सूजामाअत-ए-इस्लामी हिंद के साप्ताहिक दर्स का आयोजन

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 23-12-2025
The weekly lecture of Jamaat-e-Islami Hind was organized.
The weekly lecture of Jamaat-e-Islami Hind was organized.

 

नई दिल्ली

जामाअत-ए-इस्लामी हिंद के आराम पार्क, लक्ष्मी नगर यूनिट के तत्वावधान में साप्ताहिक दर्स-ए-क़ुरआन व हदीस का एक सारगर्भित और विचारोत्तेजक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आध्यात्मिक बैठक में फ़लाहुद्दीन फ़लाही ने दर्स-ए-क़ुरआन प्रस्तुत किया, जबकि मौलाना अमीरुल हक़ ने दर्स-ए-हदीस दिया।

दर्स-ए-क़ुरआन के दौरान फ़लाहुद्दीन फ़लाही ने सूरा हदीद की तफ़सीर करते हुए विशेष रूप से आयत संख्या 25 पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अल्लाह तआला ने लोहे को अत्यंत शक्ति वाला और इंसानों के लिए असंख्य लाभों का स्रोत बनाया है। लोहा मानव सभ्यता, रक्षा व्यवस्था, अर्थव्यवस्था और दैनिक जीवन का एक बुनियादी स्तंभ है। उन्होंने कहा कि सूरा हदीद हमें यह शिक्षा देती है कि इंसान को दी गई शक्ति और संसाधनों का इस्तेमाल अन्याय या विनाश के लिए नहीं, बल्कि न्याय, भलाई और मानवता की सेवा के लिए होना चाहिए। शक्ति का सही उपयोग ही समाज में संतुलन और शांति स्थापित करता है।

दर्स-ए-हदीस में मौलाना अमीरुल हक़ ने नबी करीम ﷺ की हदीस के हवाले से कहा कि सबसे उत्तम और पाकीज़ा रोज़ी वही है, जो इंसान अपनी मेहनत और ईमानदारी से कमाता है। उन्होंने हलाल कमाई, परिश्रम और नैतिक मूल्यों पर जोर देते हुए कहा कि मेहनत से अर्जित की गई रोज़ी इंसान को आत्मसम्मान, सुकून और अल्लाह की बरकत दिलाती है। उन्होंने युवाओं से विशेष रूप से आग्रह किया कि वे आसान लेकिन नाजायज़ रास्तों से बचें और मेहनत को अपना जीवन मंत्र बनाएं।

इस अवसर पर जामाअत-ए-इस्लामी हिंद, दिल्ली प्रदेश द्वारा प्रकाशित 2026 का इस्लामी कैलेंडर भी उपस्थित लोगों में वितरित किया गया। यह कैलेंडर “पड़ोसियों के अधिकार” विषय पर आधारित है, जिसमें हर पृष्ठ पर क़ुरआन की आयतों और अहादीस का सरल उर्दू अनुवाद दिया गया है, ताकि सामाजिक सौहार्द और आपसी जिम्मेदारियों का भाव मजबूत हो सके।

कार्यक्रम का समापन सामूहिक दुआ के साथ हुआ, जिसमें देश और समाज की शांति, अमन, भाईचारे और समृद्धि के लिए विशेष प्रार्थनाएं की गईं।