नई दिल्ली
16वीं वित्त आयोग (XVIFC) ने 2026-27 से 2030-31 के लिए केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व के वितरण पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी।
आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनागड़िया ने सदस्यों एनी जॉर्ज मैथ्यू, मनोज पांडा, टी. रबी संकर, सौम्यकान्ति घोष और सचिव ऋत्विक पांडे के साथ सोमवार को राष्ट्रपति से मुलाकात कर रिपोर्ट औपचारिक रूप से सौंपी।
इसके बाद आयोग ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री को भी रिपोर्ट की एक प्रति प्रदान की।
रिपोर्ट में केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व के वितरण, राज्यों के बीच हिस्सेदारी का आवंटन, अनुदान-इन-एड, और आपदा प्रबंधन के लिए मौजूदा वित्तपोषण व्यवस्था की समीक्षा से जुड़े प्रमुख सुझाव शामिल हैं। ये सिफारिशें 1 अप्रैल 2026 से शुरू होने वाली पांच वर्षीय अवधि के लिए की गई हैं।
16वीं वित्त आयोग को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280(1) के तहत राष्ट्रपति द्वारा गठित किया गया था। आयोग के Terms of Reference (ToR) के अनुसार इसे केंद्र और राज्यों की वित्तीय स्थिति की जांच कर कर ह्रास और अनुदानों का उचित फार्मूला तैयार करना था, जो संतुलित विकास और वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करे।
आयोग ने कार्यकाल के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों के वित्त का गहन विश्लेषण किया और व्यापक सुझावों के लिए विभिन्न राज्यों, स्थानीय निकायों और केंद्र सरकार से व्यापक परामर्श किया।
इसके अलावा आयोग ने पिछले वित्त आयोगों के अध्यक्ष और सदस्यों, प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों, बहुपक्षीय संस्थाओं, अपने सलाहकार मंडल और विभिन्न विशेषज्ञों के साथ संवाद किया।
रिपोर्ट दो खंडों में तैयार की गई है। खंड I में ToR के आधार पर आयोग की सिफारिशें हैं, जबकि खंड II में विस्तृत परिशिष्ट (Annexures) शामिल हैं।
रिपोर्ट को संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा अनुच्छेद 281 के तहत पेश किए जाने के बाद सार्वजनिक किया जाएगा।