नई दिल्ली:
खुश रहना कोई जादू नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। सच्ची खुशी पाने के लिए हमें अपने रोज़मर्रा के जीवन में कुछ सकारात्मक आदतें अपनानी होती हैं। मनोविज्ञान के अनुसार, हमारी मानसिक सेहत और संतुष्टि का गहरा संबंध हमारी दैनिक सोच और कर्मों से होता है। आइए जानते हैं, कौन-सी चार आदतें आपको जीवन में सच्ची खुशी दे सकती हैं—
कृतज्ञता यानी अपने जीवन में मौजूद अच्छी चीज़ों के लिए आभारी होना। यह खुशी बढ़ाने का सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है। साइकसेंट्रल की एक रिपोर्ट बताती है कि जब हम नियमित रूप से अपनी अच्छी बातों को स्वीकार करते हैं, तो हमारा मस्तिष्क सकारात्मक सोच पर ध्यान केंद्रित करने लगता है।
👉 हर दिन तीन चीज़ें लिखने की आदत डालें, जिनके लिए आप आभारी हैं — चाहे वह परिवार का प्यार हो, दोस्त की मदद या अपनी कोई छोटी सफलता। यह अभ्यास तनाव को घटाता है और मन को शांत करता है।
हमारे रिश्ते हमारी खुशी की सबसे बड़ी कुंजी हैं। फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी में 2024 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि सामाजिक जुड़ाव और पारिवारिक समर्थन चिंता और अवसाद को कम करते हैं तथा जीवन में संतुष्टि बढ़ाते हैं।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के 80 साल लंबे अध्ययन ने भी साबित किया कि न तो पैसा और न ही प्रसिद्धि, बल्कि अच्छे रिश्ते ही एक लंबे, स्वस्थ और खुशहाल जीवन के सबसे बड़े संकेतक हैं। इसलिए अपने प्रियजनों के साथ समय बिताएँ और उनसे जुड़ाव बनाए रखें।
ध्यान या माइंडफुलनेस आपको वर्तमान क्षण में जीना सिखाती है — बिना अतीत की चिंता और भविष्य की फ़िक्र के।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ हेल्थ साइकोलॉजी (2024) में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, हर दिन सिर्फ़ 10 मिनट माइंडफुलनेस का अभ्यास करने से चिंता में 12.6% और अवसाद में 19.2% की कमी आई। साथ ही, इससे लोगों के जीवन दृष्टिकोण में भी सुधार हुआ।
👉 रोज़ कम से कम 10 मिनट ध्यान करें। यह आपको जीवन के छोटे-छोटे पलों में खुशी महसूस करने और मन की शांति पाने में मदद करेगा।
दयालु होना न केवल दूसरों के लिए अच्छा है, बल्कि यह आपके लिए भी लाभकारी है। बिना किसी अपेक्षा के किसी की मदद करना, किसी की तारीफ करना या किसी की बात ध्यान से सुनना — ये छोटे कदम डोपामाइन और ऑक्सीटोसिन जैसे “फील-गुड” हार्मोन के स्तर को बढ़ाते हैं।
👉 जब आप दूसरों के लिए अच्छा करते हैं, तो आप खुद के अंदर गहरी खुशी और संतुष्टि महसूस करते हैं।
खुश रहना किसी परिस्थिति का नतीजा नहीं, बल्कि एक निर्णय है। अगर आप हर दिन आभार, संबंध, सचेतनता और दयालुता का अभ्यास करेंगे, तो ज़िंदगी न केवल बेहतर लगेगी, बल्कि हर दिन जीने लायक भी महसूस होगी।