आवाज़ द वॉयस /नई दिल्ली
ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा पर्व क्रिसमस अब कुछ ही कदम दूर है और इसी के साथ देश-दुनिया में उत्सव का माहौल धीरे-धीरे अपने चरम की ओर बढ़ रहा है। बाजारों में सजावट, रौशनियों और उपहारों की चमक दिखने लगी है, वहीं स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विंटर वेकेशन से पहले क्रिसमस सेलिब्रेशन की धूम मची हुई है। इस उल्लासपूर्ण वातावरण में राजधानी दिल्ली की प्रतिष्ठित जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी भी पीछे नहीं रही, जहां क्रिसमस को बेहद गरिमा, आत्मीयता और सौहार्द के साथ मनाया गया।

जामिया हमदर्द में आयोजित क्रिसमस समारोह किसी भव्य मंच या शोर-शराबे तक सीमित नहीं था, बल्कि यह सादगी, शांति और आपसी भाईचारे की भावना से ओत-प्रोत एक यादगार अवसर बन गया। विश्वविद्यालय परिसर में स्टाफ और फैकल्टी के बीच उत्सव का माहौल देखने को मिला। केक काटे गए, उपहार बांटे गए और मुस्कुराहटों के साथ एक-दूसरे को क्रिसमस की शुभकामनाएं दी गईं। पूरे वातावरण में गर्मजोशी और अपनत्व साफ झलक रहा था।
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी बयान के अनुसार, 19 दिसंबर को वाइस चांसलर लॉज के बगीचे में एक सौम्य और गरिमापूर्ण दोपहर समारोह का आयोजन किया गया। हरे-भरे बगीचे में आयोजित यह सभा क्रिसमस की मूल भावना — प्रेम, सद्भाव और मेल-मिलाप , को खूबसूरती से प्रतिबिंबित कर रही थी। खुले आसमान के नीचे सजे इस शांत वातावरण ने समारोह को न सिर्फ खास बनाया, बल्कि इसे एक यादगार अनुभव में भी बदल दिया।

इस आयोजन में जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी समुदाय के विभिन्न सदस्य एक साथ एकत्रित हुए। शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों की मौजूदगी ने यह संदेश दिया कि विश्वविद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि विविधताओं को सम्मान देने वाला एक जीवंत परिवार है। क्रिसमस जैसे पर्व को सामूहिक रूप से मनाकर जामिया हमदर्द ने समावेशिता और साझा संस्कृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर रेखांकित किया।
समारोह के दौरान न कोई औपचारिकता का बोझ था और न ही किसी तरह की बनावट। इसके बजाय, हर पल में सहजता और मानवीय जुड़ाव महसूस किया गया। यही वजह रही कि यह क्रिसमस सेलिब्रेशन शोरगुल से दूर रहते हुए भी बेहद प्रभावशाली और सार्थक साबित हुआ। उपस्थित लोगों के चेहरों पर संतोष और खुशी साफ दिखाई दे रही थी।

जामिया हमदर्द में आयोजित यह क्रिसमस समारोह उस व्यापक संदेश को भी सामने लाता है कि त्योहार केवल किसी एक समुदाय तक सीमित नहीं होते, बल्कि वे आपसी सम्मान, प्रेम और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक होते हैं। आज के समय में, जब समाज को सौहार्द और आपसी समझ की सबसे ज्यादा जरूरत है, ऐसे आयोजन सकारात्मक उदाहरण पेश करते हैं।

कुल मिलाकर, जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी में मनाया गया यह क्रिसमस उत्सव गरिमा, सौम्यता और भाईचारे का प्रतीक बनकर उभरा, जिसने न सिर्फ विश्वविद्यालय परिसर को उत्सव की रोशनी से भर दिया, बल्कि दिलों में भी आपसी अपनत्व की गर्माहट घोल दी।