उत्तराखंड : कांवड़ यात्रा शुरू, पहले ही दिन हजारों कांवड़िए गंगा जल भरने हरिद्वार पहुंचे

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 11-07-2025
Uttarakhand: Kanwar Yatra begins, on the very first day thousands of Kanwariyas reached Haridwar to collect Ganga water
Uttarakhand: Kanwar Yatra begins, on the very first day thousands of Kanwariyas reached Haridwar to collect Ganga water

 

देहरादून
 
सावन माह की शुरूआत के साथ ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुक्रवार को कांवड़ यात्रा भी आरंभ हो गयी और पहले दिन ही हजारों की संख्या में कांवड़िए गंगा जल भरने के लिए धर्मनगरी हरिद्वार पहुंचे .
 
करीब एक पखवाड़े तक चलने वाली इस यात्रा में हर साल देश के विभिन्न राज्यों से कांवड़िए हरिद्वार से गंगा जल भरकर ले जाते हैं और उससे शिवरात्रि के अवसर पर अपने गांवों और घरों के शिवालयों में भगवान शिव का अभिषेक करते हैं .
 
हर की पैड़ी सहित हरिद्वार के विभिन्न घाटों पर सुबह से ही बड़ी संख्या में कांवड़िए स्नान करते और गंगा जल भरते दिखे जिससे वहां का नजारा केसरिया रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है .
 
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने बताया कि कांवड़ मेले की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस, अर्धसैनिक बल, जल पुलिस, अभिसूचना, विशेष कार्यबल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, पीएसी और आतंकवाद निरोधी दल के 7000 से अधिक कार्मिकों को तैनात किया गया है .
 
उन्होंने बताया कि ड्रोन, सीसीटीवी और सोशल मीडिया की निगराानी के जरिए हर संदिग्ध गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है .
 
कांवड़ यात्रा के निर्विघ्न संचालन के लिए उत्तराखंड सरकार ने सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने और उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले छद्म भेषधारियों के खिलाफ 'ऑपरेशन कालनेमि' शुरू कर दिया है .
 
यात्रा आरंभ होने से एक दिन पहले शुरू किए गए इस ऑपरेशन के बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां असामाजिक तत्व साधु-संतों का भेष धारण कर लोगों, विशेषकर महिलाओं को ठग रहे हैं .
 
उन्होंने कहा, ‘‘इससे न सिर्फ लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं बल्कि सामाजिक सौहार्द और सनातन परंपरा की छवि को भी नुकसान पहुंच रहा है . ऐसे में किसी भी धर्म का व्यक्ति यदि ऐसे कृत्य करता हुआ मिलता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.’’
 
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार असुर कालनेमि ने साधु का भेष धारण कर भ्रमित करने का प्रयास किया था, वैसे ही आज समाज में कई “कालनेमि” सक्रिय हैं जो धार्मिक भेष धारण कर अपराध कर रहे हैं.
 
सुर कालनेमि का दोनों प्रमुख हिंदू धर्मग्रंथों— रामायण और महाभारत में उल्लेख है . पौराणिक मान्यता है कि रावण के मामा मारीच के पुत्र कालनेमि ने साधु का भेष धारण कर लक्ष्मण की मूर्छा को तोड़ने के लिए संजीवनी बूटी ला रहे हनुमान का रास्ता रोकने का प्रयास किया था लेकिन हनुमान ने उसकी असलियत जानकर उसका वध कर दिया था . महाभारत काल में कालनेमि का पुनर्जन्म कंस के रूप में हुआ जिसका संहार भगवान कृष्ण ने किया .
 
पिछले कुछ सालों में गंगा जल भरने वाले शिवभक्त कांवड़ियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है . पिछले साल कांवड़ यात्रा में चार करोड़ से अधिक कांवड़िए हरिद्वार और ऋषिकेश पहुंचे थे .
 
प्रशासनिक सूत्रों ने यहां बताया कि इस बार करीब छह—सात करोड़ कांवड़ियों के आने की उम्मीद है जिसे देखते हुए सभी प्रकार के इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं.
 
उधर, उत्तर रेलवे ने भी कांवड़ मेला के दौरान कांवड़ियों के लिए विशेष रेलगाड़ियां चलाने के प्रबंध किए हैं .