Before buying the idol of Lord Ganesha, know the important rules related to the direction of the trunk and the design of the idol
ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
गणेश चतुर्थी का पर्व नजदीक है और ऐसे में बाजारों में भगवान गणेश की सुंदर-सुंदर मूर्तियों की रौनक बढ़ गई है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश की मूर्ति खरीदते समय कुछ विशेष नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है? मूर्ति की सूंड की दिशा से लेकर उसकी बनावट तक का गहरा आध्यात्मिक और वास्तु शास्त्रीय महत्व होता है.
सूंड की दिशा का महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान गणेश की दाईं ओर मुड़ी सूंड (जो देखने वाले को बाईं ओर दिखाई देती है) को "वामांग सूंड" कहा जाता है और यह घर के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह सुख-समृद्धि, बुद्धि और सफलता प्रदान करती है.
वहीं, दाहिनी ओर मुड़ी सूंड वाली मूर्ति (दक्षिणमुखी गणेश) अधिक पूजन विधि की मांग करती है और इन्हें घर में स्थापित करने से पहले पंडित से सलाह लेना जरूरी होता है. यह मूर्ति शक्तिशाली मानी जाती है, लेकिन अगर सही विधि से पूजा न हो तो नुकसान भी हो सकता है.
मूर्ति की बनावट पर भी दें ध्यान
* भगवान गणेश की मूर्ति ऐसी होनी चाहिए जिसमें उनका पेट उभरा हुआ हो, जो समृद्धि का प्रतीक है.
* उनकी दोनों आंखें स्पष्ट हों और चेहरा शांत हो.
* मूर्ति में मोदक और वाहन (चूहा) भी दिखाई देना चाहिए.
* मूर्ति मिट्टी की हो तो श्रेष्ठ मानी जाती है, क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल होती है.
कौन-सी मूर्ति घर में नहीं रखें
* टूटी-फूटी या खंडित मूर्ति कभी घर में नहीं रखनी चाहिए.
* किसी दूसरे का इस्तेमाल की हुई मूर्ति भी घर में स्थापित न करें.
* बहुत बड़ी मूर्ति घर में न रखें, क्योंकि इससे ऊर्जा असंतुलित हो सकती है.
गणेश चतुर्थी पर जब आप बप्पा को घर लाने जाएं, तो इन नियमों को जरूर ध्यान में रखें. इससे आपके घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहेगी.