धरोहर स्थल का दर्जा देने के लिए यूनेस्को मराठा शासकों के किलों का मूल्यांकन करेगा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 11-07-2025
UNESCO will evaluate forts of Maratha rulers for heritage site status
UNESCO will evaluate forts of Maratha rulers for heritage site status

 

नयी दिल्ली
 
मराठा शासकों द्वारा परिकल्पित असाधारण किलेबंदी और सैन्य प्रणाली का प्रतिनिधित्व करने वाले सैन्य दुर्ग दुनिया भर से प्राप्त उन 30 नामांकनों में से एक है, जिनका मूल्यांकन विश्व धरोहर समिति के मौजूदा सत्र के दौरान यूनेस्को धरोहर अभिलेखन के लिए किया जाएगा।
 
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा, दो मौजूदा यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की ‘‘सीमाओं में महत्वपूर्ण संशोधनों’’ के लिए उनकी समीक्षा की जाएगी।
 
विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) का 47वां सत्र 6 से 16 जुलाई तक पेरिस में आयोजित किया जा रहा है। ग्यारह से 13 जुलाई तक विभिन्न देशों से प्राप्त नामांकनों के आधार पर कुल 32 स्थलों की समीक्षा की जाएगी।
 
अधिकारी ने बताया कि मूल्यांकन प्रक्रिया शुक्रवार को शुरू हुई, जिसमें कैमरून के नामांकन - मंदारा पर्वत के डिय-गिड-बिय सांस्कृतिक स्थल, मलावी का माउंट मुलंजे सांस्कृतिक स्थल (एमएमसीएल) और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का फाया पैलियोलैंडस्केप को डब्ल्यूएचसी द्वारा चुना गया है।
 
भारत का नामांकन 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स' है, जो मराठा शासकों द्वारा परिकल्पित असाधारण किलेबंदी और सैन्य प्रणाली का प्रतिनिधित्व करता है। यूनेस्को दर्जा के लिए नामांकन 2024-25 सत्र के लिए है।
 
इस नामांकन के 12 घटक हैं - महाराष्ट्र में सालहेर किला, शिवनेरी किला, लोहगढ़, खंडेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, स्वर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजय दुर्ग और सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु में जिंजी किला।
 
भारतीय अधिकारियों ने बताया कि विविध भौगोलिक क्षेत्रों में फैले ये धरोहर स्थल मराठा साम्राज्य की सामरिक शक्तियों को प्रदर्शित करते हैं। मराठा शासकों के ये दुर्ग 17वीं और 19वीं शताब्दी के बीच के हैं।