चारमीनार में सात दिवसीय लंबी फोटो प्रदर्शनी शुरू हुई. इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के अनुसार प्रतिष्ठित चारमीनार के 444 साल पूरे हो गए. इस उपलक्ष्य में यहां प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. यह प्रदर्शनी 7 अगस्त से सुबह 9ः00 बजे से शाम 4ः30 बजे तक जनता के लिए खुली रहेगी.
प्रदर्शनी में चारमीनार के इतिहास का अनावरण करने वाली तस्वीरों, मानचित्रों और रेखाचित्रों को शामिल किया गया है. डेक्कन आर्काइव और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित, प्रदर्शनी की मेजबानी ऐतिहासिक स्मारक के भूतल पर की जा रही है.
चारमीनार को पहली बार हिजरी कैलेंडर के 1-1-1000 को जनता के लिए खोला गया था, यानी वर्ष 1000 में मुहर्रम की पहली तारीख को. हिजरी कैलेंडर के अनुसार, ऐतिहासिक स्मारक रविवार 31 जुलाई को 444 साल पुराना हो गया.

आइए जानते हैं क्या है चार मीनार का इतिहास
इतिहासकारों के अनुसार, कुतुब शाही राजवंश के पांचवें शासक सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने 1591 में हैदराबाद शहर का निर्माण करवाया था. गोलकोंडा से हैदराबाद में अपनी राजधानी स्थापित करने के बाद इन्होंने स्मारक के रूप में चार मीनार का निर्माण करवाया.
चार मीनार की वजह से पूरी दुनिया में हैदराबाद का नाम प्रसिद्ध है. इसका निर्माण इसलिए कराया गया था, ताकि गोलकोंडा और पोर्ट शहर मछलीपट्टनम के एतिहासिक व्यापार मार्ग को जोड़ा जा सके. चार मीनार के निर्माण के पीछे एक और कारण है.
कहते है उस समय हैदराबाद के आस पास प्लेग रोग बहुत अधिक फैला हुआ था. तब वहां के सुल्तान कुली कुतुब शाह ने इस बीमारी से निपटने के लिए बहुत से कड़े कदम उठाये थे. वे इस बीमारी से बहुत हद तक जीत गए थे. तब प्लेग बीमारी के अंत के चिन्ह के रूप में चार मीनार का निर्माण कराया गया.
चार मीनार की संरचना
चारमीनार चार मीनारों के साथ एक विशाल और प्रभावशाली संरचना है. इसकी संरचना वर्गाकार है, जिसका हर साइड 20 मीटर लंबा है. चार मीनार में हर दिशा में एक दरवाजा है, जो अलग अलग बाजारों में खुलता है. इसके प्रत्येक कोने में 56 मीटर (लगभग 184 फीट) उची मीनार है, जिसमें 2 बालकनी है. प्रत्येक मीनार के उपरी हिस्से में, नुकीले पत्ती की तरह, एक बल्बनुमा गुंबद की डिजाईन है.
ऐसा लगता है मानो किसी ने मीनार को ताज पहना दिया है. ताजमहल की तरह चार मीनार में ये मीनारें इसकी मुख्य संरचना है. सबसे उपर जाने के लिए 149 घुमावदार सीढियां है. अलग तरह की बालकनी एवं मीनार की संरचना एवं सजावट के लिए भी इसे जाना जाता है.े
चार मीनार की संरचना ग्रेनाइट, चूना पत्थर, मोर्टार और चूर्णित संगमरमर से हुई थी. शुरू में चार मीनार के लिए एक निश्चित अनुपात में चार मेहराब बस बनाने की योजना बनाई गई थी. लेकिन जब हैदराबाद शहर का निर्माण हुआ और वहां के किले को खोला गया तो, शहर में चारों ओर चमक धमक खुशहाली आ गई, जिसके बाद यहाँ एक बड़े स्मारक के रूप में चार मीनार का कार्य शुरू हुआ.
चारमीनार एक शाही इलाका था, इसके बावजूद यहां सबसे अधिक चहल पहल होती थी. चार मीनार दो मंजिला ईमारत है. इनकी बालकनी से इसके आसपास के क्षेत्र की सुंदरता को देखा जा सकता है.
चारमीनार को गोलकोंडा किले से जोड़ने के लिए, उसके अंदर बहुत सी भूमिगत सुरंग का भी निर्माण कराया गया था. संभवतः इसका निर्माण इसलिए हुआ होगा, ताकि कभी किले में दुश्मनों के द्वारा घेराबंदी होने पर कुतुब शाही शासक वहां से छिप कर भाग सकें. इन सुरंगों के स्थान आज भी अज्ञात है.
चार मीनार के पश्चिम में ईमारत के उपरी हिस्से में खुली हुई मस्जिद है, वहां के बाकि हिस्से में कुतुब शाही का दरबार हुआ करता था. मस्जिद पश्चिम में है, जो इस्लाम के पवित्र तीर्थस्थल मक्का की ओर मुंह किए हुए है. यहां की मुख्य मस्जिद, चार मंजिला ईमारत के सबसे उपरी मंजिल में स्थित है.
दो बालकनी को जोड़ने के लिए छज्जा बना हुआ है, इसके उपर एक बड़ा छत है, जिसके चारों ओर पत्थर की बाउंड्री है. मुख्य बालकनी में 45 लोगों के बैठने की जगह है. इसके अलावा इसके सामने का बड़ा हिस्सा खुला हुआ है, जहां शुक्रवार को अधिक लोग होने पर वहां नमाजं होती थी.
चार मीनार की चार प्रमुख दिशाओं में 1889 में घड़ी लगाई गई थी. चार मीनार में बीचोंबीच पानी का छोटा सा तालाब जैसा है, जिस पर फव्वारा भी लगा है. मस्जिद में नमाज से पहले लोग यहाँ हाथ पैर धोते थे.
मक्का मस्जिद
चारमिनार में एक और बड़ी मस्जिद है, जिसे मक्का मस्जिद कहते है. कुतुब शाही राजवंश के पांचवें शासक मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने मिट्टी से बने ईंट, इस्लाम के तीर्थस्थल मक्का से मंगवाए थे. इन ईंटों से चारमीनार के मुख्य मस्जिद में, उसके केंद्रीय चाप का निर्माण हुआ था, जिसके बाद उस मस्जिद का नाम मक्का मस्जिद पड़ गया. कहते है ये हैदराबाद की सबसे पुरानी मस्जिद में से एक है.
चार मीनार बाजार
चार मीनार के आसपास का इलाका भी चार मीनार कहलाता है, लेकिन इसके आसपास अलग अलग मार्किट है. चारमिनार के पास स्थित लाड बाजार अपने गहने, विशेष रूप से अति सुंदर चूड़ियों के लिए जाना जाता है. जबकि पथेर गट्टी बाजार मोतियों के लिए प्रसिद्ध है. चार मीनार के चारों ओर लगभग 14 हजार दुकानें हैं. कुतुब शाही से लेकर निजाम के शासन तक और ब्रिटिश साम्राज्य से अभी तक चारमीनार के आस पास गतिविधियाँ होती रही है.