रायपुर
छत्तीसगढ़ के कथित बहुचर्चित शराब घोटाले में बड़ा खुलासा करते हुए राज्य पुलिस की एंटी करप्शन ब्यूरो/आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ACB/EOW) ने अपनी सातवीं पूरक चार्जशीट में दावा किया है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को इस कथित घोटाले से अपने हिस्से के तौर पर 200 से 250 करोड़ रुपये मिले।
सोमवार को विशेष अदालत में दाखिल की गई करीब 3,800 पन्नों की इस चार्जशीट के अनुसार, चैतन्य बघेल ने 2018–23 के दौरान (जब राज्य में कांग्रेस सरकार थी) आबकारी विभाग के भीतर कथित उगाही सिंडिकेट को स्थापित करने, समन्वय करने और संरक्षण देने में अहम भूमिका निभाई। दस्तावेज़ में उन्हें 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के इस कथित घोटाले में अभियुक्त नामित किया गया है। अब तक मामले में कुल आठ चार्जशीट दाखिल हो चुकी हैं।
चार्जशीट में कहा गया है कि चैतन्य बघेल ने प्रशासनिक स्तर पर अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया, अरुणपति त्रिपाठी और निरंजन दास जैसे अधिकारियों तथा जमीनी स्तर पर अनवर ढेबर, अरविंद सिंह और विकास अग्रवाल जैसे सह-आरोपियों के साथ समन्वय कर निर्देश दिए। आरोप है कि उन्होंने अपने विश्वस्त सहयोगियों के जरिए कारोबारी अनवर ढेबर की टीम द्वारा जुटाई गई अवैध रकम का प्रबंधन और उच्च स्तर तक स्थानांतरण कराया।
जांच एजेंसी के मुताबिक, कथित अपराध की आय का हिस्सा चैतन्य बघेल ने शराब कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लों की कंपनियों के जरिए बैंकिंग चैनलों से प्राप्त किया और उसे पारिवारिक फर्मों में डालकर रियल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश किया। एजेंसी का दावा है कि परिवार, मित्रों और सहयोगियों के माध्यम से भी बड़ी रकम का निवेश किया गया।
ACB/EOW ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्य दर्शाते हैं कि उच्च स्तरीय संरक्षण, नीतिगत/प्रशासनिक हस्तक्षेप और प्रभाव के कारण यह कथित अपराध लंबे समय तक चलता रहा। जांच के अनुसार, घोटाले की अनुमानित राशि 3,074 करोड़ रुपये है, जो आगे बढ़कर 3,500 करोड़ रुपये से अधिक भी हो सकती है।
उधर, मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहले ही जुलाई में चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया था और अपनी अभियोजन शिकायत में दावा किया था कि उन्होंने 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के “अपराध की आय” को संभाला। मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा समेत कई अन्य आरोपियों की भी गिरफ्तारी हो चुकी है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।






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