क्रिसमस संदेश में पोप लियो 14वें का आत्ममंथन का आह्वान

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 23-12-2025
In his Christmas message, Pope Leo XIV called for self-reflection.
In his Christmas message, Pope Leo XIV called for self-reflection.

 

रोम

क्रिसमस के अवसर पर पोप लियो 14वें ने वेटिकन के शीर्ष नेतृत्व से आत्ममंथन का आग्रह करते हुए शक्ति की महत्वाकांक्षा और निजी हितों को त्यागने की अपील की। सोमवार को कार्डिनलों और बिशपों को संबोधित करते हुए उन्होंने वेटिकन के प्रशासनिक ढांचे—रोमन क्यूरिया—की कार्य-संस्कृति पर नरम शब्दों में आलोचनात्मक टिप्पणी की, जो उनके पूर्ववर्ती पोप फ्रांसिस की परंपरा की निरंतरता मानी जा रही है।

अपने संदेश में पोप लियो ने एक विचारोत्तेजक प्रश्न रखा—“क्या रोमन क्यूरिया में मित्रता संभव है?” यह प्रश्न इस ओर इशारा करता है कि वेटिकन का प्रशासनिक तंत्र कई बार चुनौतीपूर्ण और यहां तक कि विषाक्त कार्यस्थल में बदल जाता है। इससे पहले पोप फ्रांसिस भी अपने वार्षिक क्रिसमस संबोधनों में क्यूरिया की कमियों की ओर ध्यान दिलाते रहे थे।

पोप लियो, जो फ्रांसिस के करीबी सहयोगी रहे हैं, ने पोप चुने जाने से पहले दो वर्षों तक वेटिकन में सेवा की थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि क्रिसमस जैसे पावन अवसर का उपयोग केवल उत्सव तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे आत्मा की जांच, कार्यशैली में सुधार और चर्च के व्यापक हित के लिए बदलाव का माध्यम बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि रोज़मर्रा के कठिन परिश्रम के बीच भरोसेमंद मित्रों का मिल जाना एक आशीर्वाद है—ऐसा वातावरण जहां नकाब उतर जाएं, किसी का इस्तेमाल न हो, न ही किसी को हाशिये पर धकेला जाए। जहां सच्चा सहयोग हो, हर व्यक्ति की काबिलियत और महत्व का सम्मान किया जाए, और जहां कड़वाहट व असंतोष पनपने का अवसर न मिले।

पोप का संदेश स्पष्ट था कि नेतृत्व का अर्थ सत्ता का प्रदर्शन नहीं, बल्कि सेवा, पारदर्शिता और आपसी विश्वास है। उन्होंने कार्डिनलों और बिशपों से आग्रह किया कि वे व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से ऊपर उठकर चर्च की भलाई को प्राथमिकता दें और एक ऐसी कार्य-संस्कृति विकसित करें जो सहयोग, करुणा और सम्मान पर आधारित हो।