ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
भारत में ईसाई धर्म की विरासत सदियों पुरानी है और इसका प्रमाण देशभर में फैले ऐतिहासिक चर्च हैं। क्रिसमस के दौरान इन चर्चों की भव्य सजावट, मध्यरात्रि प्रार्थनाएं (Midnight Mass), संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम हर साल लाखों लोगों को आकर्षित करते हैं। आइए एक विस्तृत नज़र डालते हैं

सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर के संरक्षित अवशेष यहां कांच के ताबूत में रखे हैं।
चर्च के अंदर की लकड़ी की नक्काशी, सोने की सजावट और अद्भुत वेदी प्रसिद्ध है।
हर दस साल में अवशेषों का सार्वजनिक दर्शन (Exposition) करवाया जाता है।
भव्य सजावट, कैरल गायन, मोमबत्ती जुलूस और मध्यरात्रि प्रार्थना यहाँ को अति विशेष बनाते हैं।
हजारों पर्यटक और भक्त यहाँ मौजूद होते हैं।
ओल्ड गोवा, पणजी से लगभग 10 किलोमीटर दूरी पर।
लंबा नैव हॉल, लकड़ी की छत, और रंगीन कांच की स्टेन-ग्लास विंडोज़ चर्च को बेहद सुंदर बनाती हैं।
इसमें कई ऐतिहासिक स्मारक और ब्रिटिश काल की मूर्तियाँ मौजूद हैं।
भूकंप के बाद इसके शिखर को फिर से बनाया गया था, जो इसकी पहचान बन गया है।
मिडनाइट मास और क्वायर कैरल सिंगिंग देशभर में मशहूर है।
चर्च के सामने की बाहरी लाइटिंग और क्रिब सेट (Jesus Crib) विशेष आकर्षण होता है।
मेडेन के पास, कोलकाता शहर के मध्य में।
(बेसिलिका ऑफ आवर लेडी ऑफ गुड हेल्थ)
यह जगह चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है।
समुद्र किनारे बसे इस चर्च में विशाल परिसर, लैटिन, तमिल और अंग्रेज़ी में प्रार्थनाएं होती हैं।
हर साल लाखों यात्री यहां मन्नतें मांगने आते हैं।
परिसर में विशाल क्रिब प्रदर्शन, विशेष प्रार्थना सभा और लाइटिंग दिखती है।
समुद्र किनारे क्रिसमस कैरल विशेष आकर्षण।
नागपट्टिनम, तमिलनाडु — चेन्नई से लगभग 300 किमी।
इसके दो 175 फीट ऊंचे शिखर मैसूर शहर की पहचान हैं।
चर्च के नीचे भूमिगत चैपल भी है।
अंदर की रंगीन कांच की खिड़कियाँ (Stained Glass) यीशु के जीवन का चित्रण करती हैं।
हजारों लोगों के साथ भव्य प्रार्थना सभा, मैसूर पैलेस जैसी भव्य रोशनी,
चर्च के सामने सांस्कृतिक समारोह और कैरल संगीत।

प्रसिद्ध अन्वेषक वास्को-दा-गामा की मौत के बाद 1524 में पहली बार यहां दफनाया गया था।
बाद में उनके अवशेष पुर्तगाल ले जाए गए, लेकिन यहाँ उनकी कब्र आज भी मौजूद है।
यह चर्च भारत में औपनिवेशिक इतिहास का सजीव उदाहरण है।
पारंपरिक तरीके से मनाया जाने वाला क्रिसमस; अत्यधिक सजावट नहीं, बल्कि शांति और आध्यात्मिकता इसका आकर्षण है।

विशाल खुले प्रांगण, शानदार वेदी और शांत वातावरण।
दिल्ली धर्मप्रांत का सबसे बड़ा चर्च।
हजारों लोग मध्यरात्रि प्रार्थना में शामिल होते हैं।
बच्चों के कैरल, संगीत bands और जीवंत "जन्म दृश्य" (Nativity Scene) बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करते हैं।

गुलाबी बलुआ पत्थर से निर्मित शानदार चर्च, ऊँचे मेहराब और लंबा भव्य हॉल।
रंगीन कांच की खिड़कियाँ चर्च के अंदर अद्भुत प्रकाश रचती हैं।
इसकी घंटियों की आवाज पूरे क्षेत्र में गूंजती है।
भव्य सजावट, बड़ा क्रिसमस ट्री, और मध्यरात्रि प्रार्थना
प्रयागराज में क्रिसमस मनाने का मुख्य केंद्र।
इन चर्चों की ऐतिहासिक महिमा, वास्तुकला और आध्यात्मिकता भारत की विरासत को एकजुट करती है। क्रिसमस के दौरान इनका अनुभव सांस्कृतिक, धार्मिक और भावनात्मक — तीनों रूपों में अत्यंत समृद्ध होता है।